राज्य आंदोलनकारी बीएल सकलानी की मौत के न्यायिक जांच की मांग,सरकार से परिजनों को 10 लाख मुवावजा देने की भी मांग

देहरादून । चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी समिति के झंडे तले कल रात देर तक चली वीडियो कांफ्रेंस में देशभर के उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने देहरादून में राज्य आंदोलनकारी बी एल सकलानी की दून अस्पताल में हुई मौत की न्यायिक जांच की मांग दोहराते हुए उनकी मौत के लिए सरकार और अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। इस मौके पर समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक और कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने सरकार से बीएल सकलानी के परिवार को 1000000 रुपए मुआवजा दिए जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की उपेक्षा व अवहेलना किए जाने के कारण ही बी एल सकलानी असमय ही मौत के शिकार हो गए। इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में जिसमें 3 दर्जन से भी अधिक राज्य आंदोलनकारियों ने सर पर काली पट्टी बांधकर बी एल सकलानी की मौत पर रोष व्यक्त किया।। वहीं उन्होंने आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय पूर्ण विलंब आंदोलनकारियों के 10% आरक्षण पर गवर्नर के द्वारा हस्ताक्षर ना किए जाने, दिवंगत आंदोलनकारियों के आश्रित परिवारों को पेंशन ना दिए जाने और मुजफ्फरनगर खटीमा और मसूरी कांड के दोषियों को सजा ना दिलाए जाने पर रोष व्यक्त किया ।और आगामी 23 सितंबर को विधानसभा सत्र के पहले दिन विधानसभा भवन के बाहर सत्याग्रह करने का अपना निश्चय दोहराया। इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में जिसमें धीरेंद्र प्रताप के अलावा समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरि कृष्ण भट्ट अभियान समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट संरक्षक मंडल के सदस्यों डॉक्टर शक्ति सेल कपरवाण ,देवी प्रसाद व्यास, नवीन मुरारी,शीभाराम नौडियाल महिला शाखा की अध्यक्ष सावित्री नेगी मकहामन्र्त्री जानकी गोस्वामी कार्यकारी अध्यक्ष गण अनिल जोशी डॉ विजेंद्र पोखरियाल उपाध्यक्ष अरुणा थपलियाल दिल्ली शाखा के अध्यक्ष बृज मोहन सेमवाल सरक्षंक अनिल पंत प्रवक्ता प्रेमा धोनी ,सलीम खान,नवीन शैतानी,चन्द्रशाखर बिजल्वाण समेत तमाम तेरा जनपदों र दिल्ली एन सी आर के आंदोलनकारियों ने भाग लिया बीएल सकलानी की मौत पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया गया। सभी वक्ताओं की राय थी कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आंदोलनकारियों के मसले पर कुंभकरण की नींद में सो रहे हैं। एक एक कर आंदोलनकारियों की मौत होती जा रही है और त्रिवेंद्र सिंह रावत धृतराष्ट्र की तरह अंधे बने हुए है। सभी वक्ताओं ने राज्य सरकार की आंदोलनकारियों के मामले में हीला हवाली पर भारी नाराजगी का इजहार किया। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि राज्य में कोरोना बढ़ रहा है यही कारण है कि आंदोलनकारी सरकार से आमना- सामना करने से बच रहे हैं। परंतु समिति के केंद्रीय अध्यक्ष हरि कृष्ण भट्ट ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार ने अगर अपना आंदोलनकारियों के प्रति नफरत का रवैया न बदला तो आंदोलनकारी अगर उग्र रवैया अपनाएंगे तो इसकी सारी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनकी निकम्मी और निष्ठुर सरकार की होगी। समिति के युवा आंदोलनकारियों अनिल जोशी विजेंद्र पोखरियाल,अनिल पतं, प्रेमा पोनी और अन्य नेताओं ने भी सरकार के रवैया को शर्मनाक बताया और विधानसभा सत्र को रोकने हेतु हर कुर्बानी देने का संकल्प जताया। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि 19 सितंबर को दोपहर 12:00 बजे राज्य आंदोलनकारी फिर से एक बार वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे और 23 सितंबर के देहरादून मे बढ रहे कोरोना के हालातों पर चर्चा करने के बाद 23 सितंबर के देहरादून कुछ पर अंतिम फैसला लिया जाएगा इस मौके पर दिल्ली के आंदोलनकारियों अनिल पंत, बृज मोहन सेमवाल प्रेमा धोनी और मनमोहन शाह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के दिल्ली आने पर उनका स्वागत काले झंडों से किए जाने का एलान किया। इस मौके पर स्वर्गीय बीएल सकलानी और उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्राद्ध के इस मांस में याद किया गया और उनकी याद में 2 मिनट का मौन रखकर सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में स्वर्गीय बीएल सकलानी के परिवार को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार सरकार से 1000000 रुपए मुआवजा दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया।

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