मिथक की परवाह किए बिना सीएम धामी ने माँ के पैर छूकर सीएम आवास में किया प्रवेश,माँ ने खुद धामी को कुर्सी पर बिठाया

देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति से जुड़ा बड़ा मिथक मुख्यमंत्री आवास भी है. जी हां कहा जाता है कि गढ़ी कैंट स्थित मुख्यमंत्री आवास में अपशकुन है. यहां जो भी मुख्यमंत्री रहता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है. उत्तराखंड की राजनीति में इस समय इसी तरह की चर्चाएं चल रही हैं जिन्होंने सबका ध्यान एक बार फिर मुख्यमंत्री आवास की तरफ खींचा है.पूर्व सीएम भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और चार साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले उनकी कुर्सी चली गई और मिथक एक बार फिर से सही साबित हुआ । 

धामी ने मिथक से किया किनारा,माँ के पांव छूकर किया आवास में प्रवेश

मुख्यमंत्री आवास को लेकर जहां कई मिथक सही साबित हुई है वही 4 साल का कार्यकाल पूरा होने से 9 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी भी चली गई पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की आवास में अपने कार्यकाल के दौरान में उनकी बात मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ सिंह रावत ने भी के मंत्री आवास से दूरी बनाकर रखी, लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश कर लिया पूजा अर्चना के साथ धामी ने सीएम आवास में प्रवेश किया, आवास में प्रवेश करने से पहले सीएम धामी ने अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी सीएम धामी की माँ ने उन्हें बिठाया, मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने को लेकर पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही कि वह कर्म में विश्वास करते हैं या नहीं साफ है कि धामी मिथक पर विश्वास नहीं करते बल्कि कर्म पर विश्वास करते हैं और यही वजह है कि उन्होंने मुख्यमंत्री आवास से दूरी न बनाते हुए मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश भी किया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चार साल पूरा होने से पहले उनकी सीएम की कुर्सी चली गई। बता दें कि 18 मार्च को चार साल का कार्यकाल सीएम का पूरा हो रहा था। इसके बाद ये मिथक एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया। आपको बता दें कि सीएम आवास देहरादून की खूबसूरत वादियों और पहाड़ों की वादियों के बीच बना है जिसकी लाागत करोड़ों की है। लेकिन इस खूबसूरत हाऊस से जुड़ा एक मिथक जुड़ा है कि इस आवास में जो भी मुख्यमंत्री रहा है वो कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. कहा जाता है कि जो सीएम इस हाऊस में रहता है उसे कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है।

हरीश रावत ने बना ली थी बंगले से दूरी

 मुख्यमंत्री बनने के बाद हरीश रावत ने इस कोठी से दूरी बना ली थी. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान एक दिन भी बगले में पैर नहीं रखा. हरदा ने अपना ठिकाना बीजापुर गेस्ट हाउस को बनवाया था. हालांकि वो दोबारा सत्ता में नहीं आ पाए।

एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था बंगले का निर्माण

आपको बता दें कि इस बंगले का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था. हालांकि, जबतक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता इससे पहले ही उनका 5 साल का कार्यकाल पूरा हो गया. इसके बाद 2007 में बीजेपी की सरकार बनी और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूड़ी को मिली. जिसके बाद खंडूड़ी ने अधूरे बंगले को बनाया और उद्धाटन किया. लेकिन मिथक एक बार फिर सही साबित हुआ वो भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. ढाई साल बाद ही उनकी कुर्सी चली गई।

बंगले में रहने पर इनकी गई सीएम की कुर्सी

वहीं इसके बाद भाजपा ने सीएम की कुर्सी डॉ. रमेश पोखियाल निशंक को सौंपी. वो भी इस बंगले में आए लेकिन 2012 के चुनाव से ठीक 6 महीने पहले ही निशंक भी मुख्यमंत्री पद से हट गए, फिर बीजेपी की कमान बीसी खंडूड़ी के हाथ आ गए लेकिन निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. फिर बीसी खंडूड़ी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2012 का चुनाव लड़ा और बीसी खंडूड़ी को कोटद्वार से हार का सामना करना पड़ा फिर इसके बाद कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। वहीं कांग्रेस ने तत्कालीन टिहरी से लोकसभा सांसद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री पद हासिल करने के बाद बहुगुणा आवास में रहने लगे लेकिन दो साल बाद उनकी भी कुर्सी चल गई। ये मिथक फिर से सही साबित हुआ जब त्रिवेंद्र रावत को भी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन सीएम धामी ने मिथकों से किनारा कर सीएम आवास में पूजा अर्चना करविधि विधान से प्रवेश कर लिया है।

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