शिक्षकों के हित मे लिए जाने वाले निर्णयों को लेकर गठित की गई समिति की रिपार्ट में विलंब,शिक्षक नेता उठा रहे हैं सवाल,तो शिक्षा महानिदेशक ने स्थिति की स्पष्ट

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जहां सरलीकरण निस्तारण और समाधान का मूल मंत्र अधिकारियों को दे रहे हो,वही लगता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह मूल मंत्र पले नही पड़ रहा है,यह आरोप शिक्षक नेता लगा रहे हैं।1 अगस्त 2022 को शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत की अध्यक्षता में एक बैठक ली गई थी,जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग में एलटी कैडर के शिक्षकों के लिए मंडल संवर्ग के स्थान पर राज्य संवर्ग किए जाने, तथा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों और प्रधानाचार्य को एलटी संवर्ग में संयोजन संविलियन किए जाने के संबंध में प्रस्ताव आख्या तैयार किए जाने के निर्देश दिए थे । जिसके तहत शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के द्वारा 10 सदस्य समिति का भी गठन किया गया,जिसके तहत 1 सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट महानिदेशालय को उपलब्ध करानी थी। लेकिन हैरान की बात यह है कि 20 सितम्बर को जो आदेश शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के द्वारा जारी किया गया था, उसके तहत 1 सप्ताह क्या दिसंबर 2022 समाप्त होने को है लेकिन वह रिपोर्ट अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है,जिसको लेकर शिक्षकों में रोष देखने को मिल रहा है। कई शिक्षक नेता इसको लेकर सवाल भी उठा रहे हैं आखिर क्यों शिक्षकों के हितों में लिए जाने वाले निर्णय को लेकर देरी हो रही है।

शिक्षा महानिदेशक ने देरी की वजह की स्पष्ट

वही महानिदेशक बंशीधर तिवारी से जब हमने इस संबंध में बातचीत की तो वहां उन्होंने बताया कि इन पूरे मामलों में विधिक राय भी ली जा रही है जिसकी वजह से इसमें समय लग रहा है जैसे ही विधिक राय लेकिन रिपोर्ट उनके पास आएगी उसमें वह उचित निर्णय लेंगे।

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