त्रिवेंद्र हैं तो फिर अन्याय कैसा,पारदर्शिता के पहलु पर खरा उतरी सरकार,मिशाल कर दी पेश

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में  पारदर्शिता का एक और उदाहरण देखने को मिला है। जी हां  उत्तराखंड सेवा अधिनस्थ चयन आयोग के द्धारा फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती की लिखित परीक्षा में नकल मामले में त्रिवेंद्र सरकार के एक्शन पर आएआईटी जांच के निर्देश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्धारा दिए गए थे। फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती की लिखित परीक्षा में नकल कराएं जाने का मामला उजागर होने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो टूक कह दी थी,कि जो भी इस मामले में दोषी है उन्हे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सख्ती का ही असर था,कि जिन -जिन लोगों के तार नकल कराएं जाने से जुड़े थे,उन्हे पक़ड़ा भी गया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार जीरो टाॅयलेंस की सरकार है और जो भी तथ्य जांच रिपोर्ट में आएंगे उनको सार्वजनिक किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कुछ दिनों पहले भी ये बात कही थी, कि जांच रिपोर्ट में जो भी तथ्य सामने आएंगे उन्हे जनता के समक्ष सार्वजनिक किया जाएगा। एसआईटी के द्धारा सेवा अधिनस्थ चयन आयोग को सौंपी गई जांच रिपोर्ट को आयोग ने सार्वजनिक कर दिया है। आयोग ने रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा है कि 188 परिक्षा केंद्रों में दो पालियों में सम्म्पन हुई,लिखित परीक्षा में 22 परीक्षा केद्रों में ब्लूटूथ डिवाईस से 57 परिक्षार्थियों के नकल होने की पुष्टि हुई है,जिनमें 31 को चिन्हित कर लिया गया है,जबकि 26 परिक्षार्थियों को को लेकर जांच चल रही है। उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार पारदर्शिता के मनकों पर खरा उतरते हुए काम कर रही है। यही वजह है कि साढ़े तीन साल के कार्यकाल में त्रिवेंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार का अब तक एक भी आरोप नहीं लगा है। और भर्ती परीक्षा के बहाने जो लोग सवाल खड़े कर रहे थे,उनहे सरकार ने जवाब दे दिया है कि ये त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व की सरकार है यहां जो गलत करता है उसकी जांच होने के बाद उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक भी की जाती है। यानी कुल मिलाकर देखे तो त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में जो सरकार चल रही है वह  पारदर्शिता के सभी मानकों पर खरा उतर रही है। जिससे कहा जा सकता है कि त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में किसी के साथ अन्याय नहीं होने वाला है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा भी है कि फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले किसी भी परिक्षार्थी के साथ वह अन्याय नहीं होने देंगे,और यही कुछ होता हुआ भी नजर आ रहा है।

सीएम ने आयोग की करी सरहाना

अब जब उत्तराखंड सेवा अधिनस्थ चयन आयोग ने एसआईटी की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सेवा अधिनस्थ चयन आयोग की सरहाना करते हुए कहा है कि सरकार की जो सोच है, कि यदि कहीं पर कोई आक्षेप या आरोप लगता है कि तो उसकी जांच रिपोर्ट का सार्वजनिक किया जाना चाहिए और आयोग ने फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती की लिखित परीक्षा की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए सरकार की सोच को भी सार्वजनिक किया है,इसके लिए वह आयोग का धन्यवाद अदा करते है।

त्रिवेंद्र हैं तो फिर अन्याय कैसा

लोकतंत्र में किसी राज्य में कुछ गलत होता है तो न्याय की उम्मीद जनता को मुख्यमंत्री से ही होती है, और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देते है न अन्याय देख सकते है। यहीं वजह है कि उनके विरोधी भी उनसे इसी बात को लेकर डरते है कि त्रिवेंद्र कभी न गलत करते है और न होने देते है। बस त्रिवेंद्र करते है तो न्याय करते है। फाॅरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई नकल के बाद मुख्यमंत्री ने जो कदम उठाया है वह न्याय की एक लकीर है,कि सरकार ने परिक्षार्थियों के साथ अन्याय भी नहीं होने दिया,दोषियों की पहचान की और जिन पिरक्षार्थियोें ने नकल की है,उन्हे चिन्हित किया जा रहा है,साथ ही ऐसे नकलची परिक्षार्थियों को आयोग परीक्षा देने से भी कुछ सालों के लिए प्रतिबंधित कर देगा। यानी त्रिवेंद्र सरकार में जो लगत करेगा,उसकी खैर नहीं है और जो मेहनत करेगा,उसे पूरा न्याय मिलेगा,ये मुख्यमंत्री ने बता दिया। कुल मिलाकर देखें तो त्रिवेंद्र सरकार ने एक मिशाल भी पेश कर दी है, कि यदि किसी भर्ती परीक्षा में किसी भी माध्यम से नकल कराई जाती है, तो फिर नकल कराने वालों और नकलचियों खैर नहीं है,सरकार जांच कराकर ऐसे लोगों का पर्दाफाश कर सकती है और उनके चेहरे बेनकाब भी कर सकती है।

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