स्कूली छात्रों को सरकारी कार्यक्रमों में ले जाना शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन,आयोग की अध्यक्ष ने सीएम धामी को लिखा पत्र,पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में छात्रों के ले जाने पर रोक की मांग
देहरादून। बाल संरक्षण आयोग द्वारा समय-समय पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अनेक सरकारी एवं गैर-सरकारी विद्यालयों में भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान आयोग द्वारा ये पाया गया कि शिक्षण कार्य दिवस के समय पर प्राथमिक विद्यालय एंव राजकीय इण्टर कॉलेज एंव प्राईवेट विद्यालयों में बच्चों से शिक्षा / पढाई के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में शामिल किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय कार्यक्रम, पर्यावरण दिवस पल्स पोलियों, एड्स दिवस, नशा मुक्ति हेतु जन जागरण जैसे कार्यक्रम में बच्चों से सड़कों पर लाया जाता है, जो कि बच्चों की सुरक्षा एंव शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन की श्रेणी में आता है, यद्यपि विद्यालयों में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) नैतिक शिक्षा आदि का एक पीरियड निर्धारित रहता है। इनक कार्यक्रमों हेतु विद्यालयों के अन्दर ही समुचित व्यवस्था की जानी चाहिये। आयोग की अध्यक्ष डा० गीता खन्ना द्वारा बताया गया कि कई बार वी०आई०पी० मंत्री या किसी भी बड़े अधिकारियों के स्वागत हेतु बच्चों को सड़कों पर घंटों खड़ा रखा जाता है, जो कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। पूरे प्रदेश के अन्दर इस विषय को लेकर अभिभावकों एवं जनमानस में आक्रोश व्याप्त रहता है। आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण ने बताया कि सरकार को भी इस विषय को गम्भीरता से लेना चाहिये। विद्यालय में बच्चे को पढ़ाने के लिये भेजा जाता है। इसके लिये परिसर में ही बच्चों के सर्वागीण विकास के लिये कार्यशाला आयोजित की जानी चाहिये। इसी सन्दर्भ में आयोग की अध्यक्ष डा० गीता खन्ना द्वारा मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को बच्चों के हितो एंव प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महान परम्परा एंव शिक्षा में एक बड़े परिवर्तन का जिम्मा दिये जाने एंव जनमानस में सरकार के प्रति बच्चों के हितों के लिये एक सराहनीय पहल पर कदम उठाते हुये पत्र प्रेषित किया गया है। आयोग द्वारा सरकार प्रशासन से ये भी अपेक्षा की गई है कि प्रदेश में नौनिहालों का भविष्य व सर्वागीण विकास को देखते हुये इन तमाम बिन्दुओं पर त्वरित कार्यवाही करते हुये बाल हितों का संरक्षण हेतु एक सार्थक पहल की शुरूआत की जानी चाहिये।