हाईकोर्ट के निर्देश पर शिक्षा सचिव ने किया निस्तारण,जब तक हालात सामान्य नहीं होते फीस जमा करने के लिए बाध्य न करें स्कूल

देहरादून। उत्तराखंड के अभिभावकों के लिए बड़ी खबर है,जी हां हाइकोर्ट कोर्ट के निर्देश पर उत्तराखंड के शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने लॉकडाउन के दौरान 3 महीने की फीस माफ किए जाने संबंधी कुंवर जितेंद्र सिंह की याचिका पर और प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एजुकेशन के द्वारा अभिभावकों से ली जाने वाले शुल्क पर लगाई गई रोक के फलस्वरूप विद्यालय में कार्मिकों और शिक्षकों का वेतन नहीं दे पाने के मामले पर निस्तारण करते हुए कई। बिंदुओं पर गाइड लाइन जारी की गई है।

सभी शासकीय अशासकीय सहायता प्राप्त एवं निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के ऐसे अभिभावकों से जो शुल्क जमा करना चाहते हैं उन्हें स्वेच्छा से फीस जमा करने की अनुमति की बात कही गई है।

एक बार में केवल 1 महीने का शुल्क ही विद्यालय के द्वारा लिए जाने का निर्देश शिक्षा सचिव की ओर से जारी कर दिया गया है। आगामी महीनों का अग्रिम शुल्क कोई भी स्कूल नहीं ले पाएगा।

शैक्षणिक सत्र 2020 21 में किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रकार का शुल्क विरदी स्कूल नहीं कर पाएंगे

ऐसे छात्र जो लॉक डाउन से उत्पन्न आर्थिक तंगी के कारण मासिक शुल्क जमा नहीं कर पा रहे हैं। उनका नाम विद्यालय के द्वारा नहीं काटा जाएगा ना ही उन्हें फीस जमा करने के लिए बाध्य किया जाएगा साथ ही उनके ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने के निर्देश शिक्षा सचिव ने अपने आदेश में कही है। साथी शिक्षा सचिव का कहना है कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक छात्रों को फीस जमा करने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा।

सभी प्राइवेट स्कूलों के साथ अशासकीय सहायता प्राप्त एवं शासकीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों का मासिक वेतन का भुगतान नियमित रूप से किए जाने का आदेश भी किया गया है। 

छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित ना हो इसको लेकर शिक्षा सचिव ने सभी स्कूलों को ऑनलाइन एवं संचार माध्यमों द्वारा पढ़ाई जारी रखने के निर्देश दिए।

ऐसे स्कूल जो ऑनलाइन शिक्षण का कार्य नहीं कर रहे हैं वह किसी भी प्रकार का शुल्क छात्रों से नहीं ले पाएंगे ।

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