सीएम ने लिया युवाओं के हक में ऐतिहासिक निर्णय,लेकिन शासन बेरोजगार युवाओं की बढ़ रहा है टेंशन

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जहां बेरोजगार युवाओं की हर समस्या का समाधान करने का काम कर रहे हैं। वही लगता है कि उत्तराखंड शासन बेरोजगारों के इंतजार और बड़ा कर उनको परेशान करने का काम कर रहा है । जी हां हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के उस फैसले की जिससे कई हजार युवाओं को एलटी भर्ती परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा। लेकिन उस मौके के इंतजार को उत्तराखंड शासन लंबा खींचता जा रहा है । पिछले महीने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कला विषय के छात्रों को बड़ी राहत देते हुए एलटी और प्रवक्ता में B.Ed की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था । लेकिन अभी तक शासन से उस नियमावली के बदलाव को हरी झंडी नहीं मिली है जिसका इंतजार युवा कर रहे हैं। उत्तराखंड शासन में नियमावली लगता है फाइलों में दबकर ही रह गई है। यही वजह है कि जिस त्वरित गति से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हजारों युवाओं के हक में फैसला लिया। उस त्वरित गति से वह फाइल उत्तराखंड शासन में आगे नहीं बढ़ पाई है । उत्तराखंड सेवा अधिनस्थ चयन आयोग भी उस नियमावली के संशोधन का इंतजार कर रहा है। जिसके तहत वह कला विषय के लिए आवेदन की तिथि को जारी करेगा । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कला विषय के अभ्यर्थियों को B.Ed की अनिवार्यता खत्म कर एलटी भर्ती परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया । लेकिन उत्तराखंड शासन अभी तक नियमावली का शासनादेश जारी नहीं कर पाया है। जिससे भर्ती में शामिल होने वाले युवाओं की टेंशन दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। क्योंकि वह अपनी तैयारी नहीं कर पा रहे हैं । क्योंकि संशोधित नियमावली में क्या कुछ बदलाव किया गया है। जिससे युवाओं को मौका मिलेगा यह पूरी तरीके से स्पष्ट नहीं हो पाया हैं,क्योंकि ना तो शिक्षा विभाग स्पष्ट कर पा रहा है और ना ही सेवा अधीनस्थ चयन आयोग स्पष्ट कर पा रहा है कि आखिर कला विषय में किन युवाओं को अब मौका मिलने वाला है, जिन्होंने B.ed नहीं किया है। केवल B.Ed की अनिवार्यता को खत्म किए जाने के बाद स्नातक ड्राइंग एंड पेंटिंग करने वालों को मौका मिलेगा या फिर m.a. ड्राइंग की भी अनिवार्यता इसमें रखी गई है । इस पर अभी संशय बना हुआ है। शिक्षा विभाग भी इस पर मौन धारण किए हुए हैं ।लेकिन उससे भी गंभीर विषय यह है कि शासन में यह मामला लटका हुआ है,तो उस शिक्षा विभाग भी इस पर स्पष्ट रुख नहीं कर पा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा 9 फरवरी को रोजगार दिए जाने संबंधी समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी । जिसमें शिक्षा विभाग का कोई भी आला अफसर या विभागीय अधिकारी नहीं पहुंचा और शायद उस दिन शिक्षा विभाग के आला अफसर या अधिकारी बैठक में पहुंचे होते तो यह मामला उसी दिन मुख्यमंत्री के संज्ञान में फिर से आता और हल भी हो जाता। लेकिन शिक्षा विभाग का कोई आला अफसर या अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचा और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसको लेकर नाराजगी भी जताई जो विभागीय अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे । मुख्यमंत्री ने इस बात के भी निर्देश दिए कि जो अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाए।

शासन की लापरवाही तैयारी पर पड़ रही है भारी

उत्तराखंड सेवा अधीनस्थ चयन आयोग ने एलटी भर्ती परीक्षा के लिए लिखित परीक्षा अप्रैल माह में प्रस्तावित की है, ऐसे में फरवरी का महीना आधा जाने वाला है । लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कला विषय के लिए क्या शर्तें और नियम बनाए गए जिससे अब परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों को तैयारी का मौका कम मिलने की उम्मीद है। क्योंकि जो अभ्यार्थी फॉर्म भर चुके हैं वह तैयारी में जुट गए हैं लेकिन जो कला विषय कि अभ्यार्थी अब फॉर्म भरेंगे उनकी तैयारी है परीक्षा को लेकर अभी शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में उत्तराखंड शासन की देरी अब आवेदन भरने वालों की तैयारी में और देरी करा रही है। लेकिन उत्तराखंड शासन को क्या उनको तो फाइलों को मोमेंट में देरी की आदत पहले से ही है ऐसे में देखना ही होगा कि आखिर कब जा कर शासन से नियमावली को मंजूरी मिलती है और शिक्षा विभाग आयोग को अधियाचन भेजेगा । जिससे सेवा अधीनस्थ चयन आयोग आवेदन की प्रक्रिया शुरू करेगा ।

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