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गन्ना मंत्री यतीश्वरानंद ने पहली बैठक में विभागीय अधिकारियों को दिखाया कार्रवाई का डर,कहा जो पहले होता आया है उसे छोड़ दो

देहरादून। गन्ना राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) यतीश्वरानन्द द्वारा विधान सभा स्थित सभाकक्ष में गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग से सम्बन्धित विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समीक्षा बैठक में मंत्री ने उपस्थित विभागीय अधिकारियों, गन्ना मिल प्रबन्धकों तथा गन्ना समिति के सदस्यों से कहा कि सभी प्रकार की शुगर मिलों सरकारी, सहकारी तथा गैर सरकारी के सम्बन्ध में किसानों की गन्ना घटतोली, गन्ना ढुलाई व ट्रांसपोर्ट की खराब स्थिति, पर्ची भेजने में हेरफेर, समय पर तथा प्रत्येक दिन तय दिवस में सुगर मिल न खुलना, गन्ना मिलों में बिचैलियों का दखल, गन्ना भुगतान की खराब व्यवस्था, बाहरी प्रदेशों से ब्लैक में गन्ने की खरीद करना, कार्मिकों का खराब बर्ताव, गन्ना खरीद में लोकल किसानों को तवज्जो ना देना, किसानों के गन्ने को निम्न गुणवत्ता का बता कर उसके साथ धोखाधडी करना, कार्मिकों की तैनाती में रोस्टर का अनुपालन ना होना, गन्ना समिति को निर्धारित किये गये 02 प्रतिशत कमीशन का भुगतान न करना, क्रय केन्द्रों के आसपास सडक का ठीक न होना तथा क्रय केन्द्रों में किसानों के ठहरने, पेयजल, शौचालय, खानपान, व साफ सफाई ना होना और उनके पशुधन को खडा करने के लिए किसी तरह की व्यवस्था ना होना इत्यादि किसानों से जुडी हुई शिकायतें सामान्य रूप से रहती है। मंत्री ने विभागीय अधिकारियों व सरकारी तथा गैर सरकारी सभी शुगर मिल प्रबन्धकों को सख्ती से स्पष्ट निर्देश दिये कि इससे पहले शुगर मिलों में क्या होता आया है उसको छोडो किन्तु आज के बाद किसी भी शुगर मिल में किसानों से सम्बन्धित किसी भी तरह की धोखाधडी, उनके गन्ने की खरीद से लेकर भुगतान तक किसी भी तरह की शिकायत स्वीकार नही की जायेगी। जो भी प्रबन्धक, अधिकारी, कर्मचारी, इत्यादि किसी भी तरह से सुगर मिलों में गलत परम्परा को आगे बढायेगा तथा किसानों के हितों के विरूद्ध कोई भी काम करेगा उस पर सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होने सभी शुगर मिलों में गन्ना की घटतोली, बिचैलियों की किसी भी प्रकार की भूमिका, गन्ने खरीद की पर्ची का हेरफेर, बाहरी प्रदेशों से गन्ने की ब्लैक में की जाने वाली खरीद इत्यादि पर तत्काल अंकुश लगाया जाय। उन्होने निर्देश दिये कि जब तक एक भी किसान का गन्ना क्रय करने को अवशेष है तब तक किसी भी शुगर मिल को बन्द न किया जाय। उन्होने पूरी ईमानदारी से बेसिक कोटे का सही-सही निर्धारण करने, भुगतान प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और तीव्र बनने, ढुलाई दरों को तर्किक बनाने, मिलों के खुलने और बन्द करने के समय को दुरूस्त करने तथा स्थानीय किसान को खरीद में तव्वजो देने के निर्देश दिये। मंत्री ने सभी सुगर मिलों में सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के लिए प्रत्येक जनपद में एक समिति गठित करने के भी निर्देश दिये जिसमें स्थानीय जिला प्रशासन, किसान प्रतिनिधि, गन्ना समिति, स्थानीय प्रतिनिधि तथा विभागीय प्रतिनिधि शामिल हो। यह समिति समय समय पर अपने जनपदीय सीमा की शुगर मिलों का शिकायत मिलने पर अथवा स्वतः सज्ञान लेकर समय-समय पर औचक निरीक्षण करेगी। उन्होेने विभागीय अधिकारियों को सभी शुगर मिलों मंे तैनात सभी कार्मिको का उनके तैनाती समय से लेकर आज तक का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। किस शुगर मिल में वर्तमान समय में किसानों का कितना गन्ना अभी भी क्रय करना बाकि है इसका भी सर्वे करते हुए तत्काल विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। उन्होने मापतोल करने वाले कार्मिक का हर 15 दिन में रोस्टर के अनुसार स्थानान्तरण करने की प्रक्रिया का पालन करने, एक गाॅव में एक ही शुगर मिल का कोटा रखने तथा सरकार द्वारा तय की गई प्रक्रिया का शतप्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दियें। मंत्री ने गैर सरकारी मिलों के प्रबन्धकों को किसानों के बकाया भुगतान के साथ ही गन्ना परिषद को नियमानुसार तय की गई 02 प्रतिशत धनराशि का अविलम्ब भुगतान करने के निर्देश दिये। अन्त में उन्होने सभी सदस्यो को निर्देश दिये कि आज किसानों के हित में सुझाये गये विभिन्न बिन्दुओं पर 02 सप्ताह में अगली बैठक आयोजित की जायेगी, जिसमें आज के बिन्दुओं पर की गई कार्य प्रगति की जानकारी ली जायेगी। इस दौरान बैठक में गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल, सहायक गन्ना आयुक्त शैलेन्द्र चैहान, महाप्रबन्धक उत्तराखण्ड शुगर मिल रविकान्त, गन्ना समिति-परिषद के चेयरमैन सहित सम्बन्धित सदस्य उपस्थित थे।

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