त्रिवेंद्र कैबिनेट के द्वारा एक दिन का वेतन काटे जाने के फैसले पर शिक्षक संगठनों ने उठाये सवाल,सरकार को बताया तानाशाह
देहरादून । कोरोना वायरस महामारी के दौरान आर्थिक संकट को देखते हुए प्रदेश सरकार की दायित्व धारियों का 1 महीने में 5 दिन का वेतन काटने का निर्णय 1 साल तक लिया है वहीं मुख्य सचिव से लेकर प्रदेश के सभी कर्मचारियों का वेतन भी 1 साल तक हर महीने 1 दिन का वेतन काटने का निणर्य लिया है । लेकिन सरकार के इस फैसले से कर्मचारी संगठनों की अलग अलग राय है ।
सचिवालय संघ ने किया फैसले का स्वागत
सचिवालय संघ ने जहां सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि सरकार ने कर्मचारियों की भर्ती न काट कर एक दिन का वेतन काटने का जो निर्णय लिया है और सरकार की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है ।
शिक्षक संघठन फैसले के खिलाफ
वही शिक्षक संगठनों की बात करें तो शिक्षक संगठन सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार ने बिना कार्मिकों से बात किए हुए एक तरफा फरमान सुनाया है जिससे कार्मिकों में रोष है। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान का कहना है कि सरकार के साथ कोरोना वायरस महामारी के दौरान कर्मचारी सरकार के साथ तन, मन धन के साथ खड़े है लेकिन जिस तरीके तानाशाही रवैया से सरकार कर्मचारियों के वेतन काटने का निर्णय लेती है वो सही नहीं है इसलिए सरकार के इस निर्णय कार्मिकों में रोष है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा।
कर्मचारियों का टूटा फैसले से मनोबल – राजकीय शिक्षक संघ
वही राजकीय शिक्षक संगठन के देहरादून जिले के जिला अध्यक्ष सुभाष झलड़ियाल का कहना है कि कैबिनेट के द्वारा प्रदेश के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साल भर में महीने में 1 दिन का वेतन काटने का कर्मचारी संगठन विरोध करते हैं । सुभाष झलड़ियाल का कहना है कि सरकार अपने विधायकों का वेतन काटने के फैसले के बाद भी वेतन नहीं काट पा रही है,और कर्मचारियों की वेतन काटने के लिए एक तरफा फरमान जारी कर दिया है । जो सही नहीं है जिस तरीके से कर्मचारियों का वेतन काटने के लिए सरकार ने एकतरफा फरमान जारी किया है । उसी तरह प्रदेश के विधायक और मंत्रियों का वेतन भत्तों को काटने का भी फरमान जारी सरकार को करना चाहिए । सरकार कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार इस समय कर रही है जबकि सभी कर्मचारी इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे हैं सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों का मनोबल टूटा है।