सुर्खियां

छात्रों को रुलाने वाला शिक्षक,अब छात्रों के लिए बना प्रेणा का स्रोत,बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

देहरादून। “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमो नमः” इसका मतलब तो आप सभी समझते हैं और उत्तराखंड के एक ऐसे ही शिक्षक जिसका नाम हर कोई जानता है वह गुरु की महत्ता पर भली-भांति आगे बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं शिक्षक आशीष डंगवाल की जो तब चर्चाओं में आए थे,जब उनकी पोस्टिंग उत्तरकाशी जिले के दुर्गम क्षेत्र से टिहरी जिले में हुई थी और उत्तरकाशी के जिस स्कूल में वह पढ़ाते थे उस स्कूल के छात्रों के साथ अभिभावक की इमोशनल वाली तस्वीरें खूब वायरल हुई थी, लेकिन एक शिक्षक के रूप में आशीष डंगवाल जिस तरीके से काम कर रहे हैं वह एक प्रेरणा के स्रोत बनते जा रहे हैं ।उनकी एक और पहल सोशल मीडिया पर खूब धमाल मचा रही है। जी हां राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत में आशीष डंगवाल अपनी सेवाएं दे रहे हैं । लेकिन जो छाप उन्होंने एक शिक्षक के रूप में छोड़ दी है हर कोई उनका कायल सा होता नजर आ रहा है।

एक बार फिर आशीष डंगवाल सोशल मीडिया पर चर्चा बटोर रहे हैं। जी हां राजकीय इंटर कॉलेज घरखेत की चारदीवारी जो बदहाल स्थिति में थी और उन पर ना तो रंगाई पुताई नजर आ रही थी ना ही ऐसा लग रहा था कि यह दीवारें कभी चमकेंगे भी। लेकिन शिक्षक आशीष डंगवाल की सोच और उनके छात्रों के जज्बे ने उन्हें चार दिवारी में ऐसी छाप स्कूल के बाउंड्री वॉल पर छोड़ी है जो अब चर्चा का विषय बन गई है। जी हां एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें सरकारी स्कूल की बदहाल चार दिवारी नजर आ रही है। लेकिन वही दीवार अब मानो ऐसा प्रतीत हो रही है जैसे उत्तराखंड इसी स्कूल में बसा हो,स्कूल की दीवारों पर जहां आस्था का धामा बाबा केदारनाथ का मंदिर का चित्र नजर आ रहा है, तो वही हर की पैड़ी का चित्रण भी आस्था के रूप में प्रतीत नजर आ रहा है जबकि चिपको आंदोलन का चित्रण टिहरी झील का नजारा अल्मोड़ा बाजार भी नजर आ रहा है। खास बात यह है कि छात्रों के लिए प्रेरणा के रूप में आईएमए कि वह तस्वीर जहां से उत्तराखंड के ही नहीं देश और विदेशों के भी अवसर ट्रेनिंग लेते हैं वह भी दर्शाया गया है। जबकि नेहरू पर्वतारोहण संस्थान भी छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। छात्राओं के लिए विशेषकर महिला आईपीएस का चित्रण प्रेरणा के रूप में नजर आ रहा है तो इंजीनियर बनने के लिए डोबरा चांठी पुल का चित्रण छात्रों को एक इंजीनियर बनने की प्रेरणा पेश कर रहा है ।

 

पर्यटक स्थलों की भी झलक स्कूल के बाउंड्री वॉल पर नजर आ रही हैं,जिनमें नैनीताल की झील, कार्बेट नेशनल पार्क टिहरी झील का नजारा छात्र चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं । वही नैनीताल हाई कोर्ट की तस्वीर भी छात्र अपने स्कूल के बाउंड्री वॉल पर देख सकते हैं । जबकि जल संरक्षण के लिए जल है तो कल है, का भी महत्व समझ सकते हैं जबकि साइंस कॉर्नर के माध्यम से विज्ञान के फार्मूले छात्र आसानी से समझ सकते हैं तो अंतरिक्ष विज्ञान की खगोलीय घटनाओं को भी छात्र चित्रण के माध्यम से समझ सकते हैं। यह अनोखी पहल शिक्षक आशीष डंगवाल की सोच से ही संभव हुई है। शिक्षक आशीष डंगवाल का कहना है कि कोविड-19 के बाद जब 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूल खुले तो उसके बाद पढ़ाई के बाद जब छुट्टी होती थी तो कक्षा 11 और 9 के छात्रों के द्वारा स्कूल की दीवारों को इस तरह के से पेंट के माध्यम से चित्रण के जरिए सजाया गया है कि आज स्कूल में प्रवेश करते ही एक अद्भुत दृश्य आंखों के सामने नजर आता है। छात्रों के लिए कई प्रेरणा की चीजें जहां 3D आर्ट पेंटिंग के जरिए संजोए सँवारी गई है,तो वही यह सब उनके छात्रों की वजह से ही संभव हो पाया है। छात्रों के लिए यह एक गर्व का पल भी है कि जिन चीजों में वह अपना भविष्य बना सकते हैं उनको वह अपनी स्कूल की दीवारों पर खुद चित्रण के माध्यम से समझ रहे हैं और समझा रहे हैं।

सरकारी स्कूलों को ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों पर गुणवत्ता के लिए जरूर सवाल उड़ते हैं। लेकिन आशीष डंगवाल जैसे शिक्षक अगर छात्रों के भविष्य को संवारने को लेकर काम करेंगे और अपने वेतन से स्कूलों को सजाने सवारने के साथ छात्रों के भविष्य को उनके सपने साकार करने का सपने दिखाएंगे तो निश्चित रूप में उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारा ही नहीं जा सकता बल्कि प्राइवेट स्कूलों की तुलना सरकारी स्कूलों से की जा सकती है।

सीएम और शिक्षा मंत्री कर चुके है सम्मानित

आपको बता दें कि उत्तरकाशी के स्कूल से जब शिक्षक आशीष डंगवाल की भावुक कर देने वाली तस्वीरें विदाई समारोह की वायरल हुई थी। उसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने भी आशीष डंगवाल को सम्मानित किया था । आशीष डंगवाल कि वह भावुक विदाई वाली तस्वीरें इतनी वायरल हुई कि हर किसी को उन्होंने अपना कायल बना दिया। लेकिन जो काम उन्होंने अब नए इस स्कूल में जाकर फिर कर दिखाया है उससे उनके काम की सराहना पूरे उत्तराखंड में होने लगी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हर एक स्कूल को ऐसे ही शिक्षक की जरूरत है जो छात्रों को उनके सपने साकार करने के लिए काम करें और जो सरकारी स्कूलों से जो अभिभावकों का मन रूठ सा आ गया है वह वापस सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का विश्वास जगाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!