काउंसिलिंग के माध्यम पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर की व्यवस्था स्वागत योग्य,लेकिन कार्य मुक्त करने की बाध्यता न्याय संगत नहीं,बिना शर्त किया जाए कार्यमुक्त – माजिला
देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह माजिला का कहना है कि लोक सेवकों के लिए वार्षिक ट्रांसफर अधिनियम 2017 के आलोक में सत्र 2024 -25 में हो रहे ट्रांसफर में सिर्फ शिक्षा विभाग में काउंसिलिंग के माध्यम पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर की व्यवस्था किया जाना सरकार का स्वागत योग्य कदम है, इस व्यवस्था से कथित “ट्रांसफर उद्योग ” जैसी शब्दावली पर विराम लगा है। किंतु उच्च न्यायालय में योजीत पीएलआई दौलत राम सेमवाल बनाम राज्य में पारित निर्णय के आधार पर 70% शिक्षक सस्था में होने पर स्थानांतरित शिक्षक को कार्यमुक्त करने की बध्याता न्याय संगत नही है, क्योंकि पीएलआई में शिक्षकों की पदस्थापना के संबंध में भी साफ साफ निर्देश जारी किए गए है, जिन पर आज तक कार्यवाही नही हो पाई है, जिसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पढ़ रहा है। चूंकि पीआईएल का निर्देश पूर्व से जारी थे इसलिए काउंसलिंग हेतु जारी विभागीय विज्ञापन में 70% की बाध्यता का खुलासा होता तो शिक्षकों को इस बारिश के रेड अलर्ट में जान जोखिम में डाल कर निदेशालय व मंडल मुख्यालय की दौड़ नही लगानी पड़ती। अब काउंसलिंग में शिक्षकों को बुलाया गया है तो बिना शर्त कार्यमुक्त किया जाय।
प्रवक्ता के पद 50% एलटी से पदोन्नति से भरे जाने की व्यवस्था सेवा नियमावली में है, विगत ४ वर्षो से पदोन्नति नही हुई है। जब तक एलटी से प्रवक्ता के पदों पर पदोन्नति नही हो जाती तब तक पर्वतीय जनपदों में 70% शिक्षक होना संभव नहीं है।