धामी सरकार ने निभाया अपना वादा,नकल विरोधी कानून पर लगाई मुहर – जोशी

देहरादून। धामी सरकार के द्वारा प्रदेश में जहां देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून पास पास कराया गया है,वहीं नकल विरोधी कानून को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने प्रदेश कार्यालय में सख्त नकल विरोधी कानून पास कराने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है, साथ ही कहा है कि चुनावी वादे के दौरान जो वादा धामी सरकार के द्वारा किया गया था, कि पारदर्शिता के साथ प्रदेश में परीक्षाएं संपन्न कराई जाएंगी, इसी वादे के तहत सख्त नकल विरोधी कानून प्रदेश सरकार के द्वारा पास कराया गया है, जिस तरीके से प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक हो रहे थे, सख्त कानून लागू होने के बाद इस पर पूरी तरीके से विराम लग जाएगा।  

 

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने बताया कि नकल विरोधी कानून में कड़े प्रावधान किए गए हैं जो देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून हैं
1- इस कानून को उत्तराखंड प्रतियोगिता परीक्षा अध्यादेश 2023 के संक्षिप्त नाम से जाना जाएगा। जिसे इन परीक्षाओं में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय अथार्थ नकल रोकने के दृष्टिगत लाया गया है ।
2- यहाँ प्रतियोगिता परीक्षा से अर्थ, राज्य सरकार के अधीन आने वाले सभी कार्यालयों, बोर्ड, निगम, निकाय, प्रतियोगी संस्था या राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त संस्था के किसी पद पर चयन के लिए संचालित होने वाली परीक्षा ।
3- इस कानून में संगठित अपराध के तहत प्रतियोगी परीक्षा तंत्र एवं परीक्षा आयोजन प्रक्रिया से संबन्धित सरकारी, गैरसरकारी व्यक्ति या संस्था, जो नकल को किसी भी तरह से अंजाम देता हुआ पाया जाता है उसे न्यूनतम 19 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारवास की सजा एवं न्यूनतम 1 करोड़ से अधिकतम 10 करोड़ रुपए का जुर्माना का प्रवाधान है। जुर्माना नहीं चुकाने पर 3 वर्ष तक का कारावास बढ़ाया जा सकता है ।
4- इसी तरह यदि परीक्षा अभियार्थी नकल में संलिप्त पाया जाता है तो उसके लिए दोषी पाये जाते पर 3 वर्ष का कारावास एवं 5 लाख का जुर्माना का प्रावधान है, दोबारा दोषी पाये जाने पर न्यूनतम 10 वर्ष की सजा व न्यूनतम 10 लाख के जुर्माना होगा ।
5- नकल का आरोपी अभ्यर्थी आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से 2 से 5 वर्ष एवं दोष सिद्ध होने पर 10 वर्ष तक की अविधि तक परीक्षा प्राधिकारी धारा आयोजित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रतिबंत होगा । इसी तरह यदि दोबारा दोषी पाया गया तो आरोप पत्र तिथि से 5 वर्ष एवं अपराध सिद्ध होने पर आजीवन परीक्षाओं में शामिल होने से प्रतिबंधित रहेगा । 
6- यदि जिला मजिस्ट्रेट को प्रतीत होगा कि आरोपी व्यक्ति ने कोई संपाति इसी अपराध से अर्जित की है तो वह उसकी कुर्की के आदेश दे सकता है।

7- यदि कोई प्रतियोगी परीक्षा प्रश्न पत्रों, उत्तरपत्रों या OMR शीट की चोरी, लूट या अनधिकृत रूप से नष्ट करने का दोषी साबित होगा तो उसे न्यूनतम 7 वर्ष से अधिकतम 10 वर्ष की सजा एवं 50 लाख से एक करोड़ जुर्माने का प्रावधान है। 

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