राज्यसभा सीट के दावेदारों में बलराज का नाम भी तेजी से आया आगे,पार्टी के सभी समीकरणों पर फिट बैठते है पासी

देहरादून। उत्तराखंड की एक राज्यसभा सीट के लिए 9 नवंबर को मतदान होना है,लेकिन राज्यसभा की एक सीट पर कांग्रेस के द्वारा वॉकओवर दिए जाने के बाद भाजपा के भीतर प्रत्याशी चयन को लेकर जहां मंथन चल रहा है । वहीं राज्यसभा पहुंचने के लिए भाजपा के भीतर बहुत से चेहरे जोर आजमाइश भी करने लगे । हर कोई अपने अपने स्तर से अपनी दावेदारी हाईकमान के सामने भी पेश कर रहे हैं। वहीं बात अगर संभावित दावेदारों की करें तो जैसे-जैसे नामांकन की तिथि नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे संभावित दावेदारों की लिस्ट और लंबी होती जा रही है। लेकिन इन सबके बीच नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद रहे बलराज पासी का नाम भी राज्यसभा प्रत्याशी के लिए तेजी से सामने आ रहा है।बलराज पासी भाजपा के समर्पित सिपाही के रूप में काम करते हैं,कई बड़ी जिम्मेदारियों को निभाने के साथ ही बलराज पासी ने 1991 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को हराकर जो करिश्मा उस समय दिखाया था।उससे आज भी लोग चकित रहते हैं। हालांकि उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा ने बलराज पासी पर कभी चुनावी मैदान में दाव नहीं लगाया। लेकिन फिर भी बलराज पासी पार्टी के कामों को लेकर हमेशा ही फ्रंट लाइन में आगे आकर अपने हुनर को प्रदर्शित करते हैं।

वर्तमान समीकरण पर फिट बैठते हैं पासी

उत्तराखंड में इस समय भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, और 5 लोकसभा सांसदों के साथ एक राज्य सभा सीट वर्तमान समय में भाजपा की झोली में है, जबकि इस बार के राज्यसभा चुनाव में एक और सीट भाजपा की झोली में आ जाएगी। लेकिन जो सियासी समीकरण इस समय उत्तराखंड भाजपा के लिहाज से 2022 के लिए बन रहे हैं,उसके तहत पार्टी के पास वर्तमान समय में राज्यसभा और लोकसभा मिलाकर 6 सांसद हैं, जिनमें तीन ब्राह्मण, दो राजपूत हैं, जबकि अल्मोड़ा से रिजर्व सीट के चलते एक अनुसूचित जाति के सांसद भाजपा के है, इस लिहाज से जातीय क्षेत्रीय समीकरण पर नजर दौड़ाई जाए तो 6 सांसदों में से कोई भी सांसद भाजपा के पास मैदानी क्षेत्र का नहीं है, इसलिए 2022 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बार माना जा रहा है कि भाजपा मैदानी क्षेत्र के प्रत्याशी को ही राज्यसभा में भेजेगी जो मैदानी क्षेत्र की 40 विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव रखता हो, और बलराज पासी उस समीकरण पर फिट बैठते हैं। क्योंकि मैदानी क्षेत्रों के संभावित दावेदारों में बलराज पासी का कद सबसे ऊपर आता है, क्योंकि जब-जब पार्टी ने बलराज पासी पर भरोसा जताया है उन्होंने उसके परिणाम हमेशा बेहतर दिए। इसलिए इस बार जातीय क्षेत्रीय और 2022 विधानसभा चुनाव के समीकरणों को देखते हुए बलराज पासी एक ऐसा नाम है जो सभी समीकरण पर फिट बैठता है।

पार्टी की उम्मीदों पर हमेशा खरा उतरे हैं पासी

1991 में भाजपा के द्वारा बलराज पासी को 29 साल की उम्र में लोकसभा का टिकट दिया गया था और उन्होंने भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए सबसे कम उम्र में उस समय लोकसभा पहुंचकर सबको जहां हैरान कर दिया था। वहीं इस बात को लेकर भी चकित कर दिया था कि उन्होंने एनडी तिवारी को हराकर चुनाव जीता था। 1991 से 96 तक लोकसभा सांसद रहने के साथ ही बलराज पासी उत्तर प्रदेश के समय युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे खास बात ये है कि जब बलराज पासी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे तब केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक युवा मोर्चा के महामंत्री थे,वहीं 2 बार बलराज पासी प्रदेश महामंत्री और 1 बार उपाध्यक्ष भी रहे हैं। वही 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा के द्वारा पूरे प्रदेश में निकाली गई सत्ता परिवर्तन यात्रा के संयोजक भी बलराज पासी थे,और उस सत्ता परिवर्तन यात्रा की असर था कि भाजपा की प्रदेश में 57 सीटें आ गयी। यही नहीं जब पार्टी ने प्रदेश में आजीवन सहयोग निधि का अभियान चलाया तो उसके संयोजक भी बलराज पासी को बनाया गया था,इसलिए बलराज पासी भाजपा के लिए के एक ऐसे चेहरे है,जो पार्टी के लिए काम करने में विश्वास रखते है। बलराज पासी भाजपा के भरोषेमंद चेहरों में एक माने जाते है,जो कभी पार्टी से कुछ मांगते नहीं मांगते है बल्कि पार्टी के कामों के लिए हमेशा आगे रहते है। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी नैनीताल सीट से बलराज पासी को टिकट दिए जाने की उम्मीद थी लेकिन पार्टी ने अजय भट्ट को टिकट दिया,ऐसे में उत्तराखंड बनने के बाद जो भरोषा पार्टी अब तक पासी पर नहीं जाता पाई है अगर इस बार वह भरोषा पार्टी ने जाता दिया तो इसके फायदे भी पार्टी को मिल सकते हैं।

बलराज पासी के परिवार ने झेला है संघर्ष

बलराज पासी का परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा रहा है, बचपन से ही बलराज पासी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे, उनके पिता योगराज पासी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे थे, यहां तक की आपातकाल के समय 19 महीने तक बलराज पासी के पिता योगराज जेल में रहे थे, वही राम जन्मभूमि आंदोलन के समय भी योगराज और उनके बेटों को कई दिनों जेल में बंद रहे। बताया जाता है कि बलराज पासी के परिजनों पर आपातकाल के समय और राम जन्मभूमि आंदोलन के समय काफी अत्याचार हुए। जिनको उनके परिवार ने सहा,जेल में उनके भाइयों और उनके पिता पर भी काफी जुर्म ढाए गए । लेकिन फिर भी उनका परिवार डिगा नहीं । उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी बलराज पासी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी । राज्य आंदोलन के समय 14 दिनों तक बलराज पासी गाजीपुर जेल में बंद रहे थे, भाजपा के भीतर बलराज पासी राज्य आंदोलन के ऐसे चंद नेताओं में शामिल है,जिन्होंने राज्य के लिए जेल की हवा खाई हो, यही वह तमाम बातें हैं जो बलराज पासी के नाम को इस बार राज्यसभा चुनाव के लिए प्रबल दावेदारों में सुमार करती हैं हालांकि राज्यसभा के दावेदारों में एक से एक बड़े नाम है लेकिन पार्टी के लिए जो समर्पण बलराज पासी का रहा है उसको देखते हुए बलराज पासी का नाम अन्य नामों से काफी आगे है, ऐसे में देखना ही होगा कि आखिरकार क्या भाजपा केंद्रीय नेतृत्व बलराज पासी के नाम पर राज्यसभा पहुंचाने के लिए मुहर लगाता है।

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