उत्तराखंड में मंत्री मण्डल विस्तार की सुगबुगाहट तेज,सुनिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का मंत्री मण्डल विस्तार पर बयान
देहरादून । उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। संवैधानिक प्रविधान के मुताबिक राज्य में मंत्रिमंडल का आकार मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्यीय हो सकता है। मार्च 2017 में जब सूबे में भाजपा सरकार बनी, तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अलावा नौ अन्य मंत्री बनाए गए। यानी शुरुआत में मंत्रिमंडल 10 सदस्यीय रहा और दो सीटें खाली रखी गईं। गत वर्ष जून में त्रिवेंद्र कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य प्रकाश पंत का असामयिक निधन होने के कारण मंत्रिमंडल में तीन स्थान रिक्त हो गए। स्वर्गीय पंत के पास वित्त, आबकारी, पेयजल जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो थे, जो तब से अब तक भी मुख्यमंत्री के ही पास हैं। इस स्थिति में मंत्रिमंडल विस्तार तय समझा गया। इसी साल फरवरी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झडी ले आए थे। तब स्वयं मुख्यमंत्री ने कहा था कि मार्च पहले हफ्ते तक उनकी टीम में नए सदस्यों को शामिल किया जा सकता है। इसके बाद देश में कोविड-19 के तेजी से फैलने के कारण लॉकडाउन लगाना पडा। इससे स्वत: ही मंत्रिमंडल विस्तार पर ब्रेक लग गया। लेकिन उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का बड़ा बयान सामने आया है, जी हां बंशीधर भगत का कहना है कि उनकी निजी राय यह है कि अब समय आ गया है कि जब मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाना चाहिए,क्योंकि ऐसा न हो कि जब 3 या 4 महीने के लिए मंत्री बनाये जाएं और उसका लाभ ही न मिल पाए क्योंकि 3 या 4 महीने में मंत्री काम ही नही समझ पाएंगे,इसलिए मंत्री मंडल का विस्तार कर देना चाहिए।
इस बीच पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी कई दफा जल्द इसके संकेत देते रहे हैं। मंत्री पद के तमाम दावेदार विधायक भी इस दौरान अपने-अपने स्तर पर लाबिंग में लगे रहे। हालाकि उनका इंतजार अब भी खत्म नहीं हुआ, जबकि विधानसभा चुनाव में महज डेढ़ ही साल बचे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा शनिवार को फिर सियासी गलियारों में तेजी से चली। दरअसल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात की। हालाकि राजभवन ने इसे महज शिष्टाचार भेंट ही बताया, लेकिन सियासी गलियारों में नए सिरे से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया।