उत्तराखंड शिक्षा विभाग में पढ़े लिखे अधिकारियों का अनोखा कारनामा,ज्ञानी अधिकारी अज्ञानता में जारी कर देते है आदेश

देहरादून । उत्तराखंड शिक्षा विभाग में पढ़े लिखे अनपढ़ अधिकारी है, यदि यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि उत्तराखंड शिक्षा विभाग में एक ऐसा ही आदेश अब चर्चाओं का विषय बन गया है जिसे खुद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अज्ञानता वश करार दिया है, जी हां मामला नियमों के विपरीत रुद्रप्रयाग जिले के ओंकारानंद हिमालयन मान्टेसरी उच्च माध्यमिक विद्यालय जखोली का है,जहा स्कूल के ही एक शिक्षक को समायोजित करते हुए गलत तरीके से प्रधानाध्यापक बना दिया गया । जी हां यह सब नियमों के विपरीत हुआ क्योंकि जो आदेश अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा पौड़ी गढ़वाल के जरिए होने थे,वह आदेश अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा एसपी खाली ने नियमों को ताक पर अपने कार्यक्षेत्र से बाहार जाकर कर दिए। जी हां आपको बता दे कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग के ढांचे के अनुसार प्रथामिक स्कूलों से लेकर जूनियर स्कूलों यानी के कक्षा 6 से लेकर 8 जो स्कूल आते है वह प्राथमिक शिक्षक निदेशालय के अंतर्गत आते हैं और उन्हें केवल कक्षा 1 से लेकर 5 और मात्र कक्षा 6 से लेकर 8 तक की स्कूलों का जिम्मा सौंपा गया है । लेकिन एसपी खाली महोदय तो यह भी नियम भूल गए कि वह अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल के पद पर है, वह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जो उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत आता है उनके कार्यक्षेत्र में जाकर आदेश नहीं कर सकते लेकिन खली साहब तो बड़े जानकार निकले उन्होंने न तो नियमों की परवाह की न कानूनों की परवाह की और कार्य क्षेत्र की परवाह कि उन्होंने तो जैसे गलत तरीके से कपूर सिंह पंवार को प्रधानाध्यापक बनाने की ठानी थी, जो उन्होंने 14 जून 2019 को बना दिया। आप आदेश में पढ़ सकते है कि क्या खाली साहब ने आदेश जारी किए थे।


चलिए यहाँ तो खाली साहब ने अपने मन की कर ली,लेकिन जब यह मामला तूल पकड़ा है विभाग में चर्चा का विषय बन गया तो खाली साहब ने इसका संज्ञान खुद ही ले लिया कि यह गलत हुआ है,और उन्होंने अपने आदेश को 3 जून 2020 को साल भर बाद निरस्त कर दिया,जिसमे उन्होंने लिखा कि यह उनसे अज्ञानता वश हुआ है। आदेश आप पढ़ सकते है।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या खाली साहब को ये पता एक साल पहले नही था कि जो काम उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर किया है वह गलत है,और अगर पता था तो इतने बड़े पद पर होने के बाद उन्हें ये क्यों नहीं पता कि वह अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहे,खैर मामला इस बात का नहीं है कि उन्होंने अपने आदेश को निरस्त कर दिया मामला इस बात को लेकर है आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया । खास बात ये है शिक्षा विभाग में इस तरह नियमों के विपरीत काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जाता है और एसपी खाली साहब को उत्तराखंड सरकार ने अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा पौड़ी गढ़वाल के पद पर बने रहने के साथ ही संस्कृत शिक्षा निदेशालय में निदेशक पद की भी जिम्मेदारी सौंपी है। अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब अपर निदेशक पौड़ी गढ़वाल के पद पर रहते हुए वह अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहे हो तो फिर संस्कृत शिक्षा तो उनके पूरी तरह हाथों में है फिर वहां तो सारे नियम कानून उनके ही चल रहे होंगे,और ये उत्तराखंड जहां अधिकारी गलत काम करने पर नवाजे जाते है। ऐसा यहां चलता रहेगा । बस इस खबर को हम इस लिए सामने लाए है आखिर किस तरह नियमों को हटके उस विभाग में अधिकारी काम करते है जिसका नाम शिक्षा विभाग से जुड़ा है । जिस विभाग के अधिकारी ही आंखों पर पट्टी बांधकर काम करते है उस विभाग का क्या हाल हो सकता है उसका अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है।

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