उत्तराखंड की राजनीति में ऐसी दो बेटियां जिन्होंने लिया पिता की हार का बदला, जीत की हासिल

राखंड की राजनीति में  एक अनोखी वाक्या देखने को मिला है जो की चर्चाओं का विषय बना हुआ है। बता दें कि उत्तराखंड की राजनीति में ऐसी दो बेटियां हैं जिन्होॆने वहां जीत हासिल की है जहां से उनके पिता हार चुके हैं.

हम बात करे रहे हैं अनुपमा रावत और रीतू खंडूरी की। दोनों जहां से 2022 में चुनाव लड़ीं और जीती,वहां से उनके पिता चुनाव हार चुके हैं। हरीश रावत 2017 में हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानंद से चुनाव हारे थे। इसी के साथ रीतू खंडूरी के पिता बीसी खंडूरी भी 2012 में चुनाव लड़े थे। दोनों की बेटियों अनुपमा रावत और रीतू खंडूरी ने जीत हासिल कर पिता की हार का बदला लिया।

अपनी हार देख कैबिनेट मंत्री पहले ही मतगणना स्थल से चले गए थे मंत्री

हरीश रावत की बेटी अनुपमा हरिद्वार ग्रामीण सीट पर अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी और राज्य की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के खिलाफ लगातार बढ़त बनाए हुए थीं. अनुपमा ने इस सीट पर आखिरकार 12 राउंड की गिनती के बाद करीब 6 हजार वोटों से जीत दर्ज की हैं. बता दें कि अपनी हार देख कैबिनेट मंत्री पहले ही मतगणना स्थल से चले गए थे।

बता दें कि यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार थे. 2017 के चुनाव में भी वे ही खड़े हुए थे और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को हराकर विधानसभा पहुंचे थे. यतीश्वरानंद को 44,964 वोट मिले थे जबकि हरीश रावत को 32,686 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मुकर्रम थे जिन्हें 18,383 वोट मिले थे. 2017 में यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को, तो 2012 में कांग्रेस नेता इरशाद अली को मात दी थी. चुनाव आयोग के पास दायर चुनावी हलफनामे के अनुसार उनका पेशा है संन्यासी.वही 2012 के विधानसभा चुनावों में कोटद्वार विधानसभा से मेजर जनरल रिटायर्ड बीसी खंडूरी को सुरेंद्र सिंह नेगी ने चुनाव हराया था लेकिन उनकी बेटी रितु खंडूरी ने कोटद्वार विधानसभा से ही 2022 में सुरेंद्र नेगी को बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया है उत्तराखंड की राजनीति में यही मानकर चला जा रहा है कि पिता की हार का बदला बेटियों ने चुकाय

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