उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर,राजकीय शिक्षक संगठन के चुनाव की आहट,निदेशक ने मांगा संगठन से ब्योरा,एलटी ग्रेट के शिक्षकों में शिक्षक नेताओं के खिलाफ आक्रोश
देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग से बड़ी खबर है,राजकीय शिक्षक संगठन को शिक्षा निदेशक आर के कुंवर ने संगठन की ऑडिट रिपोर्ट जहां मांगी है वही शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों से शिक्षकों की सदस्यता का ब्योरा भी मांगा है। शिक्षा निदेशक के द्वारा संगठन को कुछ निर्देश भी दिए गए हैं। जिसमें संघ अपने सदस्यों के सामान्य सेवा हितों को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए जाने की बात कहीं गई है,तो वहीं संघ की सदस्यता कार्यरत सरकारी कर्मचारियों के एक सुभिन्न संघ तक ही सीमित रखी जाए, तथा उसमें विशिष्ट कुल सदस्यों की संख्या 50% से अधिक प्रतिनिधित्व हो, कोई ऐसा व्यक्ति जो कार्य सरकारी सेवक न हो संघ के कार्यक्रमों से संबंध ना हो पदाधिकारी जिसके अंतर्गत संघ की कार्यसमिति के सदस्य भी हैं केवल उसी के सदस्यों में से नियुक्त किए जाएंगे। शिक्षा निदेशक आरके कुमार का कहना है कि कुछ बिंदुओं को लेकर जानकारी राजकीय शिक्षक संगठन से मांगी गई है जिसके तहत कुल सदस्यों का आंकड़ा कथा जो आए हुए शिक्षक संगठन का रहा है उसको भी उपलब्ध कराने को कहा गया है। वही राजकीय के शिक्षक संगठन के प्रांतीय महामंत्री सोहन सिंह मांजिला का कहना है कि 31 मई तक संगठन की सदस्यता की तिथि निर्धारित की गई है जिसके बाद संगठन के कुल सदस्यों का आंकड़ा पूरे ब्यौरे के साथ शिक्षक निदेशक को सौंप दिया जाएगा।
कुल मिलाकर देखें तो राजकीय शिक्षक संगठन से मांगे गए ब्योरे को लेकर कई तरीके के कयास लगाए जा रहे हैं कुछ शिक्षकों का यह भी कहना है कि शिक्षा निदेशक शिक्षक संगठन के चुनाव को हरी झंडी दे सकते हैं जिसके चलते शिक्षक संगठन से संगठन की गतिविधियों का ब्यौरा मांगा जा रहा है। कोविड महामारी की वजह से राजकीय शिक्षक संगठन का कार्यकाल कई साल पहले पूरा हो चला था,लेकिन कोविड की वजह से संगठन के चुनाव नहीं हुए है, हालांकि शिक्षकों के बीच समय-समय पर सवाल भी राजकीय शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों पर उठाए गए हैं, कि जब देश भर में तमाम चुनाव कराए जा रहे हैं, तो फिर राजकीय शिक्षक संगठन का चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है। राजकीय शिक्षक संगठन के चुनाव के चर्चाओं के बीच एलटी ग्रेड के शिक्षक,शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों पर समग्र शिक्षा अभियान में समन्वय के पदों पर ग्रेड के शिक्षकों को अयोग्य घोषित किए जाने को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं, ऐसे में देखना यह होगा कि आखिरकार जब भी राजकीय शिक्षक संगठन का चुनाव होगा तो इस बार चुनाव के नतीजे तो दिलचस्प होंगे ही शिक्षकों के जो बुनियादी मुद्दे हैं, उनको हल न करा पाने वाले नेताओं पर भी चुनाव भारी पड़ने की पूरी उम्मीद है। क्योंकि एलटी ग्रेड के शिक्षकों में शिक्षक नेताओं के प्रति भारी आक्रोश सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है और इस आक्रोश का सामना शिक्षक नेताओं को कुल मिलाकर चुनाव के समय ही करना पड़ेगा।