विधान सभा से निकाले गए कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से भी लगा झटका,विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का जताया आभार,युवाओं के हित मे बताया फैसला

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बैक डोर से नियुक्ति पाए कर्मचारियों को बहार किए जाने के विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर हाई कोर्ट की डबल बेंच की मुहर के बाद अब सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर लग चुकी है। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने जहां 2016 और 2021 में विधानसभा में भर्ती किए गए कर्मचारियों को बाहर किए जाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया था तो वहीं 2016 में नियुक्ति पाई कुछ कर्मचारी हाई कोर्ट की डबल बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसको लेकर 3 पीटीसीयन सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई। तीनों पीटीसीयन को एक साथ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई,खास बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी का कहना है, कि उनके द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगाई गई थी,ताकि सुप्रीम कोर्ट में जो भी सुनवाई हो उसमें विधानसभा के द्वारा लिए गए निर्णय को सुना जाए।

भारत के सॉलिटियर जनरल भी विधानसभा की तरफ से पहुंचे थे पैरवी की लिए

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी अपने पर्सनल कैपेसिटी के तौर पर इस पूरे मामले में विधानसभा की तरफ से पक्ष रखने पहुंचे थे। जबकि हाईकोर्ट की डबल बेंच में विधानसभा का पक्ष रखने वाले एडवोकेट अमित तिवारी भी विधानसभा की ओर से पैरवी कर रहे थे। जबकि विधानसभा से निकाले गए, कर्मचारियों की पैरवी एडवोकेट विमल पटवालिया कर रहे थे। अभिषेक मनु सिंघवी को भी पैरवी के लिए पहुंचना था, लेकिन वह पैरवी के लिए नहीं पहुंचे।

डेढ़ मिनट चली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों के द्वारा डाली गई पीठासीन की सुनवाई महज डेढ़ मिनट तक चली, सुनवाई के दौरान जज की तरफ से पीठासीन को डिस्मिस किए जाने की बात कही गई तो फिर विधानसभा से बाहर किए गए कर्मचारियों की पैरवी कर रहे वकील के द्वारा याचिका को वापस ले लिया गया।

विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

वहीं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद जो फैसला आया है,उसको लेकर आभार व्यक्त सर्वोच्च अदालत का किया गया। साथ ही इसे उत्तराखंड के युवाओं के लिए न्याय के फैसले के रूप में बताया गया है।

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