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शिक्षकों के साथ विभाग कर रहा है धोखा,बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के बहिष्कार को मिल रहा है समर्थन,नियमावली को कोर्ट में चैलेंज करे संगठन – सुभाष

देहरादून। शिक्षा विभाग में लंबे अरसे से पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षकों को आखिरकार खाली हाथ मायूस होकर ही सेवानिवृत्ति पर घर जाना पड़ा। जिस आशा और विश्वास के साथ 30 अथवा 35 वर्ष पूर्व जिस पद पर कार्यभार ग्रहण किया था,शिक्षा विभाग और शासन की उदासीनता के कारण अंततः उसी पद से सेवानिवृत्त होना पड़ा,यह बयान राजकीय शिक्षक संगठन देहरादून जिले के पूर्व अध्यक्ष सुभाष झलड़ियाल ने जारी किया है। सुभाष झलड़ियाल का कहना है कि  सरकार एवं शिक्षा विभाग नौनिहालों के भविष्य के प्रति कितना जागरूक है इसका इससे ज्यादा जीता-जागता उदाहरण देखने को और क्या मिल सकता है । सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की लंबित मांगों की अनदेखी का खामियाजा शिक्षक एवं छात्र दोनों को भुगतना पड़ रहा है। राजकीय इंटर कॉलेजों एवं हाई स्कूलों में प्रवक्ता और प्रधानाध्यापक तथा प्रधानाचार्य के अनेकानेक पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं । इस प्रकार विद्यालय को भगवान भरोसे छोड़ना और छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना भी एक धोखा है । बच्चे भविष्य के कर्णधार माने जाते हैं । लंबित मांगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय पदोन्नतियां प्रवक्ता, हेड मास्टर एवं प्रधानाचार्य पदों पर एक ज्वलंत मुद्दा है, किंतु विभागीय अधिकारी और सरकार आंखें बंद किए हुए हैं। जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता संगठन को इसका विरोध करना चाहिए । प्रधानाचार्य सीधी भर्ती का पद नहीं है, इसकी नवीन नियमावली में सहायक अध्यापक एलoटीo को पात्र ही नहीं माना गया है। जो कि एलoटीo वाले शिक्षक साथियों के साथ धोखा है। यह पद केवल पदोन्नति‌ से भरें जाने चाहिए, इसमें प्रवक्ता और एलo टीo का कोटा पहले से निर्धारित है। संगठन को प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति ही स्वीकार करनी चाहिए अन्यथा जितने भी शिक्षक साथी पदोन्नति आश लगाए बैठे हैं वह कभी भी शिक्षक पदाधिकारियों को माफ नहीं करेंगे। एक ओर जहां कहा जाता है कि शिक्षकों के सत्रांत लाभ पर सरकार को अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है क्या वहीं अधिकारियों को नियमावली में शिथिलता देकर 2 वर्ष का सत्र विस्तार दिया जा रहा है वह बोझ नहीं है। जिसका संगठन को इसका विरोध करना चाहिए और साथ ही प्रशासनिक पदों पर शिक्षकों की पदोन्नतियों भी की जानी चाहिए । जो व्यक्ति धरातल पर शिक्षणकर अनुभव लेकर आगे बढ़ेगा, प्रशासनिक पद पर आसीन होगा, वह विभाग को नई ऊंचाईयों तक लेकर जाएगा। जिस प्रकार जनपद पौड़ी गढ़वाल कार्यकारिणी ने सरकार और विभाग को मूल्यांकन बहिष्कार की चेतावनी दी है उसी प्रकार सभी जनपदों की कार्यकारिणीयों द्वारा पदोन्नतियां न होने तक मूल्यांकन बहिष्कार की चेतावनी दे देनी चाहिए और तत्काल जनपद स्तर पर धरना प्रारंभ कर देना चाहिए। यदि सरकार नहीं मानती है तो संगठन को उच्च न्यायालय से नियमावली को चैलेंज करना होगा । यही शिक्षक साथियों के लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा। कि हम उन्हें पदोन्नति दिला सकें।

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