उत्तराखंड से बड़ी खबरशिक्षा विभाग से बड़ी खबर

छात्रों को मिलने वाले टैब में शिक्षा विभाग का बड़ा खेल,सालों पुराने टैब बांटे जाने से उठ रहे हैं सवाल,मंत्री के पास पहुंचा मामला

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का एक अनोखा मामला सामने आ रहा है। जी हां सर्व शिक्षा अभियान के तहत हरिद्वार जिले के 8000 से ज्यादा छात्रों को 8 करोड़ 36 लाख की बजट से टैब देने की योजना है जिस टैब से छात्र अपनी पढ़ाई की राह आसान कर सकते हैं। लेकिन छात्रों की इसी टैब से पढ़ाई की राह आसान करने को शिक्षा विभाग के आला अधिकारी मुसीबत में डालने का काम कर रहे हैं। जी हां शिक्षा विभाग के द्वारा टैब को लेकर जो टेंडर जारी किया गया है,उसमें एंड्राइड 6 वर्जन की टैब को निविदा में डाला गया है। लेकिन आज टैब के वर्जन की बात करें तो टैब 10 तक के वर्जन आ गए। जिसे पहला सवाल तो यही उठता है कि आखिर 6 साल पुराने वर्जन को शिक्षा विभाग क्यों अपना रहा है। दुनिया आज 2021 में पहुंच चुकी हैं और नए वर्जन टैब के आगे हैं। लेकिन शिक्षा विभाग 2014 में आए एंड्राइड 6 टैब के वर्जन को निविदा में डाल रहा है। जिससे सवाल यह भी उठता है कि क्या शिक्षा विभाग को यह जानकारी नहीं है कि आज अत्याधुनिक तकनीक में नए वर्जन आ गए हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई और भी आसान हो सकती है। लेकिन अब आपको एक और ऐसा पहलू शिक्षा विभाग के द्वारा अपनी निविदा में जारी किए गए टेंडर के बारे में बताते हैं जिससे सुनकर आप शिक्षा विभाग की बुद्धिमत्ता पर भी ही सवाल उठा देंगे। जी हां पूरा मामला आप शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के संज्ञान में आगे हैं, रितेश राज के द्वारा शिक्षा मंत्री को इस को लेकर शिकायत भी की गई है। शिकायतकर्ता का कहना है कि जिस टैब की निविदा शिक्षा विभाग के द्वारा डाली गई है, यदि वह टैब बच्चों को मिलते हैं तो 6 माह के बाद टैब अपडेट मांगेगा और अपडेट होने के बाद टैब में किसी भी प्रकार की कनेक्टिविटी नहीं रहेगी। यानी कि 6 महीने के बाद छात्रों को मिलने वाला टैब केवल डब्बा नजर आएगा। ऐसे में कई सवाल खड़े होना लाजमी है, यह ठीक उसी प्रकार हैं जिस तरह उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने छात्रों को लैपटॉप बांटे लेकिन लैपटॉप वर्जन अपडेट होने के बाद चल नहीं पाए। ऐसे में देखना यह होगा कि जब मामला शिक्षा मंत्री के संज्ञान में आ गया है तो क्या शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय इस टेंडर को निरस्त करने के बाद नई टेंडर में लेटस्ट वर्जन के टैब की निविदा डालते है। जिससे छात्रों को बेहतर टाइम मिल सके। लेकिन जो सवाल खड़े हो रहे हैं उससे यह भी हो रहे हैं कि आखिर क्या शिक्षा विभाग में पुरानी टैब को दिए जाने से भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा था। वहीं कई लोगों का मानना है कि किसी व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए पुराने वर्जन टैब बांटे जाने को लेकर टेंडर में शर्तें एंड्राइड 6 वर्जन की डाली गई है।

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