उत्तराखंड से बड़ी खबर

उत्तराखंड में पशु चारे की कीमतों में भारी उछाल को देखते हुए बड़ा निर्णय,भंडारण पर लगी रोक,दूसरे राज्यों में ले जाने पर रोक,पुराल जलाने पर भी रोक

देहरादून। उत्तराखंड में पशुओं के लिए चारे की कीमतों में भारी उछाल को देखते हुए पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बड़ा फैसला लेते हुए अनावश्यक पशुचारे की भंडारण एवं राज्यों से बाहर परिवहन पर रोक लगाए जाने के संबंध में निर्देश पशुपालन सचिव को दिए थे
जिसके बाद पशुपालन सचिव बीसीआरसी पुरुषोत्तम ने आदेश जारी करते हुए राज्य में पशुओं हेतु उपयोग में लाए जाने वाले भूसे की कीमतों में भारी उछाल को देखते हुए अनावश्यक भंडारण एवं राज्य से बाहर परिवहन पर रोक लगाए जाने के संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक उत्तराखंड राज्य के पशुपालकों द्वारा पशुओं के सूखे चारे के रूप में मुख्य रूप से गेहूं की भूसी का उपयोग किया जाता है,हर वर्ष अप्रैल के मध्य तथा मई माह में गेहूं की फसल की कटाई के बाद भूसे की प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसी समय भूसा न्यूनतम बाजार भाव पर उपलब्ध होता है। उन्नतशील पशुओं तथा निराश्रित गोवंश को शरण देने हेतु समर्पित जनों द्वारा इसी समय अपनी आवश्यकता के अनुरूप अधिकाधिक घोषित कर दिया जाता है । हरियाणा एवं अन्य राज्यों द्वारा दूसरे राज्यों को भी की आपूर्ति पर रोक लगाने के कारण भूसे की दरों में अत्यधिक उछाला गया है। गत वर्षो में गेहूं की फसल की कटाई के बाद चारे का बाजार भाव 400 से 600 प्रति कुंटल पर उपलब्ध होता थाजो कि वर्तमान समय में 900से 1000 से ऊपर प्रति कुंटल हो गया है। लोगों द्वारा अवगत कराया गया कि हरियाणा एवं अन्य राज्यों द्वारा रोक लगाने के कारण उत्तराखंड राज्य में भूसे की अत्यंत कमी हो रही है। संज्ञान में आया कि व्यापारियों द्वारा बड़ी मात्रा में आवश्यक रूप से भंडारण किया गया उसे की कमी के कारण उत्पन्न विकट परिस्थिति में बड़ी संख्या में पशुओं को तय परियक्त जाने की आशंका है। जिस कारण किसी को सड़क परिवहन में अवरोध दुर्घटनाएं तथा कानून व्यवस्था चुनौती पैदा होने की आशंका है। इसलिए सूचित किया जाता है कि पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में उचित दरों में उपलब्ध हो जिसके लिए निम्नलिखित कार्यवाही की जानी आवश्यक है।

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत प्रावधानों में निम्नलिखित बातों का उल्लेख है जिन्हें प्रभावी रूप से लागू माना जाएगा।

भूसा को ईट भट्टा एवं अन्य उद्योगों में इस्तेमाल न किया जाए एवं इस हेतु इन उद्योगों को भूसा विक्रय पर आगामी 15 दिनों तक रोक लगाई जाए।

भूसा विक्रेता द्वारा भूसे का अनावश्यक भंडारण एवं कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए।

जनपद में उत्पादित भूसे को राज्य से बाहर परिवहन पर तत्काल एक पक्ष हेतु रोक लगा दी जाए।

जिलों में पुराल जलाने पर तत्काल रोक लगाई जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!