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उत्तराखंड सचिवालय से चौकने वाला खुलासा,फर्जी पुनर्नियुक्ति के साथ ओवरराइटिंग कर बढाया गया वेतन,देखिए सबूत

देहरादून । उत्तराखंड सचिवालय से हैरान करने वाला मामला सामने आया है, वह भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आपदा विभाग से जी हां आपदा प्रबंधन विभाग में नियमविरूध पुनर्नियूक्त किये गये संविदा कार्मिक के.एन.पान्डे से जहां उनको 11 माह में दिये गये अवैध वेतन 15 लाख रुपय की भी रिकवरी के आदेश जारी किये जा चुके है,वही फर्जी तरीके से पुनर्नियूक्ती पाये के. एन.पान्डे को दिये गये वेतन में बडा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पुनर्नियूक्ती के लिये किये गये 11 माह के अनुबंध में छेडछाड करके फर्जी तरीके से नियत वेतन को 14,000 रुपय प्रति माह बढा दिया गया। अधिशासी निदेशक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ( DMMC) पियूष रौतेला के हस्ताक्षर से 05 अगस्त 2019 को के.एन.पान्डे की पुनर्नियूक्ती और सेवा शर्तों का अनुबंध जारी किया गया जिसमें उनका नियत वेतन 1,23,000 (एक लाख तेईस हजार) निर्धारित किया गया था। इस वेतन के साथ उन्हें कोई भी अन्य भत्ते अनुमन्य नहीं किये गये थे। जिसे आप खुद देख सकते है कि देख सकते है,कि जो आदेश हुआ था उसमें कितना वेतन तय किया गया था ।

मूल अनुबंध में ओवर राइटिंग कर बढ़ाया गया वेतन

पहले तो कार्मिक विभाग के शासनादेश 27 अप्रैल 2018 का उलन्घन करके फर्जी पुनर्नियूक्ती की गयी जिसमें कार्मिक विभाग और विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया जाना आवश्यक था, लेकिन नहीं लिया गया। कार्मिक विभाग और मुख्यमंत्री से छुपाकर यह पुनर्नियूक्ती की गयी। वेतन निर्धारण भी वित्त विभाग से करवाने के बजाय स्वयं कर दिया गया,और बाद में चुपचाप मूल अनुबंध मे नियत वेतन 1,23,000 से बढाकर 1,37,000 कर दिया गया। इसप्रकार अनुबंध में नियत वेतन मे ओवरराइटिंग करके सिधे 14,000 रुपय बढा दिये गये जो कि फोर्जरी का मामला प्रतीत होता है, और बड़े फर्जीवाडे की ओर इशारा करता है। ऐसा करके न केवल शासन को धोखा दिया गया है बल्कि जनता के खजाने को भी लूटने का काम किया गया,आप देख सकते है कि किस तरह आदेश में वेतन वाली जगह छेड़छाड़ कर ओवर राइटिंग कर वेतन को बढ़ाया गया है ।

रविन्द्र जुगरान ने खोला हुआ है मोर्चा

राज्य आन्दोलनकारी,पूर्व दर्जा धारी मंत्री रहे जुगरान ने इस फर्जीवाडे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जुगरान का कहना है कि सबसे पहले यह जांच की जाये कि इस फर्जी पुनर्नियूक्ती को करने में कौन कौन अधिकारी शामिल हैंं।
कार्टोग्राफर जैसे अनुपयोगी और मृत सँवर्ग के पद पर एक संविदा कार्मिक को पुनर्नियूक्ती कैसे दे दी गयी।
सेवानिवृती के बाद पहले से लिये जा रहे वेतन के बराबर का वेतन किस नियम के अनुसार स्वीकृत किया गया। फिर इस बात की जांच की जाये कि अनुबंध में छेडछाड में कौन अधिकारी शामील है। किस उच्च अधिकारी की सहमती से नियत वेतन में 14,000 रुपय की वृद्धि करके इस फर्जीवाडे को अंजाम दिया गया। फर्जी पुनर्नियूक्ती पाये श्री के.एन. पान्डे का जनवरी 2020 में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में विलय क्यों किया गया और वहाँ भी उन्हे बिना जांच किये यही अवैध वेतन कैसे स्वीकृत कर दिया गया। जुगरान ने आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारी जानबूझकर इस प्रकरण पर कार्यवाही ना करके दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस प्रकरण के दोषी अधिकारियों का अब ज्यादा दिन बच पाना सम्भव नहीं होगा क्योंकि छात्रवृति घोटाले की तरह अब इस घोटाले के खिलाफ भी जुगरान मुकदमा करने की तैयारी कर रहे हैं। जुगरान शपथ पत्र और साक्ष्य सरकार और शासन को उपलब्ध करवा चुके हैं, चूंकि इस प्रकरण से सरकार और मुख्यमंत्री की बदनामी हो रही है इसलिये यह तो तय है कि मुख्यमंत्री इस प्रकरण पर अवश्य ही कठोर कार्यवाही करेंगे।

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