शिक्षा मंत्री जी आम शिक्षकों के साथ ये कैसा न्याय,प्रमोशन के पदों पर भी सुगम – दुर्गम का हो गया बड़ा खेल,क्या होगी जांच ?

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर तदर्थ प्रधानचार्यो को फूल फैलश प्रधानचार्यो को लाभ प्रमोशन पाकर मिल गया है,58 तदर्थ प्रधानचार्यो को को राजकीय इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पदों पर प्रमोशन मिला है।

तो वही 15 तदर्थ महिला प्रधानचार्यो को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के स्थायी पदों पर प्रमोशन का लाभ मिला है।

स्थायी प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों को जहां प्रधानाचार्य के पद पर पोस्टिंग पाने की शुभकामनाएं मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग के शिक्षक ही प्रमोशन के बाद सुगम में रसूखदार शिक्षकों के स्कूल मिलने को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

प्रमोशन की जो लिस्ट आई है उसमें कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें सुगम की जगह सुगम में ही तैनाती मिली है। कई शिक्षक सीधे तौर से प्रमोशन पाए प्रधानाचार्य पर राजनीतिक पहुंच के साथ सेटिंग गेटिंग के तहत सुगम के स्कूल में मनचाही पोस्टिंग का भी आरोप लगा रहे है। उत्तराखंड तबादला एक्ट के साथ ही पदोन्नत को लेकर जो नियमावली बनी है उसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रमोशन के बाद कर्मचारियों की पूर्व की सेवा शून्य मानी जाती है। इसलिए पदोन्नति के बाद जो पोस्टिंग होगी वह दुर्गम में ही होगी । लेकिन जो प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति हुई हैं, उनमें ज्यादातर शिक्षकों को सुगम से सुगम का लाभ दिया गया है,ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्या राजनीतिक पहुंच के चलते सुगम का सालों से सुख भोगने वाले शिक्षकों को सुगम का ही सेवा का लाभ दिया गया। कई शिक्षक जहां सीधे तौर से कह रहे हैं कि यह तबादला एक्ट के साथ पदोन्नति नियमावली का सीधे तौर से घोर उल्लंघन है की शिक्षकों को सुगम की जगह शुगम का ही लाभ दिया गया। वहीं जिन शिक्षकों का किसी तरीके से राजनीतिक रसूख नहीं है वह दुर्ग में ही तैनात रहेंगे। उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे लगातार उत्तराखंड के आम शिक्षकों को न्याय दिलाने की बात करते हो लेकिन हाल में जिस तरीके से निर्णय शिक्षा विभाग में लिए जा रहे हैं उससे दूर दूर तक कहीं इस बात का एहसास नहीं होता कि वास्तव में आम शिक्षकों के साथ शिक्षा मंत्री न्याय कर पा रहे हैं। शिक्षा मंत्री हर बार अपने भाषणों में हो या अपने उद्बोधन में हो इसी बात का जिक्र करते हैं कि वह किसी शिक्षक के साथ अन्याय नहीं होने देंगे लेकिन जिस तरीके से तदर्थ प्रधानाचार्य को स्थाई प्रधानाचार्य के पदों पर पदोन्नति मिली है उस लिस्ट पर नजर डालने से साफ होता है कि सुगम से सुगम स्कूल मिलने के पीछे क्या वजह। पदोन्नति के पदों पर प्रमोशन पाई प्रधानाचार्य कि यदि सुगम दुर्गम की सेवाओं की जांच की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि आखिर किन शिक्षकों की सेवाएं कितने वर्षों की सुगम दुर्गम किए हैं जिनको सुगम का ही लाभ शिक्षा विभाग के द्वारा दिया जा रहा है।

 

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