एलटी से प्रवक्ता पदों पर शिक्षकों के प्रमोशन का मसला सुलझाने को लेकर बैठक,शिक्षक संघ का दावा,जल्द सुलझेगा मसला

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के द्वारा आज एलटी से प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन को लेकर जो अड़चन शिक्षकों के अलग-अलग कोर्ट जाने और सीनियरिटी विवाद को लेकर कोर्ट में वाद चल रहे हैं,उनको लेकर बैठक बुलाई गई कि आखिरकार क्या कुछ मत कोर्ट गए शिक्षकों का प्रमोशन का हल निकालने को लेकर है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी,अपर माध्यमिक निदेशक महावीर बिष्ट, संयुक्त निदेशक मुकुल सती की मौजूदगी में ट्रिब्यूनल कोर्ट और हाई कोर्ट में सीनियरिटी विवाद को लेकर कोर्ट गए शिक्षकों के साथ बैठक हुई,जिसमें इंदु बौड़ाई,राजेंद्र कुलाश्री,वीरेंद्र दत्त बिजल्वाण, मुकेश बहुगुणा और नन्द बिष्ट मौजूद थे,वही राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष राम सिंह चौहान और प्रांतीय महामंत्री रमेश पैन्यूली, गढ़वाल मंत्री हेमंत पैन्यूली मौजूद थे,जिसमें कोर्ट गए शिक्षकों से प्रमोशन का रास्ता निकालने के सुझाव भी लिए गए तो वही वह किन किन बिंदुओं को लेकर शिक्षक कोर्ट गए हैं, इस पर भी विभाग के द्वारा उनकी राय ली गई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इन बिंदुओं को लेकर है विवाद

तदर्थ शिक्षकों से विनियमितीकरण और सीधी भर्ती से चयनित हुए शिक्षकों के बीच का है मामला ।

तदर्थ शिक्षक जो 1999 में विनियमितीकरण हुए उनका पक्ष है कि 1 अक्टूबर 1990 जब उनको तदर्थ नियुक्ति मिली थी उसी आधार पर उन्हें सीनियरिटी का लाभ मिले ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जब की सीधी भर्ती से चयनित प्रवक्ताओं का कहना है कि जिस दिन से यानी 1999 में जब तदर्थ शिक्षक विनियमितीकरण हुए उस दिन से उन्हें सीनियरिटी का लाभ दिया जाए।

सबसे बड़ा टकराव इसी मुद्दे को लेकर है 1,10,1990 वाले शिक्षक खुद को सीनियरिटी की लड़ाई लड़ते हुए अपने हक में भी फैसले लेकर आए।

जबकि इसके विपरीत सीधी भर्ती से चयनित प्रवक्ताओं का तर्क है कि जिस दिन तदर्थ शिक्षक विनियमितीकरण हुए,उस दिन से उन्हें सीनियरिटी का लाभ न मिले, क्योंकि 1 अक्टूबर 1990 से सीनियरटी न्याय संगत नहीं है, और इसी मामले को लेकर सीधी भर्ती के प्रवक्ता शिक्षक कोर्ट गए।

कुल मिलाकर विवाद उत्तराखंड बनने से पहले से सीनियरिटी से जुड़ा हुआ।

जबकि राज्य बनने के बाद भी एलटी से प्रवक्ता पदों में भी श्रेष्ठता को लेकर विवाद है, सीधी भर्ती से चयनित प्रवक्ताओं का कहना है कि एलटी से प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन के मामले में अहर्ता का ख्याल नहीं रखा गया।

कुल मिलाकर देखें तो मामला बेहद पेचीदा है और यही वजह है कि शिक्षा विभाग भी इसको लेकर खुद मजधार में फंसा हुआ मानता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राजकीय शिक्षक संघठन का दावा जल्द सुलझेगा मसला

 

 

राजकीय शिक्षक संगठन के द्वारा वरिष्ठता विवाद को लेकर मध्यस्था को लेकर को लेकर बैठक बुलाई गई, जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ शिक्षक संगठन के पदाधिकारी और कोर्ट केस गए शिक्षक भी बैठक में मौजूद रहे, राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि कुछ बिंदुओं को लेकर सहमति बन चुकी है, जबकि कुछ बिंदुओं पर सहमति बनना बाकी है, उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही सभी मसलों पर सहमति बन जाएगी और एलटी से प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन हो जाएंगे।

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