स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पर कोरोना फैलाने का आरोप,अस्पताल में कई कर्मचारी और उपचार करा रहे मरीज कोविड पॉजिटिव

देहरदून। उत्तराखंड में जहां एक तरफ स्वास्थ्य विभाग कोराना के खिलाफ जंग ही नहीं लड़ रहा है,बल्कि इस महामारी से मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी भी अदा कर रहा है। इस महामारी से बचाव के उपायों को जहां स्वास्थ्य विभाग आम लोगों को जागरूक करने काम भी कर रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और डाक्टर अपनी जान की परवाह न कर कोविड मरीजों को इस महामारी से बहारा निकालने काम कर रहे है। लेकिन विभाग के ही एक अधिकारी पर कोराना फैलने का आरोप लगा है। जिससे सवाल खड़े हो रहें है जहां एक तरह स्वास्थ्य विभाग कोराना से बचाव के उपायों को समझाने की कोशिश में लगा हुआ है वहीं एक अधिकारी की ला परवाही से कई लोगों की जान खतरे में पड़ गई है। जी हां शोषल मीडिया पर एक पत्र तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें सेलाकुई स्थिति मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा अधिक्षक पर कोराना फैलाने का आरोप लग रहें है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए,जिससे किसी तरह का खतरा पैदा कोराना को लेकर अस्पतालों में न फैले वह भी उन लोगों के द्धारा जिन लोगों को इस बिमारी से सुरक्षित रहने का संदेश देना है न कि इस बिमारी को फैलाने का संदेश दे। लेकिन क्या उस पत्र में आरोप चिकत्साअधिक्षक पर लगे है। पत्र में लिखी पूरी बाते इस प्रकार है।

“डॉ सीपी त्रिपाठी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक/अपर निदेशक राज्य मानसिक स्वास्थ्य .संस्थान सेलाकुई की लापरवाही से अस्पताल में भर्ती कई मरीज और कार्यरत स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हुए। उनके निवास स्थान पर एक लड़का जो साथ में रहता है उसकी विगत हफ्तों में कोरोना जांच हुई, जांच के उपरांत रिपोर्ट आने से पहले इस लड़के का अस्पताल में आना-जाना बेरोकटोक लगा रहा। यही नहीं अस्पताल में कार्यरत एक लिपिक की बेटी की 25 तारीख की शादी में भी यह उस लड़के को लेकर और फार्मासिस्ट महिंद्र पवार के साथ शरीक हुए।

जबकि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इस लड़के के साथ और उक्त फार्मासिस्ट के साथ एक ही क्वार्टर पर रहते हैं इन सब को इस लड़के की जांच के उपरांत ही आइसोलेशन में चले जाना चाहिए था परंतु नहीं गए। इस बीच 25 तारीख से पहले शनिवार को कुछ मरीजों की तबीयत बिगड़ गई और ऑक्सीजन का लेवल नीचे गिर गया। लगभग 28 तारीख के आसपास इस लड़के की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और यह फार्मासिस्ट ने अपनी जांच करवाई और होम आइसोलेशन में गए परंतु लापरवाही की हद देखिए फिर भी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल के राउंड लिए और 2 तारीख रविवार को समस्त स्टाफ एवं चिकित्सा अधिकारियों के साथ इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जिसमें वह स्वयं उपस्थित रहे। 3 तारीख से महेंद्र पवार फार्मेसिस्ट लगातार अस्पताल में आकर अपना कार्य कर रहे हैं परंतु मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महोदय एवं उकत फार्मासिस्ट ने अपनी रिपोर्ट साझा नहीं करी पोसिटिव फार्मासिस्ट महेंद्र पवार को स्वास्थ्य महानिदेशालय एवम मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून के कार्यालय भी भेजा गया।

पॉजिटिव होने के बावजूद भी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का अस्पताल में राउंड लेना एवं फार्मासिस्ट का लगातार अस्पताल में कार्य करना कोरोना महामारी को अस्पताल के कई सरीजों और कार्यरत स्टाफ को संक्रमित कर दिया

एक महिला चिकित्सा अधिकारी कोरोना लक्षण के चलते अवकाश पर है। 2 स्टाफ नर्स श्रीमती प्रियंका हिमानी रतूडी कोरोना पॉजिटिव है एवं 2 स्टाफ नर्स श्रीमती महेश्वरी एवं सुनैना के पति पॉजिटिव हो चुके हैं एक वर्ड आया लक्ष्मी की बेटी कॉसेटिव हो चुकी है।

अंत: रोगी विभाग के महिला वार्ड में कई मरीज पॉजिटिव हैं और करीना से जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। एक महिला मानसिक रोगी पोसिटिव है 2. अन्य की रिपोर्ट नेगेटिव है पर इन सभी का ऑक्सीजन लेवल कम है। साथ कई अन्य महिला रोगियों में कोरोना के लक्षण है पर इनकी जांच नहीं कराई जा रही है। 9-10 महीनों से हस्पताल में कोई थर्मल स्क्रीनिंग या सैनौटाईजेशन नहीं कराया गया न ही कोरोना बचाव के लिए सामान खरीदा गया जबकि हस्पताल की चिकित्सा प्रबंधन समिति के पास स्वास्थ्य महानिदेशालय से इस बीच लाखो रुपये आये। भर्ती मरीजों की देखभाल के लिए जो वार्ड आया और वार्ड बॉय हस्पताल में तैनात है वो अपनी ड्यूटी कर नहीं पाते क्यों कि इन सभी को हर ड्यूटी पाली में सी एम एस के ऑफिस के बाहर बैठाया जाता है। पुलिस गार्ड भी हस्पताल के गेट पर ड्यूटी नही करता है इनके ऑफिस में ही ड्यूटी करता है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को मरीजों की देखभाल से कोई मतलब नहीं है वह बस अपना ऑफिस चलाते हैं ऐसे में बेचारे लावारिस निर्धन भर्ती मरीज भगवान के भरोसे हैं।”

वहीं वायरल पत्र के बारे जब हम इसकी तह तक गए तो अस्पाल में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों ने हमे फोन पर जानकारी दी कि अस्पातल में हालत ये है कि न तो अस्पातल में पीपीई किट दी जा रही है,और न मास्क और सैनेटाईजर की व्यवस्था है। जबकि सीएओ आॅफिस से अस्पाताल को सभी सम्मान उपलब्ध कराया गया है। वह पीपीई,मास्क और सैनेटाईजर कहा है,इस बारे में अस्पातल के कर्मचारियों को किसी तरह की जानकारी नहीं है। जबकि मानसिक अस्पताल की हालत ये है कि कई कर्मचारी जहां कोविड पाॅजिटिव आएं है वहीं अस्पातल में उपचार करा रहे कई मरीज भी कारोना की चपेट में आ गए है। बिना पीपीई किट अब अस्पताल के डाॅक्टर मरीजों की देखभाल नहीं कर रहें है।

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