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उत्तराखंड : ऊर्जा विभाग में निकले वाली सीधी भर्ती को रोकने की CM से मांग,किसने और क्यों की गई मांग जानिए वजह

देहरादून । उत्तराखंड ऊर्जा विभाग के तीन निगमो में उत्तराखंड शासन से 764 पदों पर भर्ती की मंजूरी मिलने से जहां कई युवा बेरोजगार नौकरी का ख्वाब संजो बैठे है वहीं भर्ती को पर रोक को लेकर भी आवाज उठनी शुरू हो गयी है जी हाँ ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों के उपनल कर्मचारी भर्ती पर रोक लगाने की मांग मुख्यमंत्री से कर दी है,उपनल कर्मचारियों का कहना है ऊर्जा सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, यूजेविएन लि0 व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये हैं। इस सम्बन्ध में संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों/सदस्यों से दुरभाष व शोषल मीडिया के माध्यम से चर्चा हुई चर्चा के दौरान सभी का कहना था कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा ऐसे समय में यह संविदा कर्मचारी विरोधी कार्यवाही की जब पूरा देश व राज्य कोरोना महामारी से जूझ रहा है और तीनों निगमों के संविदा कर्मी पूरी मेहनत व ईमानदारी से प्रदेश वासियों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्रदान करने का कार्य कर रहें हैं इससे संगठन के प्रत्येक सदस्य में भारी रोष है तथा यदि शीघ्र ही उक्त भर्ती प्रक्रीया पर रोक नहीं लगाई गई तो औद्योगिक अशान्ति फैलने की पूरी सम्भावना है।


संगठन कुछ तथ्य उत्तराखण्ड शासन के सम्मुख प्रस्तुत करना चाहता है कि माननीय औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी द्वारा अपने निर्णय दिनांक 12.09.2017 के माध्यम से उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक कल्याण नि0 व उपाकालि, यूजेविएनएल, पिटकुल के मध्य हुए अनुबन्ध को छद्म व धूमावरण से ग्रसित मानते हुए सभी उपनल संविदा कार्मिकों को तीनों निगमों के दैनिक वेतन भोगी मानते हुए विनियमितिकरण नियमावली-2011 के तहत नियमित करने व जो लोग इस नियमावली के अन्तर्गत नहीं आते हैं उन्हंे समान कार्य के लिए समान वेतन मंहगाई भत्ते सहित दिये जाने हेतु निर्देशित किया गया था। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखण्ड शासन के सम्मुख या तो उपरोक्त तथ्य नहीं रखे गये हैं अथवा जानबूझकर मा0 न्यायालय के निर्णयों की अवमानना करते हुए भर्ती प्रक्रीया शुरू कर संविदा कर्मचारियों के मनोबल को गिराने का कार्य किया गया है जिसे किसी भी सुरत में सही नहीं ठहराया गया है संगटन को ऐसा भी प्रतीत होता है तीनों निगम प्रबन्धनों द्वारा मा0 मुख्यमंत्री जी से निजी स्वार्थों के लिए तथ्यों को छूपाते हुए सीधी भर्ती प्रक्रीया प्रारम्भ करने की साजिश की है। संगठन, उत्तराखण्ड शासन जी से मांग करता है कि तत्काल उक्त भर्ती प्रक्रीया पर रोक लगायी जाये जिन पदों पर उपनल के माध्यम से संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं अन्यथा कि स्थिति में संगठन आन्दोलन के लिए बाध्य होगा तथा विदिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए मा0 न्यायालय की शरण में जाने हेतु विवश होना पडे़गा। किसी भी औद्योगिक अशान्ति के उत्तराखण्ड शासन व तीनों निगम प्रबन्धन जिम्मेदार होगा।

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