PMO के निर्देशों को नहीं मानता उत्तराखंड शासन,CM के विभाग में पुनर्नियुक्ति का खेल,BJP नेता ने फिर की PMO से शिकायत

देहरादून । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विभाग उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में जूनियर एग्जीक्यूटिव कार्टोग्राफर के पद से रिटायर हुये संविदा कार्मिक डा० के०एन०पाण्डे की पुनर्नियुक्ति के मामले को लेकर फिर से भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने सवाल खड़े किए है । भाजपा नेता और पूर्व राज्य आन्दोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने 31 जुलाई 2019 को कार्टोग्राफर जैसे अनुपयोगी पद से रिटायर हुये संविदा कार्मिक को नियमविरुद्ध 1,38,000 (एक लाख अडतीस हजार) महिना वेतन पर पुनर्नियुक्ति देकर राज्य के धन को लुटाया जा रहा है। रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि रिटायर होने से पहले भी एक लाख अडतीस हजार रूपया महिना वेतन और रिटायर होने के बाद भी उतना ही वेतन किस नियम के अनुसार दिया जा रहा है। एक तरफ तो राज्य सरकार धन की कमी का हवाला देकर राज्य कर्मचारियों के DA फ्रीज कर चुकी है और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के ही विभाग में इस प्रकार अधिकारी अपने चहेते पर अनावश्यक रूप से एक लाख अडतीस हजार रूपया महिना लुटा रहे हैं।

पीएमओ के निर्देशों की उत्तराखंड में अवहेलना

इस प्रकरण की शिकायत रविन्द्र जुगरान ने प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्यसचिव और प्रभारी सचिव आपदा प्रबंधन को 10 जनवरी 2020 को पत्र के माध्यम से की थी, जुगरान के पत्र का संज्ञान लेकर प्रधानमन्त्री कार्यालय ने 24 जनवरी 2020 को मुख्यसचिव उत्तराखंड को तत्काल इस प्रकरण पर कार्यवाही करते हुये रविन्द्र जुगरान को भी की गयी कार्यवाही से अवगत करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन 04 महिना बीत जाने के बाद भी आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देश पर कोई कार्यवाही नहीं की और इस प्रकरण की जाँच करने के बजाय वे मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि वे अब तक दो बार रिमाइंडर दे चुके हैं लेकिन अब तक ना तो मुख्यमंत्री के स्तर पर इसमें कोई कार्यवाही की गयी है और ना ही आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारीयों ने कोई कार्यवाही की है। जुगरान ने आरोप लगाया कि प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देशों की इस प्रकार राज्य में अवहेलना किया जाना दुभाग्यपूर्ण है, यदि प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देशों और पत्रों का राज्य में यह हाल है तो फिर आम आदमी के पत्रों का यहाँ क्या हाल होता होगा। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को PMO के निर्देश की कोई परवाह नहीं है।

इस फर्जी पुनर्नियुक्ति पर रविन्द्र जुगरान ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल भी खड़े किए है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि उन्हें डा० के०एन०पाण्डे की आपदा प्रबंधन विभाग में वर्ष 2001 में की गयी प्रथम नियुक्ति की चयन प्रक्रिया पर सन्देह है, जिसके लिये वे आपदा प्रबंधन विभाग से सूचना मांग कर स्थिति स्पष्ट करेंगे।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग में जब कार्टोग्राफी का कोई कार्य होता ही नहीं है तो फिर डा० के०एन०पाण्डे को इतने वर्षों से अवैध रूप से सेवा में क्यों रखा गया और अब फिर से उनकी नियमविरुद्ध पुनर्नियुक्ति किस उद्देश्य से की गयी है। आपदा प्रबंधन विभाग में कार्टोग्राफर का पद मृत कैडर का पद है, मृत कैडर के पद पर पुनर्नियुक्ति किस नियम के आधार पर दी गयी है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि डा० के०एन०पाण्डे का अनुबंध वर्ष 2013 में समाप्त हो गया था लेकिन उनकी सेवा को समाप्त नहीं किया गया और ना ही अनुबंध को रिन्यू किया गया तबसे उनको बिना अनुबंध के रखा गया है और 1,38,000 (एक लाख अडतीस हजार) रूपए महिना वेतन दिया जा रहा है। गैरजरूरी और अनुपयोगी पद पर रखे गये एक संविदा कर्मचारी को इतना ज्यादा वेतन कैसे दिया जा रहा है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि डा० के०एन०पाण्डे की पुनर्नियुक्ति कार्मिक विभाग के 27 अप्रैल 2018 के शासनादेश का उलंघन करके की गयी है, इस कार्मिक की पुनर्नियुक्ति के लिए ना तो कार्मिक विभाग की अनुमति ली गयी है और ना ही वित्त विभाग की अनुमति ली गयी है और ना ही विभागीय मंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री की अनुमति ली गयी है। इस पुनर्नियुक्ति के लिये पत्रावली में स्वयं मुख्यसचिव के द्वारा दिए गये निर्देशों का भी उलंघन आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने किया गया है। क्या डा० के०एन०पाण्डे की पुनर्नियुक्ति पर कार्मिक विभाग का यह शासनादेश लागू नहीं होता है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि डा० के०एन०पाण्डे को पुनर्नियुक्ति से पहले भी एक लाख अडतीस हजार रूपए वेतन दिया जा रहा था और अब पुनर्नियुक्ति के बाद भी एक लाख अडतीस हजार रूपए वेतन किस नियम के अनुसार दिया जा रहा है, जबकि वित्त विभाग से वेतन अनुमान्य ही नहीं करवाया गया है। वैसे भी पुनर्नियुक्ति के उपरान्त 40% वेतन दिये जाने का नियम है, तो क्या डा० के०एन०पाण्डे की पुनर्नियुक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता है।

जुगरान ने आरोप लगाया है कि डा० के०एन०पाण्डे को पुनर्नियुक्ति के बाद जो अनुबंध दिया गया है उसमें उनका वेतन 1,23,000 (एक लाख तेईस हजार) रूपए महिना दर्शाया गया है लेकिन उन्हें अनुबंध के विपरीत 15,000 रूपए ज्यादा 1,38,000 (एक लाख अडतीस हजार) रूपए महिना क्यों दिया जा रहा है। राज्य का धन इसप्रकार क्यों लुटाया जा रहा है।

जुगरान ने फिर उठाया मामला

आज एक बार फिर जुगरान ने इस प्रकरण पर प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल मुख्यसचिव, अपर मुख्य सचिव कार्मिक और प्रभारी सचिव आपदा प्रबंधन को पत्र लिखा है और साक्ष्य भी उपलब्ध करवाए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों की इसप्रकार अवहेलना करके राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की छवि को भी खराब किया जा रहा है। क्योंकि यह मामला मुख्यमंत्री के विभाग का है और स्वयं मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी है इसके बावजूद भी प्रधानमन्त्री कार्यालय के निर्देश पर कोई कार्यवाही ना होना बहुत ही आश्चर्यजनक है। अब देखते हैं आज के पत्र पर प्रधानमन्त्री कार्यालय इस प्रकरण पर क्या कार्यवाही करता है और मुख्यमंत्री क्या कार्यवाही करते हैं. यह मामला कार्मिक विभाग के शासनादेश 27 अप्रैल 2018 के उलंघन का भी है इसलिए अब कार्मिक विभाग को भी इस प्रकरण पर आवश्यक कार्यवाही करनी होगी क्योंकि कार्मिक विभाग को सारे साक्ष्य उपलब्ध करवा दिए गए हैं। 27 अप्रैल 2018 के शासनादेश के अनुसार इस अवैध पुनर्नियुक्ति के द्वारा डा० के०एन०पाण्डे को 09 माह में दिए गए कुल वेतन 12,42,000 (बारह लाख बयालीस हजार) रूपए की भी तत्काल रिकवरी की जानी चाहिए। जुगरान ने यह आरोप लगाया है कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों द्वारा जिस प्रकार इस प्रकरण को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और यदि नियोक्ता अधिकारी से इस धन की रिकवरी नहीं की जाती है तो इससे यह सन्देश जाएगा कि राज्य में जारी होने वाले शासनादेश केवल आम जनता और आम कर्मचारियों पर ही लागू किये जाते है, अधिकारियों के चहेतों पर ये शासनादेश लागू नहीं होते हैं।

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