शिक्षा विभाग में शिक्षक नेता का ट्रांसफर बना फुटबॉल का गोल पोस्ट,फुटबॉल की तरह घूम रहा है ट्रांसफर,नियमों के तहत हुए क्लीन बोर्ड
देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में अजीबो गरीब मामला देखने को मिला है,जी हां मामले की खास बात यह है की मामले में शिक्षा विभाग को शिक्षक नेता ने कठपुतली बनाकर रखा है, जी हां शिक्षक नेता के द्वारा पहले खुद का ट्रांसफर करवाया जाता है और फिर जो चाहा उनकी ट्रांसफर करवाने के पीछे थी उसमें जब वह कामयाब नहीं होते हैं तो वह फिर अपना ट्रांसफर निरस्त करवा देते हैं, लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी शिक्षा विभाग शिक्षक नेता के खिलाफ कुछ नहीं कर पाता है,क्योंकि वह शिक्षक नेता जो ठहरे,वह जब चाहे अपना ट्रांसफर करवा दें और जब चाहे अपना ट्रांसफर निरस्त करवा दें । यह तो उनके लिए एक खेल सा है । जी हां हम बात कर रहे हैं शिक्षक नेता अनिल नौटियाल की जिन्होंने अपना ट्रांसफर महेशानंद बहुगुणा इंटर कॉलेज माजरा रायपुर देहरादून से देहरादून में ही अंबावती दून वैली इंटर कॉलेज पंडितवाडी विकासखंड सहसपुर में करवाया, लेकिन ट्रांसफर होने के बाद लॉकडाउन पीरियड के दौरान शिक्षक नेता की रिलीविंग और जॉइनिंग पहले ही जहां सवालों के घेरे में आ गई थी, वही नियमों के विपरीत शिक्षक नेता को प्रधानाध्यापक का चार्ज सौंप दिया गया । जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो शिक्षा विभाग से लेकर स्कूल प्रबंधन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे । खास बात यह रही कि देहरादून की मुख्य शिक्षा अधिकारी ने शिक्षक नेता को प्रधानाचार्य का चार्ज दिए जाने को गलत ठहरा दिया। जिसके बाद भी स्कूल प्रबंधन नहीं माना पूरे मामलों के देखा जाए तो अंबावती दून वैली इंटर कॉलेज पंडितवाडी मैनेजमेंट की भूमिका सवालों के घेरे में रही, इस दौरान मैनेजमेंट ने नियमों को ताक पर रखकर प्रधानाचार्य का चार्ज बिना स्कूल में सेवा दिए हुए अनिल नौटियाल को जहां प्रधानाचार्य का चार्ज सौंप दिया। वही शिक्षा विभाग की उन नियमों की भी हवा उड़ा दी जो किसी तरीके से अनिल नौटियाल को प्रधानाचार्य बनाए जाने को लेकर फिट नहीं बैठते थे। मामले ने तूल पकड़ा तो मुख्य शिक्षा अधिकारी ने जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच करवाई। हालांकि कि फिर भी शिक्षक नेता के द्वारा कई तरह की कोशिशें इस दौरान की गई लेकिन मुख्य शिक्षा अधिकारी की एडिंग रवैया के चलते शिक्षक नेता की ना चली यहां तक की मामला शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के संज्ञान में भी था लेकिन शिक्षक नेता को गलत तरीके से चार्ज दिए जाने के मामले में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी आंखें मूंद दी । लेकिन जब शिक्षक नेता को लगा की वह नियमों के विपरीत प्रधानाचार्य अब नहीं बने रह सकते तो उन्होंने अपना ट्रांसफर निरस्त करने के लिए आवेदन कर दिया । जिसे मंजूर कर लिया गया । अपर निदेशक माध्यमिक गढ़वाल मंडल महावीर बिष्ट ने ट्रांसफर निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए है।
लेकिन कुछ सवाल अशासकीय स्कूल पर उठते है
क्या दून अम्बवाती स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों को नही मानता है, और अगर मानता तो फिर क्यों प्रधानचार्य के पद के लिए दूसरे स्कूल से ट्रांसफर करा कर भखेड़ा खड़ा किया गया।
शिक्षा के मन्दिर को स्कूल प्रबंधन ने क्यो बदनाम करके रखा है,एक शिक्षक के नेता के चक्कर मे स्कूल ने जो बदनामी करवाई है और शिक्षा विभाग का समय बर्बाद करवाया है क्या उसकी भरपाई की जा समति है ।
उत्तराखंड के कई अशासकीय स्कूलों में प्रधानचार्य का चार्ज गलत तरीके से सौंपा गया है क्या शिक्षा विभाग इसका संज्ञान लेगा।
अशासकीय स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा विभाग कब तक आंखें मूंदे रखेगा।
पहले ट्रांसफर और फिर उसे निरस्त किया जाना, क्या शिक्षा विभाग के अधिकारियों का यही काम है, जो शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की वजह अपना बेकार का समय शिक्षकों के ट्रांसफर करने और फिर उसे निरस्त करने में ही लगे रहें ।
शिक्षा मंत्री ने संज्ञान लेने की बजाय मामले पर डाला पर्दा
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री यूं तो अपने कड़क फैसलों के लिए जाने जाते हैं, यहां तक की उनकी छवि यह भी बन चुकी है कि वह शिक्षकों की मनमानी और शिक्षकों के द्वारा की जाने वाली किसी भी तरह की राजनीति को बर्दाश्त नहीं करते हैं, लेकिन शिक्षक नेता अनिल नौटियाल के मामले में जिस तरीके से शिक्षा मंत्री ने संज्ञान नहीं लिया उससे सवाल उठता है कि क्या शिक्षा मंत्री का कड़क मिजाज अब फीका पड़ चुका है,जो विभाग में गलत होने पर भी वह एक्शन नहीं लेंगे,या शिक्षा मंत्री बयानों तक ही विभाग में गलत न होने की बात कहते रहेंगे। शिक्षा मंत्री अगर पहले इस मामले का संज्ञान ले लेते तो यह आदेश पहले ही जारी हो जाते या तो स्कूल प्रबंधन पर नियमों के विपरीत प्रधानाचार्य का चार्ज देने को लेकर कार्रवाई करते हुए प्रशासक की नियुक्ति स्कूल में कर देते ।