उत्तराखंड से बड़ी खबर

‘युवा उत्तराखंड’ की उम्मीद बनते ‘युवा धामी’

-‘धामी 2.0’ में पर्वतीय जिलों के विकास के प्रति उठाए जा रहे संजीदा कदम

-कृषि-बागवानी, होम स्टे, मोटे अनाजों को दिया जा रहा ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा, स्थानीय आर्थिकी को मजबूत करने पर है जोर

-चम्पावत से लेकर पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, पौड़ी, बागेश्वर में नियमित बनी है सीएम की चहलकदमी

-एक दो जिलों तक सीमित न रहकर सभी 13 जिलों के समावेशी विकास पर है फोकस

देहरादून। 23 साल के युवा उत्तराखंड को आखिर वो नेता मिल गया है जिसका इस नवोदित राज्य को बरसों से इंतजार था। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर के हाथों में अब उत्तराखंड न केवल विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है बल्कि केवल एक दो जिलों तक सीमित न रहकर वे 13 जिलों के समावेशी विकास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जरा, धामी 2.0 के पन्ने पलट कर देखें तो पता चलता है कि मसूरी में पिछले साल हुए चिंतन शिविर में धामी ने समावेशी विकास का जो रोडमैप दिखाया था उस पर वे स्वयं लीड करते नजर आ रहे हैं। देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर से इतर उनका फोकस राज्य के सभी 13 जिलों के विकास पर है। फिर बात चाहे चम्पावत की हो, पिथौरागढ़ की या टिहरी, पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी से लेकर नैनीताल, बागेश्वर की। सीएम धामी ने अपने 2.0 के कार्यकाल में खुद को देहरादून तक सीमित न रख यह दर्शाया है कि वे सभी जिलों का विकास चाहते हैं।

तभी तो एक दिन चम्पावत तो दूसरे दिन उत्तरकाशी में चौपाल लगती है। धामी के इस मूवमेंट ने अफसरों को भी पूरे प्रदेश में घूमकर स्थानीय जरूरतों के हिसाब से नीतियों के निर्माण को प्रेरित किया है। यह पहाड़ी राज्य के इतिहास में ठोस तौर पर पहली बार हो रहा है जब कोई सीएम प्रभावी तरह से खेती, बागवानी, पॉलीहाउस जैसे रोजगार सृजन वाली चीजों पर न केवल बात कर रहा है बल्कि योजनाओं को धरातल पर उतार भी रहा है। अपने कई संबोधनों में धामी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि जब पड़ोसी राज्य हिमाचल में खेती-बागवानी इतनी अच्छी हो सकती है तो हम क्यों पीछे हैं।

धामी जब भी पहाड़ के जिलों में जाते हैं तो होम स्टे में रुकना पसंद करते हैं। उसके पीछे मकसद यही है कि होमस्टे इन क्षेत्रों की आर्थिकी का बड़ा जरिया बनें। यही नहीं, राज्य के मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने में भी पुष्कर पीछे नहीं हैं। मंडुआ, झंगोरा जैसे पहाड़ी अनाज को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है। नए पर्यटन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है। टिहरी झील में वाटर स्पोर्ट्स के चलते यह क्षेत्र आज विश्व फलक पर आ गया है तो सुदूरवर्ती मुनस्यारी, चम्पावत में नए डेस्टिनेशन पर्यटकों को लुभा रहे हैं तो इसके पीछे युवा धामी की दौड़भाग और दूरदर्शी सोच ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!