कोर्ट के निर्णय की वजह से नहीं शिक्षा विभाग की लापरवाही से रुकी है शिक्षकों की पदोन्नति,कैसे निकलेगा पदोन्नति रास्ता पढ़िए पूरी खबर

देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ एससीईआरटी शाखा के अध्यक्ष डॉ० अंकित जोशी ने आज निदेशक माध्यमिक आर के कुंवर से शिक्षकों की पदोन्नति के संबंध में वार्ता कर जानकारी ली । जिसके बाद डॉ० जोशी का कहना है कि ट्रिब्यूनल ने पदोन्नतियों पर केवल तब तक रोक लगायी थी,जब तक तक कि शिक्षा विभाग, न्याय व कार्मिक विभाग से परामर्श कर वरिष्ठता के संबंध में निर्णय नहीं ले लेता और इस हेतु 3 माह का समय भी ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित किया गया था , किंतु विभाग तीन महीने तक निर्णय ही नहीं ले पाया कि आख़िर वरिष्ठता का निर्धारण कैसे करना है । अंकित जोशी का कहना है विभागीय अधिकारी शिक्षा मंत्री को गुमराह करते हैं, कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए पदोन्नति पर निर्णय लिया जाना संभव नहीं है। विभाग यदि ट्रिब्यूनल के निर्णय का सम्मान करता तो आज सभी पदों पर पदोन्नतियाँ हो चुकी होती । ट्रिब्यूनल के निर्णय के अतिरिक्त ऐसी कोई याचिका ही नहीं है जिस पर किसी न्यायालय ने पदोन्नति करने पर रोक लगायी हो । विभाग आज भी पदोन्नति करने से कन्नी काट रहा है, और मामले को उलझा रहा है कि अब हम ट्रिब्यूनल के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे और उसके बाद ही पदोन्नति कर सकेंगे,जबकि ट्रिब्यूनल ने तो विभाग को वरिष्ठता के मसले पर निर्णय लेने के लिए कहा था । वास्तविकता तो यह है कि पदोन्नति का मसला विभागीय अनिर्णय के कारण उलझा है,किसी शिक्षक के कोर्ट केस के कारण नहीं । विभाग यदि चाहे तो कल ही वरिष्ठता का निर्धारण कर पदोन्नतियाँ कर सकता है । जब वर्तमान में किसी भी न्यायालय का पदोन्नति पर रोक संबंधी कोई आदेश ही नहीं है तो अवमानना कैसे हो सकती है। 

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