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वीडियो : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की मनस्विनी और यशस्विनी की सराहना,सामाजिक कार्यों में हिस्सेदारी को लेकर की सरहाना

देहरादून । उत्तराखंड के बार त्यौहारों से लेकर उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े रहने की मुहिमों में सबसे आगे दिखाई देने वाले शशिभूषण मैठाणी ने लॉक डाउन के दौरान अपनी दो बेटीयों के साथ एक मिशाल पेश की है जिसकी सरहाना मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी की है,शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ सामाजिक क्षेत्र में चिर-परिचित व्यक्तित्व हैं । वह निरंतर अपनी क्षमताओं से और मित्रों के सहयोग से समाज में लगभग ढ़ाई दशकों से सक्रिय हैं । उत्तराखंड की कला, संस्कृति और परंपराओं के प्रोत्साहन, तीज त्यौहार तथा लुप्त होती परंपराओं के पुनर्जीवन में उनकी सक्रियता भी किसी से छिपी नहीं है । उनके द्वारा स्थापित ‘यूथ आइकन वाई. आई. नेशनल अवार्ड’ भी इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह सुपात्रों को ही दिया जाता है। जबकि प्रतिवर्ष उसका आयोजन करने में मैठाणी को बहुत परिश्रम करना पड़ता है। मैठाणी अपनी पुत्रियों मनश्विनी मैठाणी और यशस्विनी मैठाणी के साथ हर मोर्चे पर दिखाई देते हैं। दोनों बेटियां उनकी दो आंखें, दो हाथ बनकर उनका मनोबल बढ़ाती हैं । अदृश्य रूप से उनकी पत्नी तनुश्री भी इन सभी अभियानों की मेरुदंड होती हैं। शशि भूषण मैठाणी सर्दियों भर हर वर्ष जरूरतमंदों को समौण इंसानियत की मुहिम के तहत गर्म कपड़े बांटते रहे, गंदगी के खिलाफ रंगोली आंदोलन और भिक्षावृत्ति के खिलाफ समौण में कुट्यारी स्वाभिमान की के तहत रचनात्मक आंदोलन समाज को जागृत करने के लिए चलाते रहते हैं । हाल ही इस कोरोना काल में अपनी दोनों नन्हीं बेटियों के साथ कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में 3 हजार से अधिक परिवारों को 10 – 10 किलो राशन और आवश्यक वस्तुएं मुहैया कराते रहे, किंतु उन्हें किसी ने कोरोना वॉरियर्स जैसा प्रमाण पत्र नहीं दिया और दिया भी नहीं जाना चाहिए क्योंकि जिन्हें दिया जा रहा है उनमें और मैठाणी में जमीन आसमान का अंतर है ।

सीएम ने की सरहाना
शशि भूषण मैठाणी पारस व उनकी दोनों बेटियों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का वह वीडियो संदेश जिसमें उन्होंने शशि भूषण मैठाणी का विशेषकर उनकी पुत्रियों मनस्विनी और यशस्विनी का जिक्र करके मैठाणी के अभियान की प्रशंसा की है । निःसन्देह शशि भूषण व उनकी पुत्रियां इसके हकदार भी हैं, क्योंकि उनका नि:स्वार्थ अभियान और उनकी रचनात्मक तथा आशावादी पत्रकारिता उन्हें सबसे अलग खड़ा करती है ।

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