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पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के बयान से मची खलबली,शिक्षा विभाग के 19 अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग,प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और अधिकारियों की लापरवाही से है खफा

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बयान से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है,पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने 4 मुख्य शिक्षा अधिकारियों और 15 खंड शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की मांग की है,जिसके लिए वह शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी से बात करने वाले है। शिक्षा मंत्री रह चुके अरविंद पांडे का कहना है,कि अभिभावकों की पीड़ा को समझते हुए, उनकी सरकार ने एनसीईआरटी पुस्तकों को लागू करवाने का काम किया था,क्योंकि एक तो एनसीईआरटी की पुस्तकें सस्ते दामों पर उपलब्ध हो जाती है,और दूसरा एनसीआरटी एक धर्म ग्रंथ है,जिससे अच्छी शिक्षा हासिल होती है। लेकिन कुछ शिकायतें जिस तरीके से मिल रही हैं,उससे लग रहा है कि कुछ स्कूलों ने महंगी किताबें खरीदवाने का काम किया है,जिससे अभिभावक परेशान है, कुछ अधिकारियों की लापरवाही से सरकार बदनाम हो रही है,जिसे वह होने नहीं देंगे । इसलिए ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जिनकी लापरवाही है, उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी को उन्होंने निर्देश दिए हैं,कि जिन स्कूलों ने नियमों के विपरीत जाकर महंगी किताबों को खरीदवाने का काम किया है, उनकी मान्यता को समाप्त किया जाए,साथ ही जिन 4 जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने की मांग पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे कर रहे हैं,उनमें देहरादून,हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी हैं। ऐसे में देखना होगा कि आखिर कार जिस तरीके से पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के तेवर इस समय देखने को मिल रहे हैं,क्या सरकार ऐसे अधिकारियों पर वास्तव में सस्पेंड की कार्रवाई करेगी जो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने में नाकाम रहे है। और 4 जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों के साथ 15 खंड शिक्षा अधिकारियों में से क्या किसी पर कोई कार्रवाई सरकार करती है।

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