उत्तराखंड से बड़ी खबर

UKD के कार्यकारी अध्यक्ष ने आपदा विभाग पर लगाया सूचना छिपाने का आरोप,सूचना आयोग में करेंगे सीएम के विभाग की शिकायत

देहरादून । उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हरीश चंद्र पाठक ने मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी के साथ सचिव आपदा प्रबंधन शैलेश बगोली और सचिव प्रभारी एस.ऐ. मुरुगेशन को पत्र भेजकर, 06 फरवरी 2020 को दिये गये एक शिकायत पत्र पर अब तक शासन से कोई कार्यवाही नहीं किए जाने की याद दिलाई । पाठक ने आरोप लगाया है कि उनके पत्र पर कार्यवाही ना करके डा.के.एन.पान्डे को नियम विरूध सेवा में बरकरार रखा गया है।

भाजपा नेता जुगरान ने भी खोला है मोर्चा

आपको बतादे कि भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान भी इस प्रकरण का विरोध कर चुके हैं, और उनके पत्र पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी उत्तराखंड शासन से इस फर्जी पुनरनियुक्ति पर जवाब तलब किया है। लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग को ना तो PMO के जवाब तलब की फिक्र है और ना ही अन्य किसी के विरोध की फिक्र है । इसिलिए इस फर्जी पुनरनियुक्ति के विरूध प्राप्त हुये किसी भी पत्र पर कार्यवाही नही की जा रही है। आपदा प्रबंधन विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है इसलिये आपदा प्रबंधन विभाग की इन कारगुजारियों से मुख्यमंत्री की छवि राज्य में तो खराब हो ही रही है इसके साथ साथ PMO में भी खराब हो रही है, मुख्यमंत्री के विभाग में PMO के निर्देशों का पालन ना होने से मुख्यमंत्री की छवि प्रभावित हो रही है।

फर्जी तरीके से हुई पुनर्नियुक्ति

आपदा प्रबंधन विभाग में संविदा कार्मिक डॉ. के.एन. पान्डे जो कि 31 जुलाई 2019 को सेवानिवृत्त हो गये थे की फर्जी पुनर्नियुक्ति की गई है और इस पुनर्नियुक्ति के दौरान उक्त संविदा कार्मिक को ₹1,37,000 (एक लाख सैंतीस हजार)महीना वेतन दिया जा रहा है। हरीश चंद्र पाठक ने संविदा कार्मिक डा. के.एन. पान्डे की पुनः नियुक्ति को नियम विपरीत बताया है, उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने कार्मिक विभाग द्वारा 27 अप्रैल 2018 को जारी किए गए शासनादेश का उल्लंघन करके उक्त संविदा कार्मिक को पुनः नियुक्ति प्रदान की है, कार्मिक विभाग के शासनादेश के अनुसार 27 अप्रैल 2018 के बाद से किसी भी विभाग में किसी भी कार्मिक की संविदा या आउट सोर्स में नियुक्ति या फिर पुनर नियुक्ति कार्मिक विभाग की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती है, यदि कार्मिक विभाग की अनुमति के बिना कोई विभाग किसी भी कार्मिक की संविदा या आउट सोर्स में नियुक्ति करता है तो उक्त कार्मिक को नियुक्ति प्रदान करने वाले अधिकारी से उस कार्मिक को दिए गये वेतन की वसूली की जाएगी। पाठक ने यह भी आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग ने इस पुनर्नियुक्ति को करने में निम्नलिखित नियमों की अनदेखी की है।

नियमों को ताक पर रखकर, अधिकारी पर मेहरबान आपदा विभाग

पाठक ने आरोप लगाया कि उनके पत्र पर कार्यवाही ना करके आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा डॉ. के एन पांडे को बचाने का प्रयास किया जा रहा है इसिलिए उन्हे अभी तक नियमविरूध सेवा में बरकरार रखा गया है। पाठक का कहना कि डा. के.एन.पान्डे की पुनर नियुक्ति कार्मिक विभाग से अनुमति लिए बिना ही की गई है। संविदा कार्मिक डॉ. के. एन. पांडे को पुनर नियुक्ति के बाद भी वही वेतन दिया जा रहा है जो कि उन्हें पुनर नियुक्ति से पहले दिया जा रहा था। यह नियम विपरीत है क्योंकि आपदा प्रबंधन विभाग डॉ. के. एन. पांडे को रुपए 1,37,000 (एक लाख सैंतीस हजार) प्रतिमाह वेतन दे रहा है, पुनर नियुक्ति से पहले भी उनको इतना ही वेतन दिया जा रहा था। के. एन. पान्डे को दिये जा रहे वेतन का निर्धारण आपदा प्रबंधन विभाग ने वित्त विभाग से नहीं करवाया है, इसका मतलब साफ है कि आपदा प्रबंधन विभाग ने वित्त विभाग की अनुमति लिए बिना ही डॉ. के. एन. पांडे को रुपए 1,37,000 प्रतिमाह वेतन स्वयं स्वीकृत किया है। यह कार्मिक विभाग और वित्त विभाग के शासनादेशों का उल्लंघन है और नियम विपरीत है। पाठक ने आरोप लगाया है कि उन्होने 19 फरवरी 2020 को आपदा प्रबंधन विभाग से सूचना के अधिकार में इस प्रकरण से संबंधीत सभी अभिलेख मांगे थे लेकिन लोक सूचना अधिकारी आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र पियूष रौतेला ने उन्हे अब तक कोई सूचना प्रदान नहीं की है और ना ही सूचना देने में विलम्ब होने की कोई जानकारी दी गयी है। पाठक ने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी की आढ में लोक सूचना अधिकारी पियूष रौतेला ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का उलन्घन किया है और नियमविरूध डा.के.एन. पान्डे को बचाने का प्रयास किया है। पाठक ने बताया कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये उन्होने सूचना प्राप्त करने के लिये अभी तक कोई पत्राचार नहीं किया है लेकिन 10 दिन के अंदर यदि लोक सूचना अधिकारी ने उन्हें सूचना उप्लब्ध नहीं करवायी तो वे अब अपील करेंगे।

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