आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर कर्मचारियों का सरकार को अल्टीमेटम,मांग न मानने पर गैरसैंण करेंगे कूच,बिजली पानी की सेवाएं होंगी ठप्प
देहरादून । उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर 2 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को लेकर सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने सरकार को 2 मार्च सुबह 9 बजे तक अपनी मांग को लेकर लिखित आदेश पर हड़ताल वापस लेने की बात कही है, उत्तराखंड जनरल ओबीसी एंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि यदि सरकार 2 मार्च सुबह 9 बजे तक लिखित आदेश जारी कर प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने के आदेश जारी कर देती है तो मोर्चा आंदोलन वापस ले लेगा, अन्यथा सुबह 9 बजे से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे ।
गैरसैंण में भी करेंगे प्रदर्शन
साथ ही 3 मार्च को कर्मचारी गैरसैंण विधानसभा भवन का घेराव करेंगे। आपको बतादे की 3 मार्च से ही उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है,और 3 मार्च को सत्र के पहले ही कर्मचारी सरकार को अपने आंदोलन की ताकत का ऐहसास कराने गैरसैंण पहुंचेंगे।
हड़ताल हुई तो बिजली पानी की आपूर्ति होगी ठप
5 मार्च से उत्तराखंड में सभी आवश्यक सेवाएं बाधित कर दी जाएंगे, जिसमें बिजली पानी भी शामिल है, दीपक जोशी का साथ ही कहना है कि देशभर के राज्यों से कर्मचारी संगठनों को उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है, सात से आठ राज्यों के प्रतिनिधि जहां आंदोलन को समर्थन देने उत्तराखंड पहुंचे हुए हैं, वही कई राज्यों ने आंदोलन को समर्थन देने के लिए पत्र भेज दिए हैं। देश के सभी राज्यों के कर्मचारी संगठनों से आश्वासन मिला है, यदि सरकार किसी तरह का उत्पीड़न आंदोलन के दौरान कर्मचारियों का करेगी तो देशभर के राज्य में कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे।
हड़ताल हुई तो सत्र पर पड़ सकता है असर
खास बात ये है कि कर्मचारियों की हड़ताल का असर गैरसैंण विधानसभा सत्र पर भी पड़ सकता है,बताया जा रहा है कि कई ऐसे कर्मचारी है जिनकी ड्यूटी गैरसैंण सत्र में लगी हुई है और उन्होंने अपने विभाग को अवगत करा दिया है कि वह सत्र में शामिल न होकर आंदोलन में शामिल होने जा रहे है।
मुख्यमंत्री को है कर्मचारियों पर भरोषा
हांलाकि आज मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कर्मचारी संगठन से वार्ता कर समाधान निकाल लिया जाएगा,ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब सरकार के पास कुछ घटने कर्मचारियों को मानने के लिए बचे हुए है तो फिर कब जाकर कर्मचारियों से वार्ता की जाएगी ताकि कर्मचारी हड़ताल पर न जाये है आम जनता को दिक्कतों का सामना न करना पड़े ।