शिक्षा मंत्री के लाइजन अफसर निलंबित,क्या निशाने पर है शिक्षा मंत्री,एनओसी की लिए डबल इंजन सरकार में भी अलग कानून

देहरादून। शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय के लाइजन अफसर सुरेंद्र पाल सिंह नेगी को उत्तराखंड शासन ने निलंबित कर दिया है। निलम्बन का आधार दो बिंदुओं को लेकर है,पहला तो ये कि लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता के पद पर तैनाथ सुरेंद्र पाल सिंह नेगी नियुक्त है,लेकिन बिना विभागीय एनओसी के वह शिक्षा मंत्री के साथ रह रहे है। इसलिए उत्तराखंड शासन ने इसे कर्मचारी नियमवाली के विरूध बताया है। दूसरा आधार जो निलंबित करने का है वह ये है कि 10 जुलाई को शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय के हरेला कार्यक्रम के दौरान उत्तरकाशी में जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक को थपड़ मारने की धमकी की खबर का उत्तराखंड शासन ने संज्ञान लिया ंहै जिसे शासन ने गंभीर माना है। यही वह दो मुख्य बिंदु है जिनको लेकर लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता के पद पर तैनाथ और शिक्षा मंत्री के लाइजन आॅफसर को निलबिंत किया गया है। यहां तक तो इस खबर का एक पहलू समझ आ गया है। लेकिन इस पूरे मामले में क्या – क्या पहलू जूड़े हुए है। वह भी हम आपको  कुछ सवालों के जरिए बातते है।

सवाल नम्बर 1 – शिक्षा मंत्री के लाइजन अफसर सुरेंद्र पाल सिंह नेगी से उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग,विभागीय एनओसी की बात शिक्षा मंत्री के साथ दौरे के दौरन न होने की बात करता है। लेकिन सवाल इस बात है कि क्या डबल इंजन की सरकार में एक मंत्री के करबी लोगों के लिए अगल अलग नियम है। जी हां शिक्षा विभाग के ही एक अधिकारी के पास शिक्षा विभाग की बिना एनओसी के दूसरे विभाग में सालों से जमे हुए है,लेकिन उत्तराखंड शासन कि क्या मजाल कि उनको सस्पेंड कर दिए। क्योंकि शिक्षा विभाग की वह अधिकारी उत्तराखंड के कदावर मंत्री की करीबी है,इसलिए उत्तराखंड शासन को उनकी एनओसी की कोई परवाह नहीं है। इसलिए सवाल उठता हैै क्या उत्तराखंड में एक मंत्री के करीबी होने के लिए भी अलग अलग नियम कायदें कानून चल रहे हैं।

सवाल नम्बर 2 – शिक्षा मंत्री के लाइजन अफसर के द्धारा उत्तरकाशी के जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को थपड़ मार लेने की धमकी की खबर को लेकर शिक्षा विभाग जांच कर रहा है तो फिर लोकनिर्णाण विभाग ने क्यों शिक्षा विभाग की उस जांच का आने का इंतजार नहीं किया है।

सवाल नम्बर 3 – शिक्षा मंत्री के साथ हरेला पर्व कार्यक्रम के दौरान पूरे प्रदेश के भ्रमण के दौरान उनके लाइजन अफसर मौजूद रहे। लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर जब शिक्षा मंत्री का ये दौर चल ही रहा था,तो फिर लोकनिर्माण विभाग ने बिना तबादला एक्ट के सुरेंद्र पाल सिंह नेगी का ताबदला रूद्रपुर से थराली क्यों कर दिया । सवाल इस बात का भी है कि आखिर विभाग को विभागीय एनओसी की याद तब ही क्यों आई जब शिक्षा मंत्री के हरेला कार्यक्रम के दौरान सुरेंद्र पाल सिंह नेगी उनके साथ मौजूद रहे। उससे पहले भी कई बार शिक्षा मंत्री के साथ पाल सिंह नेगी जिले से बाहर रहे।

लाइजन अफसर के बहाने,मंत्री तो नहीं है निशाने पर ?

इस पूरे मामले को देखे तो ऐसा प्रतित होता है, कि कहीं शिक्षा मंत्री के लाइजन अफसर के बहाने शिक्षा मंत्री निशाने पर तो नहीं है। क्योंकि सियासी गलियारों से लेकर राजनीति के समझ रखने वाले लोग यहीं माईने लगा रहे है कि शिक्षा मंत्री के के लाइजन अफसर पर जो कार्रवाई की गई उससे शिक्षा मंत्री निशाने पर है। और वजह शिक्षा मंत्री के सफल हरेला कार्यक्रम का आयोजन करना हैै। जिसकी वजह से शिक्षा मंत्री ने अपने इस कार्यक्रम के जरिए पूरे प्रदेश का भ्रमण कर जो लोकप्रियता बटोरी है। खैर ये तो सियासी माईने है। लेकिन हकीकत यहीं है कि शिक्षा मंत्री के के लाइजन अफसर निलंबित कर दिए गए है। लाइजन अफसर के संसस्पेड होने पर शिक्षा मंत्री किस तरह उनका बचाव करते है,ये तो देखने वाली बात होगी। लेकिन सवाल इस बातको लेकर है कि आखिर शिक्षा मंत्री किसके निशाने पर है जो उनके करीबी अधिकारी पर गाज गिराई गई है। क्योंकि किसी भी राज्य में एक कैबिनेट मंत्री बहुत पहुंच रखता है,और उसके करीबी लोगों को सस्पेंड किया जाएं ये वाक्या भी कम ही देखने को मिलता है। 

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