उत्तराखंड से बड़ी खबर

अंग्रेजों के जमाने की प्रथा को सीएम ने किया खत्म,अब पारदर्शिता के साथ होंगी नियुक्ति और प्रमोशन – अजेंद्र अजय

देहरादून।  उत्तराखंड की धामी सरकार तमाम आयोग में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने को लेकर जहां कई कड़े निर्णय ले चुकी है, तो वहीं प्रदेश में नकल विरोधी कानून को भी लेकर आई, वहीं प्रदेश में कई जगह ऐसी भी हैं जहां पर नौकरियों में भाई भतीजा बाद हावी रहता है, नियामक ऊतक पर रखकर प्रमोशन दिए जाते हैं, जी हां बात कर रहे हैं बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों को लेकर जहाँ भर्तियों में भाई भतीजानवाद देखने को मिलता है। लेकिन अब धामी सरकार के द्वारा बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों को लेकर सेवा नियमावली पर मोहर लगा दी गई है जिसके बाद मंदिर समिति के अंदर होने वाली नियुक्तियों में पारदर्शिता देखने को मिलेगी, 1939 में अंग्रेजों के शासनकाल में बद्री केदार मंदिर समिति का गठन हुआ था,तब से लेकर अब तक किसी भी मुख्यमंत्री ने मंदिर समिति में होने वाली भर्ती में पारदर्षिता के भारे में नहीं सोच,लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया,जिसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस पर प्रस्ताव मांगा और कैबिनेट ने अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली भर्ती और प्रमोशन के लिए नियमावली बना दी है। जिस पर समिति के अध्यक्ष का कहना है कि इससे भर्ती में अब पारदर्शिता आएगी।

 

 बद्री केदार मंदिर समिति के तहत अगर यदि कर्मचारियों के आंकड़े की बात करें तो वर्तमान में 700 के करीब कर्मचारी कार्यरत है, जिनमें से 350 के करीब परमानेंट कर्मचारियों है तो इतने ही कर्मचारी संविदा स्तर के हैं, नई नियमावली बनने से अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत जो भी भर्तियां होगी उनमें शैक्षिक योग्यता वरीयता होगी, साथ ही रिक्त पदों के सापेक्ष ही कर्मचारियों की भर्ती होगी, अभी तक जिस तरीके से भर्ती प्रक्रिया को लेकर सेवा नियमावली नहीं थी, उस भर्ती प्रक्रिया में भाई भतीजा बाद और प्रमोशन में भी भाई भतीजावाद देखा जाता था,धर्मस्व सचिव हरीश चंद सेमवाल का कहना है कि भर्ती नियमावली बनने से पूरी तरीके से अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों पारदर्शी तरीके से होगी।

 

 

 कुल मिलाकर देखें तो भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त रख रहा है, तो वहीं बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली भर्तियों में भी भाई भतीजा वाद के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सख्त नजर आए यही वजह है कि बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष की मांग पर धामी सरकार के द्वारा सेवा नियमावली बनाई गई है ऐसे में देखना यही होगा कि आखिरकार अब आगे से जो भी भर्ती मंदिर समिति के तहत होती हैं, क्या उनमें पूरी तरीके से पारदर्शिता ही नजर आएगी।

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