कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने अग्निपथ योजना पर खड़े किए सवाल,योजना को युवाओं के भविष्य से बताया खिलवाड़

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मोदी सरकार की अग्निपथ योजना को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड करने वाला धोखा बताया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मोदी सरकार की अग्निपथ योजना बेरोजगार युवाओें के साथ छलावा, उनके भविष्य को बर्बाद करने वाला धोखा है। 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय सेना की गरिमा, परंपरा, अनुशासन की परिपाटी ही नहीं देश की सुरक्षा से भी खिलवाड़ कर रही है। 4 साल के ठेके पर फौज में भर्ती देश की सुरक्षा के लिए सुखद संदेश नहीं है। चार साल की नौकरी के बाद भर्ती हुए युवाओं के भविष्य का क्या होगा इसका सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा तथा दूसरी तरफ चीन और नेपाल की सीमा है ऐसे में नियमित भर्ती पर पाबंदी लगाकर चार साल की ठेके की भर्ती करना देशहित में उचित नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने 8 सालों के कार्यकाल में जो भी फैसले लिए उनका खामियाजा देश की आम जनता को भुगतना पडा है। पहले नोट बंदी पर गरीब आदमी लाईन पर खडा रहा, जीएसटी लागू होने पर व्यापारी, कृषि कानून लागू होने पर किसान सडकों पर था अब सेना भर्ती के लिए देश का नौजवान सडकों पर होगा। जिसकी परिणति बिहार, हरियाणा, दिल्ली और यूपी’ के बाद उत्तराखंड में भी अग्निपथ स्कीम के भारी विरोध के साथ शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़, खटीमा, चंपावत जिलों में युवाओं’ ने इसके खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया तथा सड़क जाम कर योजना के खिलाफ अपना विरोध जताया है। आन्दोलन के चलते बिहार में 40 रेल गाडियां रद्द कर दी गई हैं। जनप्रतिनिधियों के काफिलों पर हमले हो रहे हैं। जो नौजवान सेना भर्ती के लिए तैयारियां कर रहे थे वे आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं।
 करन माहरा ने कहा कि रक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि यह निर्णय कहीं न कहीं तीनों सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता व सामथ्र्य से समझौता करने वाला है। 4 साल के बाद 22 से 25 साल की उम्र में बगैर किसी अतिरिक्त योग्यता के ये युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे? सरकार की इस घोषणा से सेना में सेवा के इच्छुक युवाओं में पूरे देश में असंतोष फैल रहा है। उत्तराखण्ड राज्य का सेना की सेवा के लिए गौरवमयी इतिहास रहा है। सैनिक बहुल राज्य होने के चलते यहां के पर्वतीय क्षेत्र के प्रत्येक गांव से सेना में बडी संख्या में लोग सेवारत हैं तथा नई पीढी के नौजवान हमेंशा देश सेवा के लिए उत्सुक रहते हैं। ऐसे में 4 साल बाद इन नौजवानों के हाथ में नौकरी की गारंटी होगी न पेंशन की सुविधा। नो रैंक, नो पेंशन नरेंद्र मोदी जी युवाओं के सपनों को कुचल रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 2 साल से सेना में कोई सीधी भर्ती नहीं हुई है। अब नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा 4 साल के बाद अस्थिर भविष्य के साथ देश के नौजवानों को अग्निपथ पर चला कर इनके संयम की अग्निपरीक्षा ले रही है। उन्होंने कहा कि हर साल 80 हजार जवानों की भर्ती करने वाली सरकार अग्निपथ में सिर्फ 45 हजार जवानों को 4 साल के लिए क्यों भर्ती करने की योजना बना रही है। उसमें भी 75 प्रतिशत की छंटाई हो जाएगी और बाकी के 25 प्रतिशत को टेस्ट में सफल होने पर ही पक्की नौकरी देने की बात की जा रही है।

वन रैंक वन पेंशन पर बोलते हुए करन माहरा ने कहा कि तीन महीने पहले जनरल सतवीर ने  सर्वोच्च न्यायालय में वन रैंक वन पेंशन मामले को लेकर पूर्व सैनिकों की ओर से एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसे मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार का वन-रैंक-वन पेंशन को लेकर स्टैण्ड सही है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को 2019 से पूर्व सैनिकों को एरियर देने के लिए आदेशित किया जिसकी मियाद 16 जून 2022 नियत की गई थी। लेकिन मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई मियाद समाप्त होने तक भी मोदी सरकार द्वारा इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया गया है जो कि देश के लाखों-लाख पूर्व सैनिकों के साथ धोखा ही नहीं मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना भी है। भारत सरकार के पास कॉर्पोरेट घरानों को देने के लिए पैसा है, परन्तु अपने जवानों को सैलरी, पेंशन देने के लिए नहीं। आज हालात ऐसे हैं कि केन्द्र और राज्य सरकार मे 1.60 करोड़ सरकारी पद खाली हैं। जिन पर भर्ती नहीं हो रही है, क्योंकि सरकार के पास सैलरी, पेंशन का पैसा नहीं है। मोदी सरकार ने 17 महीनों में 10 लाख नौकरियों का जुमला फेंका था परन्तु वे 8 साल में भी 10 लाख नौकरियां नहीं दे सकी।

 करन माहरा ने केन्द्र सरकार के फैसले पर सवाल खडा करते हुए कहा कि एक युवा जिसे पता है कि उसे 4 साल में बेरोजगार होना है उसकी अपने देश की सुरक्षा के प्रति, भारत माता की रक्षा के प्रति। राष्ट्र के प्रति कितनी निष्ठा, कितना समर्पण, कितनी कर्तव्य परायणता होगी यह समझा जा सकता है। भारतीय सेना अपने अनुशासन के लिए पहचानी जाती है। परन्तु जिस युवा को पता है कि उसे 4 साल बाद सेवा से बाहर कर दिया जाना है वह कितना अनुशासित रहेगा, सोचनीय विषय है। भारत देश की सीमाएं 4 देशों से लगती हैं और चारों  देशों से हमारे संबंध अच्छे नहीं है। चीन पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, चारों ही आज भारत की सीमा में घुसने के लिए छटपटा रहे हैं ऐसे में इस तरह से बिना मानकों का ध्यान रखें युवाओं की भर्ती यदि 4 साल के लिए होगी तो क्या यह देश की सुरक्षा के साथ धोखा नहीं तो क्या है? उन्होंने कहा कि अग्निपथ स्कीम में कुल 4 साल का सेवाकाल है। चार साल में ट्रेनिंग भी होगी। जवान छुट्टी पर भी जाएगा। जवान मुश्किल से सवा दो साल की नौकरी कर पाएगा। जब एक नौजवान को मालूम है कि ढ़ाई-तीन साल बाद बटालियन छोड़नी है तो वह संबंध और व्यवहार वह नहीं बना सकता। फौज में सरहद पर खड़े होकर देश के लिए शहादत देने के साथ-साथ अपने साथियों के साथ एक जज्बात पैदा होता है। लेकिन सवा दो साल की सेवा में सैनिक का मनोबल गिर जाएगा। सैनिक को जब लगता है कि ढाई-तीन साल बाद उसे जाना ही है तो फिर जोश की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज 1 लाख 20 हजार अधिकारियों के पद अकेले थल सेना में खाली है और सरकार बिना किसी तैयारी के योजनाएं ला रही है। सरकार को अहंकार, जिद में सेना पर ऐसी योजना नहीं थोपनी चाहिए

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