उत्तराखंड से बड़ी खबर

सोशल मीडिया पर छाया शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन का तरीका,शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिक्षकों ने खोला मोर्चा,हड़ताल के साथ अनशन का रास्ता खुला होने की कही बात

देहरादून।  उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री की क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं सुनते हैं यह आरोप राजकीय शिक्षक संघ के द्वारा लगाया जा रहा है, शिक्षकों का कहना है कि 4 अगस्त को शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के साथ शिक्षक संघ की बैठक हुई थी,जिसमें शिक्षकों की कई मांगों पर सहमति बनी थी लेकिन 2 महीने गुजरने के बाद अधिकारी मांगो को पूरा नहीं कर रहे हैं। जिसको लेकर राजकीय शिक्षक संघ के द्वारा आज शिक्षकों से काली पट्टी बांधकर छात्रों को पटाने का आवाहन किया गया था जिस पर प्रदेश भर में शिक्षकों के द्वारा काली पट्टी बांधकर आज छात्रों को पढ़ाया गया,वही 8 अक्टूबर को प्रदेश घर के शिक्षक राजधानी देहरादून में सरकार जागरण रैली शिक्षकों के द्वारा निकाली जाएगी 16 अक्टूबर को सभी जनपद एवं ब्लाक कार्यकारिणी जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना देंगे तो 26 अक्टूबर को दोनों मंडलों की कार्यकारिणी अपने मंडल मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करेंगे 30 अक्टूबर को प्रदेश कार्यकारिणी की एकदिवसीय धरना देगी और तब भी अगर मांगे पूरी शिक्षकों की नहीं होती है तो शिक्षकों का कहना है कि फिर आमरण अनशन तालाबंदी या हड़ताल का फैसला शिक्षक संघ के द्वारा लिया जाएगा। शिक्षक संघ का कहना है कि शिक्षा मंत्री के द्वारा 2 महीने के भीतर कई मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है जिस वजह से शिक्षकों की मांगे पूरी नहीं हुई है।

शिक्षा मंत्री के द्वारा घोषणा की गई थी कि 2 महीने के अंदर वन टाइम सेटलमेंट के तहत अंतर मंडलीय हस्तांतरण किए जाएंगे जो की हुए नहीं है।

2 महीने के अंदर प्रमोशन एलटी से प्रवक्ता पदों पर किए जाने का भी आश्वासन मिला था,जो अभी हुए नहीं है।

5400 ग्रेड पे को लेकर राजपत्रित अधिकारी घोषित किए जाने का भी आश्वासन मिला था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

मासिक परीक्षा साल में चार कराए जाने का भी शिक्षा मंत्री के द्वारा सहमति दी गई थी जिसको लेकर अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ है।

चयन और प्रोन्नत पर वेतनमान में वृद्धि का लाभ दिए जाने का लाभ भी शिक्षकों को नहीं दिया जा रहा है।

यात्रा अवकाश बहस तो सरकार के द्वारा किए गए लेकिन एक रणनीति के तहत उनको खारिज करने का भी काम किया गया है।

 

शिक्षकों का काली पट्टी बांधने का विरोध का कार्यक्रम सोशल मीडिया पर भी छाया रहा शिक्षकों के द्वारा सोशल मीडिया पर काली पट्टी बांधकर अपनी मांगों को लेकर एक तरीके से प्रदर्शन सोशल मीडिया के माध्यम से भी किया गया है,वही शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि शिक्षकों की सबसे प्रमुख मांग प्रमोशन को लेकर है, लेकिन कुछ शिक्षक सीनियरिटी की विवाद को लेकर कोर्ट गए, जिस वजह से प्रमोशन नहीं हो पा रहे हैं, शिक्षकों से आपसी सहमति से कोर्ट से वाद वापस लेने की सहमति बनी थी, लेकिन अभी तक शिक्षकों के द्वारा कोर्ट केस वापस नहीं लिए गए जिस वजह से प्रमोशन नहीं हो पाए हालांकि विभाग अपने स्तर से प्रमोशन देने को लेकर आगे बढ़ रहा है।

 

 अपनी मांगों को लेकर जहां शिक्षक लामबंद अब नजर आ रहे हैं,तो वहीं देखना यही होगा कि आखिरकार 30 अक्टूबर तक शिक्षकों की अधिकतर मांगे यदि अगर विभाग के द्वारा नहीं मानी जाती है, तो क्या वास्तव में शिक्षक संघ पूरी तरीके से कार्य बहिष्कार या आमरण अनशन का रुख करेगा, क्योंकि शिक्षक संघ तो कुछ यही इशारा कर रहा है।

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