विरोधियों के साथ अपनों को भी हरक ने आंकड़ों के साथ दिया जवाब,कहा घोटाला होने का सवाल ही नहीं बनता

देहरादून। कर्मकार कल्याण बोर्ड घोटाले के आरोपों को झेल रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इन दिनों खासी परेशान नजर आ रहे हैं इतना ही नहीं कर्मकार कल्याण बोर्ड के साथ कोटद्वार में कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल निर्माण के लिए एक कंपनी को 20 करोड़ पर के भुगतान किए जाने पर भी कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर सवाल उठ रहे हैं, भाजपा विधायक दिलीप सिंह रावत ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत टाइगर सफारी पर भी सवाल खड़े कर दिए जिससे हरक सिंह रावत एक साथ कई मुसीबतों में नजर आ रहे हैं इन्हीं को लेकर हरक सिंह रावत ने तीन बड़े बिंदुओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है।

20 करोड़ के भुगतान को बताया सही

हरक सिंह रावत का कहना है कि चुनावी घोषणा के मुताबिक कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज का निर्माण होना था लेकिन राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज के लिए 600 करोड रुपए खर्च करने की स्थिति में नहीं थी इसलिए कोटद्वार में 300 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने का निर्णय लिया गया। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से भी पत्राचार हुआ और उसके बाद ही इस हॉस्पिटल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। उन्होंने कहा कि कोटद्वार में 300 बेड का पहले से बेस अस्पताल है। और 300 बेड का ई एस आई हॉस्पिटल बनने से एक तरीके से मेडिकल कॉलेज की कमी पूरी हो जाती।कोटद्वार में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईएस) अस्पताल के निर्माण के लिए एक कंपनी को 20 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला करोड़ों रुपये के कथित घोटाले को लेकर चर्चा में आए उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से जुड़ा है। शासन के संज्ञान में आया है कि कोटद्वार में बनाए जा रहे ईएसआईएस अस्पताल के लिए 20 करोड़ रुपये का भुगतान कर्मकार बोर्ड से किया गया है, लेकिन इसमें धनराशि भुगतान की प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। 20 करोड़ का भुगतान निर्माण एजेंसी को दे दिया गया। इस मामले पर मुख्य सचिव ने सचिव श्रम एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड से रिपोर्ट तलब की। तथ्यों की पड़ताल के बाद मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने मामले को गंभीर मानते हुए कार्रवाई के लिए प्रकरण मुख्यमंत्री को भेज दिया है। वहीं पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए श्रममंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसी को 20 करोड़ की पहली किस्त दी गई । इसमें मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री, श्रम सचिव के अनुमोदन के शासनादेश के बाद ही कार्यदायी संस्था को 20 करोड़ की पहली धनराशि दी गई है। सभी काम नियमानुसार हुए हैं।

कर्मकार कल्याण बोर्ड में नही हुआ है घोटाला

श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने कर्मकार कल्याण बोर्ड में घोटाले के आरोपों पर भी प्रतिक्रिया दी,हरक सिंह रावत ने कहा है कि उनके कार्यकाल में श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन व सेस वसूली में ऐतिहासिक काम हुआ है। पिछली सरकार से तुलना करते हुए उन्होंने कहा की 2010 से 2017 तक 7 साल में 1लाख 90 हजार 73 श्रमिक रजिस्टर्ड किए गए थे। जबकि 2017 के बाद हिना दो-तीन सालों में 180000 श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया गया.उन्होंने कहा कि 2008 से 2017 तक लेबर सेस के तौर पर 176 करोड रुपए एकत्रित किए गए जबकि उनके कार्यकाल में मात्र 3 साल में 380 करोड रुपए लेबर सेस के तौर पर जमा किया कराए गए। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने आर्मी रेलवे और ऑल वेदर रोड में काम करने वाली निर्माण एजेंसियों से भी लेबर सेस की वसूली की। साथ ही  श्रमिकों के खाते में ड्यूटी के माध्यम से सीधा पहुंचा है ऐसे में कोई सवाल ही नहीं होता है।

टाइगर सफारी से उत्तराखंड को मिलेगी पहचान – हरक 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट टाइगर सफारी उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की पाखरो रेंज में बनने जा रही है। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा करीब 150 सौ करोड़ की लागत से बनने वाली देश की इस पहली टाइगर सफारी के बनने से क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। टाइगर सफारी में दो बाड़ों का निर्माण किया जाएगा। जिसमें बाघों को देखने के लिए देश-विदेश से पशु प्रेमी पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि लालढांग-चिलरखाल वन मोटर मार्ग में जिस तरह कुछ संस्थाओं ने अड़ंगा लगाया, उन्हें उम्मीद थी कि इस परियोजना में भी कोई संस्था अड़ंगा लगा सकती है। इसलिए निर्माण संबंधी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही कार्य का शिलान्यास किया गया। उन्होंने कहा कि टाइगर सफारी का निर्माण कोटद्वार क्षेत्र में विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। वन मंत्री ने कहा कि इसके प्रारंभिक बजट की व्यवस्था टाइगर फाउडेशन से की गई है। इसके तहत बहुदेश्य भवन और म्यूजिम तो बनेगा ही साथ ही झील का निर्माण भी किया जाएगा। टाइगर सफारी बनने से अन्य निर्माण कार्यों के न होने को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा। यह पूरी तरह एक प्राकृतिक जू होगा।

अब इसे डॉ हरक सिंह रावत का सियासी दांव समझें या फिर सब्र का पैमाना छलकने जैसा कहें। बहरहाल यह तो तय है कि चार साल बाद अचानक हरक सिंह रावत ने  प्रेस कांफ्रेंस कर एक साथ 3 बड़े मामलों पठाक्षेप अपनी तरफ से किया है,जो उनकी ओर से बड़ा संदेश दे रहा है ,कि यदि अब हरक सिंह रावत पर उंगली उठी तो वह चुप नहीं बैठेंगे । 

 

 

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