नेता प्रतिपक्ष के नाम पर कांग्रेस में मंथन शुरू,क्षेत्रीय और जातीय समीकरण पर नहीं हो रहा है विचार – प्रीतम सिंह

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदियेश के निधन के बाद उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष कुर्सी खाली हो गई है। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली होने के बाद कांग्रेस के भीतर मंथन शुरू हो गया है कि आखिर उत्तराखंड में 10 विधायकों में से कांग्रेस किस विधायक को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपेगी। हांलाकि कांग्रेस हाईकमान के सामने भले ही नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर गिने चुने नामों पर मंथन होगा,लेकिन कांग्रेस के लिए सियासी समीकरण भी नेता प्रतिपक्ष के नाम के चयन के साथ साधने होंगे। पहला समीकरण तो कांग्रेस के लिए यही फिट बैठता कि कुमाऊं से कोई ब्राहृण चेहरा इंद्रा हृदियेश के निधन से खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठता,लेकिन कुमाऊं से कांग्रेस के पास कोई ब्राहृण चेहरा विधाकय का है नहीं,इसलिए कांग्रेस के सियासी समीकरण साधने के लिए नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगाने के लिए गहन मंथन करना पड़ रहा है। क्योंकि उत्तराखंड में सियासी दल कांग्रेस और भाजपा सत्ता पक्ष में रहे या विपक्ष में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के साथ नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के लिए सियासी समीकरण को साधने के लिए जातीय और क्षेत्रिय समीकरण जरूर साधते है। हांलाकि कई मौका पर पार्टी ने इसे नजर आंजाद भी किया है,और बीजेपी ने भी वर्तमान में भी इस समीकरण को नजर अंदाज किया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को गढ़वाल मंडल से ही जिम्मेदारी सौंपी है,हांलाकि बीजेपी ने फिर भी मुख्यमंत्री में ठाकुर वाद और प्रदेश अध्यक्ष में ब्राहृण का संतुलन बनाया यानी,क्षेत्रीय समीकरण के फर्मुले को हटाकर बीजेपी ने जातिय फर्मुले को बरकरार रखा। लेकिन अब कांग्रेस के सामने इस बात को लेकर बड़ा मंथन हो रहा है कि नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाया। क्योंकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ठाकुर है एसे में कांग्रेस के सामने ब्राहृण चेहरा नेता प्रतिपक्ष के लिए ढुढने से नहीं मिल रहा है। ऐसे में कयास ये भी लगाया जा रहा है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को क्या नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने भी नेता प्रतिपक्ष रहते अजय भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। और अजय भट्ट ने दोनों जिम्मेदारियों बखूबी निभाई। लेकिन इन अटकलों को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ही खारिज कर रहें है। प्रीतम सिंह का कहना है कि कांग्रेस में एक व्यक्ति को एक ही जिम्मेदारी दी जाती है। इसलिए उनके नाम पर कोई चर्चा नेता प्रतिपक्ष की चल रही है यह उनकी जानकारी में नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष के लिए न क्षेत्रीय समीकरण देखा जा रहा है कि ना जातिय समीकरण

कांग्रेस के भीतर हो या सियासी गलियारों में चर्चा,चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर कांग्रेस किस समीकरण को साधते हुए नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लगाएगी। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि कांग्रेस के भीतर न तो जातिय समीकरण पर और न ही क्षेत्रिय समीकरण पर विवार किया जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस पूरे उत्तराखंड को एक रूप में देख रही। कांग्रेस की जब 2002 में सरकार आई थी तब मुख्यमंत्री एनडी तिवारी,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत,सरकार में नम्बर 2 पर मंत्री इंद्रा हृदियेश,विधान सभा अध्यक्ष यशपाल आर्य कुमाऊं से ही थी,इसलिए कांग्रेस क्षेत्रीय समीकरण  जातिय समीकरण को नहीं देखती है। प्रीतम सिंह का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन चल रहा है।

कांग्रेस के भीतर क्या हैं समीकरण और कोन है दावेदार

कांग्रेस के भीरत नेता प्रतिपक्ष के लिए सबसे बड़े दावेदार उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा है,उनका दावा इसलिए भी मजबूत हो जाता है कि वह इस समय उप नेता प्रतिपक्ष है,और पिछले 4 सालों में सदन के भीतर सरकार को घेरने में करण माहरा में कई बार अपने तरकश से ऐसे तीर छोड़े जिनका जवाब सरकार के पास देना मुश्किल हो जाता है। राजनैतिक सूझ बूझ और मुद्दों पर सही पकड़ के साथ संसदीय ज्ञान में करण माहरा काफी फिट बढ़ते है। कांग्रेस हाईकमान ने अगर नेता प्रतिपक्ष के नाम पर अगर प्रीतम सिंह के नाम पर विचार किया तो फिर करण माहरा के लिए थोडि मुश्किल नेता प्रतिपक्ष बनने में हो सकती है। क्योंकि तब पार्टी कि कोशिश होगी,कि कुमाऊ से किसी ब्राहृण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी। लेकिन जिस हिसाब से चुनाव में कम समय बचा हुआ है उससे देखते हुए कांग्रेस के लिए सबसे फिट यही बैठता है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह बने रहें है और नेता उप प्रतिपक्ष करण माहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाए। क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद कांग्रेस संगठन में फिर से चुनाव के लिए पूरा बदलाव करना पडेगा। हांलाकि कई लोगों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कार्जी निजामुदीन भी शामिल है क्योंकि संसदीय ज्ञान के मामले में काजी निजामुदीन काफी परिपक्व है। लेकिन कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुस्लिम चेहरे पर दाव खेलेगी ये भी बड़ा सवाल है। ये तय है कि अगर करण माहरा को नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस नहीं बनाती है तो फिर कांग्रेस संगठन में भी बदलाव देखा जा सकता है,क्योंकि फिर प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है,और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदल सकती है। लेकिन हकीकी ये है कि आज कांग्रेस के भीतर बड़ा कद का ब्राहृण चेहरा नहीं है। जिसकी वजह से दिक्कतें आ रही है। ऐसे में अगर कांग्रेस को लगता है कि प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदलना है और ब्राहृण चेहरा नेता प्रतिपक्ष के लिए मिल नहीं रहा है तो फिर करण माहरा को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। वहीं बताया जा रहा है कि आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उप नेता प्रतिपक्ष करण माहरा की मुलाकात हुई है। जिसके कई माईने निकाले जा रहें है।

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