निर्मला गहतोड़ी ने क्या मान ली है परिणाम से पहले हार,कांग्रेस संगठन पर उठाए सवाल,सीएम का साथ देने की कही बात
देहरादून। चंपावत विधानसभा उपचुनाव के नतीजा चिट्ठी पहले लगता है कांग्रेस की प्रत्याशी निर्मल गहतोड़ी ने हार मार ली है, इसीलिए वहां कांग्रेस संगठन पर भी सवाल उठा रही है, निर्मला का कहना है कि जिस तरीके कांग्रेस संगठन ने सल्ट उपचुनाव लड़ा उस तरीके से कांग्रेस ने चंपावत विधानसभा उपचुनाव नहीं लड़ा। कांग्रेस संगठन की यह कौन सी मजबूरी थी,यह उन्हें पता नहीं लेकिन यह बात साफ है कि 26 मई के बाद कांग्रेस के तमाम बड़े नेता चंपावत छोड़ चुके थे,जब की बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के साथ यूपी से कई विधायक और कार्यकर्ता 31 मई तक पोलिंग बूथ पर मौजूद थे। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 2 दिन के लिए चुनाव प्रचार में जबकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य 26 मई के बाद चंपावत छोड़ कर जा चुके थे। हो सकता है कि कांग्रेस कि कोई बैठक रही हो, इस वजह से वह यहां से जा चुके थे। जबकि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं को वोटिंग तक पोलिंग बूथ पर रहना चाहिए था यह उनका मानना है,लेकिन जो खबरें चलाई जा रही हैं कि निर्मला गहतोड़ी अकेले चुनाव लड़ी वह पूरी तरीके से गलत है। जो एक अखबार में खबर छपी है कि निर्मला के लिए चुनाव लड़ी वह पूरी तरीके से गलत है। कॉन्ग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है और कांग्रेस के सिंबल पर वह चुनाव लड़ी। जिस तरीके से सल्ट में उपचुनाव लड़ा गया,यदि अगर इसी तरीके से चंपावत में भी उपचुनाव लड़ा जाता तो वह खुद बहुत मजबूत स्थिति में होती। बीजेपी के लिए उत्तराखंड से बाहर के लोग भी मॉनिटरिंग कर रहे थे। पोलिंग बूथों पर यूपी के कई विधायक और नेता मॉनिटरिंग कर रहे थे जबकि कांग्रेस के नेता कोई मॉनिटरिंग नहीं कर रहे थे यह मतदान के दौरान भी फर्क देखा गया। भाजपा ने चुनाव को बहुत बड़ा बनाया, यदि अगर भाजपा 50,000 से ज्यादा मतों का जीतने का दावा कर रही है तो यह कौन सी गणित भाजपा की है यह वही जाने, उनकी जीत उसी दिन हो गई थी जिस दिन बीजेपी डर के मारे योगी आदित्यनाथ को प्रचार के लिए पहुंचे, यदि अगर भाजपा यह दावा कर रही है कि वह 50,000 से चुनाव जीत रहे हैं तो भाजपा ने जिस तरीके से सारे बूथ कैप्चर किए हैं, भाजपा यह भी कह दे कि सारे वोट उन्हीं को पड़े तो कोई गलत नहीं होगा। चंपावत में संगठन पूरी तरीके से कमजोर हो चला है दो चार लोग ही संगठन के बचे हुए हैं और फिर से संगठन खड़ा करना होगा,क्योंकि संगठन में जो भी लोग थे वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं। निर्मला ने कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल पर भी सवाल खड़े किए, निर्म का कहना है कि जिस तरीके से निवर्तमान विधायक कैलाश गहतोड़ि ने हेमेश खर्कवाल पर आरोप लगाए कि मुख्यमंत्री विकास के लिए चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए हिमेश खर्कवाल चुनाव नहीं लड़े, इसलिए उनका मानना है कि हेमेश खर्कवाल को उन बयानों का खंडन करना चाहिए था कि वह किन कारणों से वह चुनाव नहीं लड़े जिसका की चुनाव में नुकसान हुआ है, कैलाश ने यहां तक कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी को अपना नामांकन विड्रोल कर देना चाहिए लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर भी सवाल कैलाश से किए कि उन्होंने जीती हुई सीट कितने में बेची,कैलाश गहतोड़ी के सवालों का जवाब हेमेश खर्कवाल ने नहीं दिया इससे नुकसान हुआ है। हेमेश खर्कवाल किन कारणों से चुनाव नहीं लड़े यह तो वही बता सकते हैं। हो सकता है चुनाव में खर्चा ज्यादा होता हो यह भी एक कारण रहा हो कि हमेश खर्कवाल चुनाव न लड़े हो, हालांकि उन्हें इस बात का दुख है कि हेमेश खर्कवाल के भाई का निधन हुआ था,जिस बात का दुख उन्हें भी है,लेकिन भाई के निधन के बाद हेमेश खर्कवाल 2022 का विधानसभा चुनाव लड़े थे। सीएम पुष्कर सिंह धामी के चंपावत विधानसभा सीट से चुनाव जीतने को लेकर निर्मला घोड़ी का कहना है कि वह बदले की भावना से नहीं बल्कि विकास की भावना से सीएम के साथ खड़े होंगे लेकिन यह 6 महीने के लिए समय सीएम को दिया जाएगा यदि अगर 6 महीने तक चंपावत की जनता के विश्वास पर सीएम धामी खरा नहीं उतरते हैं तो फिर वह सीएम धामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर विपक्ष की आवाज बनेगी।