शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने की घोषणा,गुजरात की तर्ज पर उत्तराखंड में भी खुलेंगे विद्या समीक्षा केंद्र

देहरादून। उत्तराखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये सरकार प्रतिबद्ध है। इसी उद्देश्य को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा विभागीय अधिकारियों के लिये इंडियन पब्लिक स्कूल राजवाला देहरादून में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। शुभारंभ अवसर मुख्यमंत्री धामी एवं विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने एनईपी के अंतर्गत राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद देहरादून द्वारा तैयार बालवाटिका एवं बालवाटिका अभ्यास पुस्तिका का विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एक सामूहिक जिम्मेदारी का कार्य है। जिस पर सभी की चिंतन-मनन करना होगा। उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड वर्ष 2025 में अपनी रजत जयंती मन रहा होगा तब प्रत्येक विभाग के पास अपनी-अपनी विशेष उपलब्धि होनी चाहिये। विभागीय मंत्री डॉ0 रावत ने कहा कि राज्य में एक साल के भीतर विद्या समीक्षा केंद्र तैयार किये जायेंगे, जिसके लिये केंद्र सरकार ने रुपये 5 करोड़ स्वीकृत कर दिये हैं। चिंतन शिविर में विकासखंड से लेकर निदेशालय स्तर के अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।  आपको बता दे कि विद्या समीक्षा केंद्र गुजरात में स्थापित किया गया है, जिसके तहत आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर राज्य की शिक्षा प्रणाली की डेटा को एकीकरण और विश्लेषण किया जाता है और इस एकीकृत डाटा का प्रयोग आगे शिक्षण प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने के लिए किया जाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तकनीक का प्रयोग करने के लिए सभी राज्यों से अपील कर चुके हैं वहीं शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत इसे उत्तराखंड में लागू करना चाहते हैं।

सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग द्वारा इंडियन पब्लिक स्कूल राजवाला देहरादून में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। विभागीय मंत्री डॉ रावत ने कहा कि चिंतन शिविर में एनईपी के अंतर्गत राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद देहरादून द्वारा तैयार बालवाटिका एवं बालवाटिका अभ्यास पुस्तिका का मुख्यमंत्री के द्वारा विमोचन किया गया। डॉ रावत ने कहा कि ‘शिक्षा में गुणात्मक सुधार हेतु एक कदम’ विषय को केंद्रित करते हुये चिंतन शिविर में शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा कर विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतिकरण दिया। शिविर को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रधानाचार्यों, शिक्षकों एवं अभिभावकों के लिये भी चिंतन शिविरों का आयोजन किया जाएगा ताकि उनके सुझावों भी शामिल कर भविष्य के लिए रोड़मैप तैयार किया जा सकें। उन्होंने कहा कि एनईपी का उद्देश्य ही शिक्षकों, अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं को शिक्षा के प्रति सन्तुष्ट करना है। विभागीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देश का एक मात्र राज्य है जहाँ 15 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा जनपद में 10 छात्रों पर एक शिक्षक, उत्तरकाशी में 9 जबकि सबसे न्यूनतम पौड़ी गढ़वाल में 8 छात्रों पर एक शिक्षक तैनात है। जो कि एनईपी में तय शिक्षक-छात्र संख्या से कहीं अधिक न्यून है। डॉ रावत ने कहा कि राज्य में शीघ्र नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री के द्वारा किया जाएगा जबकि जिला एवं ब्लॉक स्तर पर सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा शुरू किया जायेगा। इसके अंतर्गत राज्य के 5 हजार प्राथमिक स्कूल एवं आंगनवाड़ी केंद्र शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि एक वर्ष के अंदर राज्य में विद्या समीक्षा केंद्र तैयार कर दिये जायेंगे, जिसके लिये केंद्र सरकार ने रुपय 5 करोड़ स्वीकृत कर दिये हैं, इसके साथ ही राज्य में ऑनलाइन सिस्टम विकसित कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जाएगा। डॉ0 रावत ने नशा मुक्त कैम्पस, एनसीसी, एनएसएस से बच्चों को जोड़ने के साथ ही तय समय पर शिक्षकों एवं अधिकारियों के पदोन्नति देने की बात कही। चिंतन शिविर में सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। इसके अलावा विभागीय अधिकारियों ने विभिन्न विषयों पर अपना-अपना प्रस्तुतिकरण दिया।

इस अवसर पर स्थानीय विधायक सहदेव पुंडीर, पूर्व राज्यसभा सांसद आर0के0 सिन्हा, सचिव शिक्षा रविनाथ रमन, अपर सचिव दीप्ती सिंह, महानिदेशक बंशीधर तिवारी, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आर0के0 कुँवर, निदेशक प्राथमिक शिक्षा बंदना गर्ब्याल, निदेशक संस्कृत शिक्षा एस0 पी0 खाली सहित जिले से लेकर ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारी उपस्थित रहे।

 

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