सम्पादकीय

उत्तराखंड के अध्याय में आज का दिन काला धब्बा,26 साल बाद भी नहीं मिली दोषियों को सजा,आंदोलनकारियों में आक्रोश

देहरादून। पूरा देश आज जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंति के साथ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंति को मना रहा है, वहीं उत्तराखंड आज उन शहीदों को याद कर रहा है,जिन्होने उत्तराखंड राज्य दिलाने की मांग को लेकर अपनी शहादत दे दी थी,2 अक्टूबर का दिन उत्तराखंड के अध्याय में काले दिवस के रूप में भी याद किया जाता है,क्योंकि इसी दिन मुजफफर नगर की वह घटना घटी थी,जो अभी आंदोलनकारियों को आक्रोशित कर देती है।

आंदोलनकारियों पर चली थी गोली,महिलाओं के साथ हुआ था अत्याचार

उत्तराखंडराज्य की मांग को लेकर किए गए अहिंसात्मक आंदोलन का लोहा जहां देश और दुनिया भी मानती है,लेकिन उत्तराखंड वासियों के द्धारा राज्य की लड़ाई की मांग को लेकर फिर भी कई आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों को भी न्यौछावार कर दिया। उत्तराखंड की मांग को लेकर कई आंदोलनकारी शहीद हो गए,लेकिन उत्तराखंड की मांग को लेकर मुजफ्फरनगर रामपुर तिराह कांड को आज भी उत्तराखंड के लिए काले अध्याय के रूप में एक धब्बा सा माना जाता है। क्योंकि उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर जब आंदोलनकारी 1 अक्टूबर 1994 को दिल्ली कूच कर रहे थे,तभी मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराह पर आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोली चला दी,जिसमें बताया जाता है कि 7 से 9 आंदोलनकारी शहीद हो गए तो 4 आंदोलनकारी शहीद अभी भी लापता है, कई आंदोलनकारी महिलाओं के साथ बर्रबरता और अत्याचार भी किया,लेकिन दुर्भाग्य ये है कि 26 साल बाद भी आज उन निर्दोष आंदोलनकारियों पर गोली चलाने वाले पुलिस कर्मियों और महिला के साथ अत्याचार करने वालों को काई सजा नहीं मिल पाई।

धिक्कार दिवस के रूप में आंदोलनकारियों ने मनाया काल दिवस

राजधानी देहरादून के शहीद स्मारक में जहां आज कई राजनेताओं ने पहुंचकर उत्तराखंड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी,वहीं राज्य आंदोलनकारी शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए धिक्कार दिवस के रूप में मुजफ्फरनगर रामपुर तिराह कांड की 26 वर्षी मना रहे थे,राज्य आंदोलनकारी जगमोहन सिंह नेगी का कहना है आज 26 साल मुजफ्फरनगर कांड की वर्षी को हो गए है,लेकिन दोषियों को सजा नहीं मिल पाई,यह एक दुर्भाग्यपूर्ण है,क्योंकि उत्तराखंड कि किसी भी सरकार ने आज तक दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई कदम नही उठाया,इसी लिए वह आज उत्तराखंड के उन सरकारों और विधानसभा पहुंचने वाले सदस्यों को चेताने के लिए धिक्कार दिवस मना रहे है जिन्होंने विधानसभा में आज तक मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को सजा दिलाने के चर्चा तक नही की।

राज्य आंदोलनकारी जुगरान ने दायर की है याचिका

राज्य आंदोलनकारियों को आक्रोष इस बात को लेकर साफ देखा जा सकता है कि 26 सालों के बाद भी इस घटना के दोषियों को सजा नहीं मिल पाई,वहीं राज्यआंदोलनकारी रविद्र जुगारान का कहना है कि 20 वर्षों में जितनी भी सरकारें उत्तराखंड में रहीं उन्होने अपनी जिम्मेदारी दोषियों को सजा दिलाने की नहीं समझी इसलिए सरकार कोर्ट में पक्षकार नहीं बनी जिससे समझा जा सकता है कि दोषियों को बचाने की सरकारों ने सोची लेकिन उन्होने ईलाहबाद हाईकोर्ट में इसको लेकर याचिका डाली है,और उनहे उम्मीद है कि उत्तराखंड को उनकी याचिका से न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी।

कोर्ट के फैसले पर टिकी है उम्मीदें

उत्तराखंड को बने हुए बेशक 20 वर्ष हो गए हों लेकिन इन 20 सालों में किसी भी सरकार के द्धारा मुजफ्फरनगर रामपुर तिराह कांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए ठोस पैरवी न करने को लेेकर सभी सरकारों की मंसा पर राज्य आंदोलनकारी सवाल खड़े करते है,लेकिन ऐसे में देखना ये होगा कि जो याचिका ईलाहबाद हाईकोर्ट में दायर की गई है, और उस पर सुनवाई चल रही तो क्या उस सुनवाई के बाद मुजफ्फरनगर रामपुर तिराह कांड के दोषियों को सजा मिल पाएंगी।

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