Exclusive : शिक्षक संगठन के चुनाव को लेकर शिक्षा मंत्री और सीएम की अलग – अलग राय,अध्यक्ष और महामंत्री में टकराव जारी

देहरादून। संगठन में शक्ति हो तो संगठन मजबूती के साथ कुछ भी कर सकता है। लेकिन अगर संगठन में फूट पड़ी हो तो उसका हाल उत्तराखंड राजकीय संगठन के जैसे होता है। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि जिस तरह से इन दिनों राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष और महामंत्री आमने सामने आ रहे है,और एक दूसरे के खिलाफ आक्रमक बयान बाजी कर रहें हैं। उसे लग रहा है कि यह संगठन की लड़ाई नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्वार्थों की लड़ाई के चलते सबसे प्रबुद्ध संर्गठन के पदाधिकारी आपस में इस तरह लड़ रहे है,जैसे यह शिक्षक संगठन के पदाधिकारी नहीं बल्कि किसी ऐसे संगठन के पदाधिकारी हो जो तो खुद बहुत ज्ञाता हों लेकिन उस संगठन के सदस्य पढ़े लिखे न हो,लेकिन शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों को पता होना चाहिए जिस राजकीय शिक्षक संगठन के हुंकार पर कई बार सरकार हिलजाय करती थी,उसी संगठन के पदाधिकारी आज अपने संगठन के चुनाव के लिए सरकार के समाने गिड़गिडा से रहे है। संगठन के कुछ पदाधिकारी शिक्षा मंत्री को इस बात कि लिए तैयार कर देते है कि उन्हे अप्रैल में चुनाव कराने के लिए अनुमति दी जाएं तो कुछ पदाधिकारी चुपके से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास पहुंचकर शिक्षा निदेशक को फोन करवा कर चुनाव बोर्ड परीक्षाओं के बाद करनाने के लिए कह देते है। अब जिन पदाधिकारियों की पहुंच जहां तक है वह उस हिसाब से पहुंच के हिसाब से चुनाव को आगे पिछे करवाने में लगे है। बतााया जा रहा है कि गैरसैंण सत्र में शिक्षा मंत्री ने संगठन के चुनाव अप्रैल में कराने को हरी झड़ी दे चुके थे,लेकिन कुछ पदाधिकारी मुख्यमंत्री के पास पहुंचकर चुनाव बोर्ड परीक्षा के बाद कराने का अग्रह किया,जिससे सीएम ने स्वीकार कर लिया। ऐसे में कहा जा सकता है कि शिक्षक संगठन की आपसी कलह में शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री भी अलग – अलग राह चल रहे है। लेकिन मुख्यमंत्री के द्धारा चुनाव बोर्ड परीक्षा के बाद कराए जाने के बाद शिक्षा मंत्री अब मामले से खुद को अलग कर चुके है। चुनाव कराने को लेकर राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी का कहना है कि वह मुख्यमंत्री से आग्रह करते है कि 20 अप्रैल से 30 अपै्रल के बीच चुनाव कराने के लिए अनुमति दे तो यह चुनाव कराने का सबसे बढ़िया समय होगा। और बोर्ड परीक्षा से पहले चुनाव भी निपट जाएंगे। वही ंराजकीय शिक्षक संगठन के महामंत्री सोहन सिंह मांजिला का कहना कि संगठन के अध्यक्ष जब चाहे वह चुनाव करा सकते है। लेकिन चुनाव की तारिख घोषित करने के लिए उन्होने हल्द्धवानी में बैठक बुलाई थी,जिसमें अध्यक्ष नहीं पहुंचे और चुनाव की तारिख घोषित नहीं हो पाई।

 जून में हों चुनाव तो पदाधिकारियों की बोलती होगी बंद

राजकीय शिक्षंक संगठन के चुनाव जून महीने में हों तो सबसे बढ़िया होगा,क्योंकि अगर जून में चुनाव होता है तो फिर जो शिक्षक चुनाव के लिए स्कूल छोड़कर चुनाव में वोट देने के लिए आएंगे उन्हे शिक्षा विभाग अलग से छुट्टी भी नहीं देगा। चुनाव के चुनाव हो जाएंगे,और चुनाव से न तो विभाग पर कोई फर्ख पड़ेगा और ना ही छोत्रों को क्योकि अगर नए शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही,चुनाव के लिए शिक्षकों को दो से दिन की छुट्टी मिलती है तो इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा। सरकार के इस फैसले बच्चों को इसका फायदा होगा। तो उन शिक्षक नेताओं के लिए भी एक जवाब होगा,जो ढेड साल बाद भी चुनाव नहीं करा पाएं और अपनी हनह सीधे सत्ता तक बताते है।

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