शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोके जाने के खिलाफ कल हाईकोर्ट में होगी सुनवाई,शिक्षा महानिदेशक को भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहने के निर्देश
देहरादून। उत्तराखंड शासकीय स्कूलों में शिक्षकों के साथ कार्मिकों की भर्ती प्रक्रिया को शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत के निर्देश के बाद अस्थाई रोक लगी हुई है। शासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया रुके जाने के सरकार के आदेश के खिलाफ अशासकीय विद्यालय प्रबंधन एसोसिएशन हरिद्वार जिले के सचिव अरविंद राठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर कल हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। खास बात यह है कि हाईकोर्ट में कल होने वाली सुनवाई के लिए शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद ही शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के द्वारा अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया पर अस्थाई रोक लगाई गई थी। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में कल सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट में अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया रोके जाने के खिलाफ अरविंद राठी ने याचिका दायर की। अरविंद राठी का कहना है कि उत्तराखंड के कई स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है । लेकिन सरकार के इस आदेश से भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि उत्तराखंड के जिन अशासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी है,उन स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है, और इसी पहलू को देखते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाने को देखते हुए याचिका डाली। उन्हें उम्मीद है कि कल होने वाली सुनवाई में जो भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी हुई है, उस पर फैसला उनके हक में आएगा, और अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी। जिसका नुकसान छात्रों को ना उठाना पड़े। उत्तराखंड के कई अशासकीय स्कूलों में छात्रों की संख्या 1000 से ज्यादा है,लेकिन भर्ती प्रक्रिया रोके जाने से छात्रों को शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रुके जाने के पीछे अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया में धांधली की आशंका को बताए,लेकिन जिस तरीके से अब सरकार ने अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर नियम बनाए हैं उसमें धांधली होने की कोई आशंका नहीं है,क्योंकि पहले टॉप सेवन की मेरिट बनती है और उसके बाद पांच नंबर का इंटरव्यू होता है। जिसमें से दो नंबर दिए जाने हर अभयार्थी को अनिवार्य है, ऐसे में 7 अभ्यर्थियों में तीन नंबर के लिए धांधली होने का सवाल नहीं है, और यही तर्क हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी रखा जाएगा। क्योंकि सरकार ने इस नियम को बनाया है। वहीं अशासकीय विद्यालय प्रबंधन एसोसिएशन, उत्तराखंड के अध्यक्ष जितेंद्र नेगी का कहना है, कि सरकार एक तरफ उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार देने की बात करती है । दूसरी तरफ उत्तराखंड के स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है,जिससे जो रोजगार उत्तराखंड के युवाओं को मिलना था। उससे वंचित रखा जा रहा है जिससे समझा जा सकता है, कि धामी सरकार की कथनी और करनी में रोजगार देने को लेकर कितना बड़ा अंतर है।
हाईकोर्ट के फैसले पर नजर
कुल मिलाकर देखें तो उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश के बाद अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया पर अस्थाई रोक लगा दी गई थी। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में कल सुनवाई होनी है ऐसे में उत्तराखंड के अशासकीय स्कूलों में भर्ती प्रक्रिया को लेकर क्या कुछ निर्णय हाईकोर्ट से आता है इस पर अब सबकी नजरें लगी हुई है।