विधायक अमनमणि त्रिपाठी पर मुकदमा दर्ज,जिन अधिकारियों ने बनाया गलत पास क्या उन पर नहीं होनी चाहिए कार्रवाई,बड़ा सवाल

देहरादून। उत्तराखंड में लाॅक डाउन के दौरान आम और खास लोगों के लिए अलग – अलग नियम कानून है,जी हां ये हम ने नहीं उत्तराखंड शासन में बैठे उन बडे अधिकारियों के द्धारा खास लोागों के लिए जारी पास से साबित हो जाता है,जिनके लिए न तो नियम कानूनों का हवाला दिया जाता है और न हीं लाॅक डाउन का है। जी हां हम बात कर रहे है उत्तराखंड में इस समय सबसे चर्चित मामले की जिसने उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक मामला गरमा दिया है। मामला उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी से जुड़ा है जो लाॅक डाउन की तमाम बाधाओं को पार करते हुए चमोली जिले तक अपने साथ 12 साथियों के साथ पहुंच गए। चमोली प्रशासन के द्धारा विधायक को रोके जाने के बाद वापस भेज दिया गया । जिसके बाद ऋषिकेश स्थित मुनिकीरेती थाने में विधायक के साथ मुकदमा दर्ज कर लिया है। लेकिन सवाल ये है कि यूपी के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने कैसे बद्रीनाथ और केदारनाथ का पास विधायक का लाॅक डाउन में बना दिया है। जी हां सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर उत्तराखंड के अपर मुख्यसचिव ओम प्रकाश ने विधायक को पास बनाने के लिए वकालत क्यों कि और देहादून जिला अधिकारी को क्यों पास बनाने के लिए निर्देशित किया,जिससे विधायक का पास आसानी से बना गया।

ओम प्रकाश की भूमिका सवाल के घेरे में

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सबसे भरोसे मंद और सबसे करीबी अधिकारियों में शुमार अपर मुख्य सिचव ओम प्रकाश सिंह की भूमिका पर हर कोई सवाल खड़े कर रहा है । पूरे मामले को लेकर जहां भी चर्चा चल रही है सभी यही कह रहे है कि ओम प्रकाश ने क्यों देहरादून जिला अधिकारी को पास बनाने के लिए निर्देश किया । जो पत्र ओम प्रकाश सिंह के द्धारा जिला अधिकारी को भेज गया उसमे बकादा ओम प्रकाश सिंह ने 11 लोगों के नाम पास बनाने के लिए लिखे है साथ में यूपी के दो वाहनो और उत्तराखंड के एक वाहन का पास बनाने के लिए भी लिखा है । खास बात ये है कि पास बनाने के लिए ओम प्रकाश ने अपने पत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के पितृ कार्य के लिए बद्रीनाथ तक जाने का हवाला दिया साथ ही केदारनाथ धाम जाने के लिए भी जिला अधिकारी को लिखा गया। एक और खास बात ये है कि ओम प्रकाश ने अपने पत्र में पास की प्रतिलिपि रूद्रप्रयाग चमोली और पौड़ी जनपद के जिला अधिकारी को भी भेजने के लिए कहा।

ओम प्रकाश को नहीं पता लाॅक डाउन के नियम

पूरे मामले को लेकर उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश सिंह पर सवाल उठने लाज्मी है,क्योंकि जो गलती ओम प्रकाश सिंह ने विधायक अमनमणि त्रिपाठी के पास की बनाने सिफारिश के लिए कि है उसे तो यही लगता है कि सायद ओम प्रकाश सिंह को भी लाॅक डाउन के नियम की जानकारी नहीं है,लेकिन ये हो नहीं हो सकता कि प्रदेश के इतने बड़े पद पर बैठे अधिकारी को नियमों की जानकारी न हो क्योंकि लाॅक डाउन में जहां उत्तराखंड का आम आदमी घरों से बहार नहीं निकला वह भी सरकार की अपील पर फिर क्यों ओम प्रकाश को उन नियमों की जानकारी नहीं है जिनकी जानकारी उत्तराखंड में हर किसी को है।

 योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता का लिया सहारा

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य को करने का सहारा लेकर विधायक अमनमणि त्रिपाठी उत्तराखंड के सैर सपाटे पर निकले ऐसे में सावल ये उठाता है कि जब मामला हाई प्रोफाइल नाम के सहारे पास बनाने का था,तो क्यों उत्तराखंड के उन बड़े अधिकारी जिन अधिकारियों ने पास बनाने के लिए सिफारिश और पास बना दिया उन्होने एक बार इस बात को क्यों क्लिीयर नहीं किया कि क्या सच में विधायक अमनमणि त्रिपाठी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य से पास बना रहे है।

अधिकारयों और नौकरशाहों पर नहीं चाहिए कार्रवाई

उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के द्धारा लाॅक डाउन के उल्लघंन की धज्जियां उड़ाने और चमोली तक महामारी के दौर में पहुचने को लेकर उनके साथ 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज हो गया हो,लेकिन पहला सवाल ये है कि क्यों विधायक और उनके साथियों को मुकदमा दर्ज करने के साथ ही कोरोनटाइन नहीं किया गया,और सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस पास के दम विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने साथियों के साथ कई जिलों की सीमाओं को पर कर गए,उस पास को जारी करने और पास कि सिफारिश लगाने वाले अधिकारी इसके जिम्मेदार नहीं है,जिस पास के दम पर वह घुम रहे थे। पूरे मामले को देखा जाएं तो ऐसे अधिकारियों को पर भी कार्रवाई होना आवश्यक है जो गलत पास लाॅक डाउन में बनाकर लाॅक डाउन का उल्लघंन करा रहे है। इसलिए जितने दोषी गलत पास बनकार विधायक अमनमणि त्रिपाठी के साथ उनके साथी है जिन पर मुकदमा दर्ज हो गया है उतना ही दोष उन अधिकारयों और नौकरशाहों को भी दोषी ठहराया जाना चाहिए जिनहोने पास बनाया और पास बनाने के लिए सिफारिश की । 

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