करें योग रहे निरोग,कैसे करें अर्धमत्स्येंद्रासन और क्या है इस आसन के फायदे,जानिए आप

देहरादून । करे योग रहे निरोग के तहत आज हम आपके लिए लेकर आए हैं अर्धमत्स्येंद्रासन, जी हां इस आसन के क्या फायदे और कैसे से आसन किया जाता है इसे हम आपको समझाएंगे । उत्तराखंंड की योगा युगा ब्रांड एमेस्टर दिलराज प्रीत कौर नेेेेेेेेे इस आसन के फायदे हैं और कैसे इस आसान को के किया जााता है वह बताया है।

कैसे करें अर्धमत्स्येंद्रासन 

जमीन पर बैठें।

अब दोनों पैरों को आगे फैलाएं।

बायां पांव इस प्रकार मोड़ें कि एड़ी कूल्हेध के किनारे से स्पपर्श कर रही हो।

दायां पैर जमीन पर बाएं घुटने के निकट रखें।

बाईं बांह को दाएं घुटने के ऊपर रखें तथा दाएं पैर के पंजे को बाएं हाथ से पकड़ लें।

दाईं बांह को कमर की ओर से ले जाकर पीठ के पीछे ले जाएं और पीछे से नाभि स्पकर्श करने का प्रयास करें।

अपना सिर दाईं ओर घुमाएं और पीछे की ओर देखने का प्रयास करें।

जब पीछे देखते हैं तो सांस छोड़ते हुए देखें।

अपने हिसाब से आसन को बनाएं रखें।
यह आधा चक्र हुआ।इसी क्रिया को दूसरी तरफ से दोहराएं।
अब एक चक्र हुआ। 

इस तरह से तीन से पांच चक्र करें।

अर्धमत्स्येंद्रासन योग के लाभ

डायबिटीज के लिए रामबाण: आप सिर्फ अर्धमत्स्येंद्रासन योग करके मधुमेह को बहुत हद तक कण्ट्रोल कर सकते हैं। यह आसन पैंक्रियास को स्वस्थ रखते हुए इन्सुलिन के बनने में मदद करता है और मधुमेह के रोकथाम में अहम भूमिका निभाता है।

मोटापा कम करने के लिए: अगर आपको अपनी पेट चर्बी कम करना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें। इस आसन के अभ्यास करते समय अगर इसे कुछ ज़्यदा वक्त के लिए मेन्टेन किया जाए तो पेट की चर्बी को गलाने में अच्छी सफलता मिलती है।

रीढ़ को लचीला बनाता है : यह रीढ़ तथा पीठ की पेशियों को मजबूत करता है और उन्हें लचीला बनाता है।

किडनी के लिए लाभकारी: इसके अभ्यास से आप अपने गुर्दों को स्वस्थ रख सकते हैं।

एड्रीनल ग्रंथि: यह एड्रीनल ग्रंथि के लिए लाभकारी योगाभ्यास है।
यकृत और प्लीेहा: यह यकृत और प्लीेहा को स्वस्थ रखता है।

कब्ज रोकने में : पेट के विभिन्य जूस के स्राव में मदद करते हुए पाचन को सही करता है और कब्ज से निजात दिलाता है।

दमा रोगियों के लिए लाभदायक: इसके अभ्यास से फेफड़े में अच्छा खासा खिंचाव आता है और दमा के रोगियों को राहत दिलाने में कारगर है ।

झुके हुए कंधों: इसके नियमित अभ्यास से झुके हुए कंधों और मुड़ी पीठ को ठीक किया जा सकता है।

कंधों के मजबूती के लिए: यह कन्धों, कूल्होंक और गर्दन को खींचता है और मजबूत बनाता है।

अर्धमत्स्येंद्रासन योग की सावधानी
गर्भवती महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।

रीढ़ में अकड़न से पीडि़त व्यक्तियों को यह आसन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

एसिडिटी या पेट में दर्द हो तो इस आसन के करने से बचना चाहिए।

घुटने में ज़्यदा परेशानी होने से इस आसन के अभ्यास से बचें।
गर्दन में दर्द होने से इसको सावधानीपूर्वक करें

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