Exclusive:शिक्षकों के सिर दर्द बना विभागीय आदेश,लॉक डाउन का करें पालन या उल्लंघन,डीएम ने लिया संज्ञान

देहरादून। कारेाना वायरस के चलते भले ही उत्तराखंड में लाॅक डाउन किया गया हो,लेकिन चम्पावत जिले के इंटर काॅलेज और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों के समझ नहीं आ रहा है कि वह लाॅक डाउन के आदेश का पालन करें या लाॅक डाउन का उल्लघंन कर स्कूल पहुंचे । जी हां ये हम नहीं चम्पावत जिले के शिक्षकों की शिकायत पर हम कर रहे है। दरअसल चम्पावत जिले के 64 इंटर काॅलेजों और 22 प्राइवेट स्कूलों को कारोना वायरस को देखते हुए कोरेंटाइन सेंटर बनाने के निर्देश दिए गए है । जिसके चलते चम्पावत के मुख्यशिक्षा अधिकारी ने एक ओदश जारी किया है जिसके तहत कोरेंटाइन सेंटर बनाएं गए स्कूलों में तैनात शिक्षक और र्कचारियों को उपस्थिति रहने के निर्देश दिए गए है। हांलाकि ओदश में ये साफ नहीं है कि कितने शिक्षक या स्टाॅफ स्कूला में लाॅक डाउन के बावजूद उपस्थित रहेंगे। मुख्यशिक्षा अधिकारी के आदेश पर स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने सभी शिक्षकों और कर्मचारियेां को स्कूल में उपस्थित रहने के निर्देश दिए है। कई शिक्षकों का कहना है कि लाॅड डाउन के समय स्कूल न पहुंचने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही जा रही है। जिससे शिक्षक डरे हुए है कि वह लाॅक डाउन का पालन करे या विभागीय आदेश का। शिक्षकों का कहना ये भी है कि जब लाॅक डाउन के चलते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल डिस्टेशिंग का पालन करने की बात कर रहे है तो फिर जब एक स्कूल में सभी कर्मचारी और शिक्षक 10 से से ज्यादा एक जगह मौजूद होंगे तो फिर कैसे सोशल डिस्टेशिंग का पालन हो पाएंगा। कई स्कूलों में यही आंकणा 20 के पार भी पहुच जाएंगा। सबसे खास और अमह बात ये है ज्यादा तर शिक्षक अपने घर में फंस गए है और वह लाॅक डाउन के चलते कैसे घरों से बाहार निकले। 

डीएम ने दी जानकारी

अपणु उत्तराखंड ने जब इस बारे में चम्पावत जिले के अधिकारी एसएसन पाण्डेय से बात की तो जिलला अधिकारी ने सिरे से उन सभी आदेश को निराधार बताया दिया जो मुख्यशिक्षा अधिकारी और प्रधानाचार्यों के द्धारा जारी किए गए है। जिला अधिकारी एसएसन पाण्डेय ने बताया है कि अपणु उत्तराखंड से उन्हे ये जानकारी मिल रही है कि इस तरह के आदेश उनके जनपद में स्कूलों के लिए हुए है,लेकिन वह स्पष्ट कर देनेा चाहते है। किसी भी स्कूल में जरूरत पड़ने पर ही शिक्षकों और स्टाॅफ को बुलाया जाएंगा वह भी पूरे स्टाॅफ को नहीं बल्कि न्यूनतम स्टाॅफ को जिससे पूर्व में किए गए आदेशों का पालन को सके। अगर इस तरह का कोई बात है तो वह साफ कहना चाहते है कि उनके द्धारा कोई निर्देश स्कूलों को लेकर नहीं दिए गए है कि सभी स्टाॅफ स्कूल में पहुंचे। यानी जिला अधिकारी के द्धारा ये स्पष्ट हो गया कि जो आदेश मुख्यशिक्षा अधिकारी और प्रधानाचार्य के द्धारा जारी किया गया है कि सभी कर्मचारी और शिक्षक स्कूल पहुंचे वह निराधार है। क्योंकि स्कूलों को लेकर आदेश दिए गए है कि कोराना वायरस के चलते स्क्ूल कोरेंटाइन सेंटर के लिए तैयारी रखे न कि कोरेंटाइन सेंटर के बहाने सभी शिक्षक और कर्मचारी स्कूल पहुंचकर पूर्व में जारी किए आदेशों करी अवहेलना करें जिसमें 5 से ज्यादा लोग एक जगह एक्कठा न होने को लेकर जारी किए गए है। 

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