प्रवासियों की निगरानी के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर शिक्षक संगठन ने उठाये सवाल,बिना उपकरण और प्रशिक्षण से शिक्षकों को खतरा – सुभाष झल्डियाल
देहरादून । प्रवासी उत्तराखंड वासियों के गाँव वापसी को लेकर व्यवस्था और निगरानी में शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने का विरोध शिक्षक संगठन ने शुरू कर दिया है। देहरादून जिले के राजकीय शिक्षक संगठन के जिला अध्यक्ष सुभाष झलडियाल ने कहा कि ग्राम सभाओं में आने वाले प्रवासियों की व्यवस्था निगरानी हेतु शिक्षकों की ड्यूटी का एक तरफा फरमान शिक्षकों को असुरक्षित करने जैसा फैसला है । जहां एक ओर “घर में रहें सुरक्षित रहें” सरकार ने नारा दिया है, वही बिना प्रशिक्षण, उपकरण एवं सुविधाओं के शिक्षकों की ड्यूटी क्वारंटीइन विद्यालयों में लगाना उचित नहीं है। इस परिस्थिति में जहां गांववासी अपने प्रवासी पारिवारिक लोगों को गांव में नहीं आने दे रहे हैं तो क्या वह शिक्षकों को गांव आने देंगे, फिर शिक्षकों को भी वहां 14 दिन उनके साथ क्वारंटीइन होना पड़ेगा । गांवों में प्राथमिक विद्यालयों में एक- एक कक्षा कक्षों में 15 से 20 लोग क्वारंटीइन हो रखे हैं जहां पर भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी नहीं रखा जा रहा है ऐसे में शिक्षकों को भी उनके साथ क्वारंटीइन होना पड़ेगा और सब के सब असुरक्षित स्थिति में आ जाएंगे। 26 मई से विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने जा रहा है शिक्षकों को घर एवं विद्यालय आने-जाने के पास की भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं की गयी है, और शिक्षकों के पास क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं कि उसका लाभ वह वहां गांव में दे सकें। शिक्षकों को कोरोना वायरस की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के फल स्वरुप ही उन्हें क्वारंटीइन विद्यालयों में ड्यूटी पर लगाया जाए ।