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आपदा विभाग में छात्रवृत्ति घोटाले के तर्ज पर हुआ बड़े घोटाले के आरोप,भाजपा प्रवक्ता ने शासन में बैठे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

देहरादून। आपदा प्रबन्धन विभाग और घोटालों का जैसे चोली दामन का साथ है, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से दो संविदा कार्मिकों ने 06 करोड रुपय से भी ज्यादा का गबन किया है। जुगरान ने आरोप लगाया है कि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केंद्र DMMC के ऐसे कई प्रकरण हैं जिनमें घोर वित्तीय अनियमितताएं की गयी हैं और करोड़ों रुपय का हेर फेर किया गया है, फर्जी बिलों से समायोजन करके करोड़ों रूपय गबन किये गये हैं।

इसी प्रकरण पर जुगरान ने तीसरी बार पत्र लिखकर मुख्य सचिव, सचिव आपदा प्रबंधन, सचिव कार्मिक, सचिव वित्त और अपर सचिव आपदा प्रबंधन विभाग को दूसरा रिमाइंडर भेज कर याद दिलाया है कि उन्होंने 20 जनवरी 2022 को पत्र के माध्यम से शासन को यह अवगत करवाया था कि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केंद्र (DMMC) में संविदा में कार्यरत अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला और संविदा में कार्यरत वित्त अधिकारी  के०एन० पाण्डे के द्वारा DMMC के अकाउंट से डाक खर्च और ग्रैचुटी के नाम पर अनाधिकृत आहरण कर लगभग 01 करोड 20 लाख से अधिक की धनराशी के गबन किया गया है।

अपने पत्र में जुगरान ने आरोप लगाया है कि 01 करोड 20 लाख से अधिक की धनराशी का गबन तो केवल दो प्रकरणों का लेखा जोखा है, आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केंद्र (DMMC) के ऐसे कई प्रकरण हैं जिनमें घोर वित्तीय अनियमितताएं की गयी हैं और करोड़ों रुपय का हेर फेर किया गया है।

जुगरान ने मुख्य सचिव से मांग की है कि गबन की गयी धनराशी के सटीक आंकड़े प्राप्त करने के लिये DMMC के वर्ष 2006 से वर्ष 2020 तक के प्रत्येक वर्ष के आय व्यय व वित्तीय खर्चों की महालेखाकार उत्तराखण्ड कार्यालय से Special Audit/जाँच करायी जाये तथा इस गबन में  पीयूष रौतेला और  के०एन० पाण्डे के अलावा शासन के कौन कौन अधिकारी/कर्मचारी सम्मिलित हैं और गबन की गयी धनराशी किन किन लोगों को बांटी गयी है इसकी जाँच पृथक से SIT से करायी जाये।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि DMMC के द्वारा करवायी गयी कई मैसन ट्रेनिंग, प्रत्येक वर्ष बिना निविदा के खोज बचाव उपकरणों की खरीद और बिना निविदा के निजी कंपनी के वाहनों की सेवा तथा कार्यालय उपकरणों की खरीद, प्रत्येक माह में लगभग 20 दिन के मीटिंग के खाने व चाय नास्ते के बिल, इत्यादि अनेक ऐसे कार्य किये गये हैं जिनमें करोड़ों रूपय का हेर फेर किया गया है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि छात्रवृत्ति घोटाले की तरह यह प्रकरण भी सरकारी धन के लूट और गबन का एक बहुत बड़ा प्रकरण है, जनता और राज्य के करोड़ों रुपय की खूलेआम लूट कर दी गयी और राज्य के धन का संरक्षक वित्त विभाग साक्ष्य उपलब्ध करवाये जाने के बाद भी अभी तक मूकदर्शक बना हुआ है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि वित्त विभाग, आपदा विभाग और कार्मिक विभाग जानबूझकर गबन के इस प्रकरण पर कार्यवाही को लंबित कर रहे हैं ताकि किसी भी प्रकार से जाँच ना होने पाये, क्योंकि आरोपियों को भय है कि यदि 01 करोड 20 लाख के गबन की जाँच हुयी तो निश्चित ही कई करोड रुपय का गबन जाँच में सार्वजनिक हो जायेगा।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि जनता और राज्य के धन के करोड़ों रुपय के लूट के इतने गंभीर प्रकरण पर शासन द्वारा गबन के आरोपियों पर कार्यवाही ना करके और उन्हें सरक्षण प्रदान करके सरकार की नीतियों के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है, सरकार को बदनाम करने का कार्य किया जा रहा है।

जुगरान ने अपने पत्र में कहा है कि यदि गबन के इस प्रकरण की जल्द महालेखाकार से Special Audit जाँच और आरोपियों के चिन्हीकरण के लिये SIT से जांच की कार्यवाही नहीं की गयी तो वे इस प्रकरण को भी छात्रवृत्ति घोटाले की तरह जाँच किये जाने के लिये  उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

गबन के इतने गंभीर प्रकरण पर 07 माह पूर्व साक्ष्यों सहित शिकायत होने के बावजूद भी शासन के द्वारा आरोपियों पर जाँच की कार्यवाही ना करना उन्हें बचाने की एक कोशिश मात्र है और इससे कई ऐसे यक्ष प्रश्न खड़े हो रहे हैं जिनका  उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तर देना शायद आपदा विभाग, वित्त विभाग और शासन के लिये संभव ना हो पाये। अब देखते हैं कि शासन और सरकार करोड़ों रूपय के गबन के इस प्रकरण पर स्वयं जाँच बिठाकर आरोपियों पर विधिक कार्यवाही करते हैं या इस प्रकरण में भी उच्च न्यायालय के आदेश पर ही जाँच होगी। जो भी हो छात्रवृत्ति घोटाले की तरह गबन के इस प्रकरण में शासन के कई अधिकारियों का फंसना तय है।

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